Kya insan Zameen ki Makhlooq Hai?
अक्सर ज़हन में ये सवाल उठता है कि Kya insan Zameen ki Makhlooq Hai? यह सवाल हाल ही में तब चर्चा में आया जब अमेरिका के प्रसिद्ध एकोलॉजिस्ट डॉ. एलिस सिल्वर ने अपनी किताब “Humans are not from Earth” में एक चौंकाने वाला दावा किया।
इंसान की उत्पत्ति और उसकी असली जगह को लेकर आज तक कई सिद्धांत दिए गए हैं।लेकिन डॉ. एलिस सिल्वर का एक दावा ऐसा है जिसने दुनिया भर में सोचने पर मजबूर कर दिया।
📘 कौन हैं डॉ. एलिस सिल्वर?
डॉ. एलिस सिल्वर का दावा
🌿 इंसान की पहली मंज़िल — एक वीवीआईपी ग्रह
उनका कहना है कि इंसान बहुत नाज़ुक और आराम पसंद मख़लूक़ (जीव) है।इससे लगता है कि शुरू में इंसान को अपनी रोज़ी-रोटी के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती थी।वह कोई बहुत प्यारी और खास मख़लूक़ थी, जिसे ज़िंदगी की हर सुविधा मिली हुई थी।
वह जगह ऐसी थी जहाँ न ज़्यादा गर्मी थी, न सर्दी, बल्कि हमेशा बसंत जैसा मौसम रहता था।वहाँ सूरज की तेज़ धूप या हानिकारक किरणें (अल्ट्रावायलेट रेज़) नहीं थीं,जो इंसान को तकलीफ़ देती हैं और उसकी सहनशक्ति से बाहर होती हैं।
⚡ फिर क्या हुआ — इंसान से बड़ी भूल
🌍 क्या पृथ्वी एक “कैदखाना” है?
🧠 वैज्ञानिक दृष्टिकोण और शोध
वह कोई कल्पना या कहानी नहीं गढ़तीं, बल्कि पर्यवेक्षण (observation) और वैज्ञानिक प्रमाणों (scientific evidence) के आधार पर बातें करती हैं।
उनकी किताब में इतने सारे ठोस प्रमाण दिए गए हैं कि उन्हें नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं है।उनके कई दावों की बुनियाद ऐसे ठोस बिंदुओं पर रखी गई है जिन्हें आधुनिक विज्ञान भी मान चुका है।
डॉ. एलिस सिल्वर के प्रमुख तर्क — क्या इंसान वाक़ई इस धरती का नहीं?
डॉ. एलिस सिल्वर एक ऐसी वैज्ञानिक हैं जिन्होंने इंसान की शारीरिक बनावट, मानसिक प्रवृत्ति और पृथ्वी के वातावरण के बीच गहरा अध्ययन किया।उनके अनुसार इंसान शायद इस ग्रह (धरती) का नहीं, बल्कि किसी और ग्रह से आया हुआ जीव है।आइए जानते हैं उनके प्रमुख तर्कों को विस्तार से 👇
1️⃣ गुरुत्वाकर्षण की समस्या
2️⃣ लगातार बीमारियाँ
3️⃣ धूप में असहनीयता
4️⃣ अजनबीपन और बेचैनी की भावना
“हर इंसान कभी न कभी यह महसूस करता है कि वह इस दुनिया का नहीं है।”
बिना किसी कारण उदासी, अकेलापन या परायापन महसूस करना शायद इसी बात की निशानी है।
5️⃣ तापमान से असहजता
6️⃣ डीएनए में असमानता
7️⃣ खाना पकाना और पाचन तंत्र
8️⃣ नींद और आराम की ज़रूरत
यह उसकी नाज़ुक प्रकृति और पुराने ग्रह के आरामदेह जीवन की याद का इशारा करता है।
9️⃣ विकासवाद (Evolution) पर सवाल
सब पृथ्वी के जीवों से बिल्कुल अलग हैं।
🔟 नाज़ुक त्वचा और आराम की तलाश
जैसे वह पहले से ऐसी दुनिया में रह चुका हो जहाँ सब कुछ सहज और सुखद था।
1️⃣1️⃣ शांति, कला और सुंदरता की चाह
वह लड़ाई और हिंसा से थक जाता है,
जैसे उसके भीतर की आत्मा किसी और शांत दुनिया की याद में बेचैन है।
डॉ. सिल्वर के अनुसार, जब इंसान पृथ्वी पर आया,
तो यहाँ के जानवरों और हालात को देखकर धीरे-धीरे उसने भी कठोरता और हिंसा सीख ली।
🌍 अंतिम बात — इंसान की कोशिश अपनी “पुरानी दुनिया” फिर से बनाने की
इसी बात का सबूत है कि वह अपनी ज़िंदगी को फिर से
उसी आरामदायक और खूबसूरत दुनिया जैसा बनाना चाहता है —
जहाँ से शायद वह आया था।
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यह सब विज्ञान कह रहा है — और इस्लाम पहले से बता चुका है
हर चीज़ इंसान की ख़िदमत में थी।
लेकिन जब हज़रत आदम अ.स. से लग़ज़िश (खता) हो गई,तो अल्लाह तआला ने उन्हें धरती पर भेज दिया,जहाँ की ज़िंदगी इम्तिहान और मेहनत की ज़िंदगी है।
📖 क़ुरआन में अल्लाह फरमाता है:
"और हमने कहा, ऐ आदम! तुम और तुम्हारी बीवी जन्नत में रहो..."— सूरह अल-बक़रह 2:35
قُلْنَا اهْبِطُوا مِنْهَا جَمِيعًا
"फिर हमने कहा, तुम सब यहाँ से नीचे (धरती पर) उतर जाओ.., तुम एक-दूसरे के दुश्मन हो और तुम्हें एक ख़ास वक़्त तक ज़मीन में ठहरना और वहीं गुज़र-बसर करना है।”."— सूरह अल-बक़रह 2:38
इन आयतों से साफ़ होता है कि इंसान की असली पैदाइश जन्नत में हुई,लेकिन धरती पर उसे एक इम्तिहान और एक मुद्दत तक के लिए भेजा गया।
🌍 दुनिया — एक परीक्षा की जगह
क़ुरआन कहता है:"जिसने मौत और ज़िंदगी को इसलिए पैदा किया ताकि वो तुम्हें आज़माए कि तुम में कौन बेहतर अमल करता है।"— सूरह अल-मुल्क 67:2
🌟 हदीस में क्या कहा गया
रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:इस हदीस से भी साफ़ होता है कि धरती एक इम्तिहान की जगह है,जहाँ सच्चे मोमिन अपने रब की रज़ा के लिए सब्र करते हैं,जबकि आख़िरत में उन्हें जन्नत का असली आराम मिलेगा।
🕌 विज्ञान और ईमान का संगम
अगर डॉ. सिल्वर का कहना है कि इंसान इस धरती पर “भेजा गया” है,तो इस्लाम इसे अल्लाह की हिकमत और फैसला कहता है।कुरआन कहता है कि इंसान को भेजा गया ताकि वह अपने रब को पहचाने, उसकी इबादत करे और अपनी ज़िंदगी का मक़सद पूरा करे।
وَمَا خَلَقْتُ الْجِنَّ وَالْإِنسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ
“मैंने जिन्न और इंसान को सिर्फ़ अपनी इबादत के लिए पैदा किया।”सूरह अज़-ज़ारियात 51:56
📉 क्या अब "विकासवाद" खत्म हो रहा है?
अब वैज्ञानिक भी कहने लगे हैं कि इंसान बंदर से नहीं आया, बल्कि कहीं और से आया है।
🔚 Conclussion:
इंसान पृथ्वी का निवासी नहीं लगता — न उसकी बॉडी फिट है, न उसका स्वभाव।विज्ञान अब उसी दिशा में बढ़ रहा है जो धर्म पहले से बता चुका है। यह दुनिया असली घर नहीं है — यह एक "टेस्ट सेंटर" है।वह असल में इंसान की फितरी याद है —जन्नत की, अपने असली घर की।
और अंततः:
"विज्ञान अल्लाह की तरफ़ चल पड़ा है " – अब विज्ञान भी उस सच की तरफ बढ़ रहा है, जिसे पैग़म्बरﷺ हज़ारों साल पहले बता चुके हैं। यह लेख Kya insan Zameen ki Makhlooq Hai ? कैसा लगा अपनी राय comment box में ज़रूर दें।
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FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1.Que: क्या इंसान वास्तव में पृथ्वी का निवासी नहीं है?
Ans: डॉ. एलिस सिल्वर के अनुसार, इंसान को किसी और ग्रह पर बनाया गया था और गलती के कारण उसे पृथ्वी पर भेजा गया, जो संभवतः एक सज़ा स्थल है।
Que: डॉ. एलिस सिल्वर कौन हैं?
Ans: डॉ. एलिस सिल्वर एक प्रसिद्ध अमेरिकी एकोलॉजिस्ट (पर्यावरण वैज्ञानिक) हैं, जिन्होंने अपनी किताब “Humans are not from Earth” में यह विवादित दावा किया है।
Que: इंसान के पृथ्वी पर एलियन होने के क्या प्रमाण हैं?
Ans: उनकी पीठ दर्द, सूरज की किरणों से नुकसान, मौसम में जल्दी बीमार होना, दो पैरों पर चलना और दूसरों से भिन्न DNA जैसी बातें यह संकेत देती हैं कि इंसान पृथ्वी का मूल निवासी नहीं हो सकता।
Que: क्या यह बात इस्लाम के दृष्टिकोण से मेल खाती है?
Ans: हाँ, इस्लाम में आदम (अ.स.) और हज़रत हव्वा (अ.स.) को जन्नत से पृथ्वी पर भेजा जाना बताया गया है, जो इस सिद्धांत से मेल खाती है कि इंसान को पृथ्वी पर दंडस्वरूप भेजा गया।
Que: क्या विज्ञान धीरे-धीरे धर्म के सिद्धांतों की ओर बढ़ रहा है?
Ans: जी हाँ, जैसे-जैसे वैज्ञानिक खोजें आगे बढ़ रही हैं, कई सिद्धांत धर्मों की सच्चाई की ओर संकेत कर रहे हैं, जिसे पहले केवल आस्था माना जाता था।
کیا انسان زمین کی مخلوق ہے؟ | ڈاکٹر ایلس سلور کی تحقیق، قرآن و حدیث اور سائنسی دلائل کے ساتھ مکمل جائزہ
(ایک چونکا دینے والی مگر غور طلب حقیقت)|🧬 انسان زمینی مخلوق نہیں ہے![]() |
| Deen aur Science dono ek hi sach ki taraf |
یہ سوال اس وقت پوری دنیا میں بحث کا موضوع بن گیا جب امریکہ کی مشہور ماہر ماحولیات ڈاکٹر ایلس سلور (Dr. Ellis Silver) نے اپنی کتاب "Humans Are Not From Earth" میں انسان کی تخلیق کے بارے میں ایک نیا اور چونکا دینے والا نظریہ پیش کیا۔
لیکن ڈاکٹر اَیلس سلور کا دعویٰ ایسا تھا جس نے پوری دنیا کو سوچنے پر مجبور کر دیا۔Kya insan Zameen ki Makhlooq Hai
ڈاکٹر اَیلس سلور کون ہیں؟
ان کی تحقیق کا مقصد یہ جاننا ہے کہ کیا انسان واقعی زمین کے لیے قدرتی طور پر ڈیزائن ہوا ہے؟ یا کہیں ایسا تو نہیں کہ انسان کی اصل کسی اور سیارے سے جڑی ہوئی ہے؟ ان کے کئی دلائل نہ صرف حیران کن ہیں، بلکہ کئی جگہوں پر مذہبی نظریات سے حیرت انگیز طور پر ملتے بھی ہیں۔
🌍 کیا انسان کسی اور سیارے کا باشندہ تھا؟
ڈاکٹر سلور کے مطابق انسان کی جسمانی بناوٹ اور زمین کے ماحول کے ساتھ عدم مطابقت ثابت کرتی ہے کہ:“انسان زمین کی مخلوق نہیں تھا، اسے یہاں لایا گیا ہے۔وہ کسی اور سیارے سے آیا ہوا "مہمان" ہے!وہ کہتی ہیں کہ:
انسان کی پہلی منزل — ایک VVIP مقام
ڈاکٹر سلور کہتی ہیں کہ انسان کو سب سے پہلے ایک ایسی جگہ پر پیدا کیا گیا تھا:وہاں نہ گرمی تھی نہ سردی
نہ زہریلے کیڑے تھے
نہ سورج کی خطرناک UV شعاعیں
زندگی مکمل آرام اور سکون سے بھرپور تھی
رزق بغیر محنت کے میسر تھا
انسان ایک خاص اور نرم مزاج مخلوق کے طور پر رہتا تھا
یعنی انسان کا پہلا گھر ایک VVIP جنت نما سیارہ تھا۔
ڈاکٹر سِلور کے 11 سائنسی دلائل
1️⃣ کششِ ثقل (Gravity) کا فرق
2️⃣ مستقل بیماریاں
ڈاکٹر ایلیس لکھتا ہے کہ آپ اس روئے زمین پر ایک بھی ایسا انسان دکھا دیجئیے جسے کوئی ایک بھی بیماری نہ ہو تو میں اپنے دعوے سے دستبردار ہوسکتا ہوں جبکہ میں آپ کو ہر جانور کے بارے میں بتا سکتا ہوں کہ وہ وقتی اور عارضی بیماریوں کو چھوڑ کر کسی ایک بھی مرض میں ایک بھی جانور گرفتار نہیں ہے۔
3️⃣ دھوپ میں کمزوری
جبکہ جانوروں میں ایسا کوئی ایشو نہیں ھے مہینوں دھوپ میں رھنے کے باوجود جانور نہ تو کسی جلدی بیماری کا شکار ہوتے ہیں اور نہ ہی کسی اور طرح کے مر ض میں مبتلا ہوتے ہیں جس کا تعلق سورج کی تیز شعاعوں یا دھوپ سے ہو۔
4️⃣ اجنبیت کا احساس
5️⃣ جسمانی درجہ حرارت کی کمزوری
جبکہ اسی وقت اگر بادل آ جاتے ہیں تو ان کے جسم کا ٹمپریچر سائے کے مطابق ہو جائے گا جبکہ انسان کا ایسا کوئی سسٹم نہیں بلکہ انسان بدلتے موسم اور ماحول کے ساتھ بیمار ھونے لگ جائے گا۔ موسمی بخار کا لفظ صرف انسانوں میں ھے۔
6️⃣ ڈی این اے میں فرق
7️⃣ کھانا پکا کر کھانے کی عادت
جب یہ اپنے اصل سیارے پر تھا تو وہاں اسے کھانا پکانے کا جھنجٹ نہیں اٹھانا پڑتا تھا بلکہ ہر چیز کو ڈائریکٹ غذا کیلیئے استعمال کرتا تھا۔
مزید یہ اکیلا دو پاؤں پر چلنے والا ھے جو اس کے یہاں پر ایلین ھونے کی نشانی ھے۔
8️⃣ نرم بستر کی ضرورت
انسان کو زمین پر رہنے کیلیے بہت نرم و گداز بستر کی ضرورت ھوتی ھے جبکہ زمین کے اصل باسیوں یعنی جانوروں کو اس طرح نرم بستر کی ضرورت نہیں ھوتی۔ یہ اس چیز کی علامت ھے کہ انسان کے اصل سیارے پر سونے اور آرام کرنے کی جگہ انتہائی نرم و نازک تھی جو اس کے جسم کی نازکی کے مطابق تھی۔
9️⃣ ارتقاء (Evolution) کی تردید
🔟 نازک جلد اور آرام پسندی
جیسے خوبصورت قیمتی اور مضبوط محلات مکانات اسے وہاں اس کے ماں باپ کو میسر تھے وہ اب بھی انہی جیسے بنانے کی کوشش کرتا ہے۔ جبکہ باقی سب جانور اور مخلوقات اس سے بے نیاز ہیں۔
1️⃣1️⃣ حسن و سکون کی فطرت
پھر کیا ہوا؟ — انسان سے ایک بڑی غلطی
اسی غلطی کی سزا کے طور پر اسے اس آرام دہ مقام سے نکال کر زمین پر بھیج دیا گیا —
جو نسبتاً سخت، خطرناک اور کم آرام دہ جگہ ہے۔
اور جس ہستی نے انسان کو یہاں بھیجا، وہ:
کائنات پر مکمل اختیار رکھنے والی
مخلوقات کی خالق
سزا و جزا کے فیصلے کرنے والی
ایک عظیم قوت ہے۔
یہ نظریہ انسان کو "بھیجے جانے" کے تصور کو مضبوط کرتا ہے۔
🌍 کیا زمین ایک قیدخانہ ہے؟
ڈاکٹر سلور کا کہنا ہے:"زمین شاید ایک قیدخانہ (prison planet) ہو۔"کیوں؟
یہاں زندگی مشکلات، بیماریوں، محنت اور آزمائشوں سے بھرپور ہے
ہر چیز کے لیے محنت کرنی پڑتی ہے
انسان مسلسل جدوجہد میں رہتا ہے
یہ وہ جگہ نہیں لگتی جہاں ایک VVIP مخلوق رہتی ہو
قرآن کا نظریہ — زمین آزمائش کی جگہ ہے
حقیقت یہ ہے کہ یہ بات آج انسان اپنی تحقیق کے ذریعہ بتا رہا ہے اور اسلام نے ہزاروں سال پہلے ہی بتا چکا ہے کہ انسان کو زمین پر بھیجا گیا ہے — آزمائش کے لیے۔ آئیے دلیل دیکھیں۔— سورۃ الملک 67:2
یہ ایک آزمائشی میدان ہے
یہاں دیکھا جاتا ہے کون اپنے رب کو پہچانتا ہے
کون نافرمانی میں گم ہو جاتا ہے
اور کون صبر و تقویٰ کے ساتھ رہتا ہے
یہ بات ڈاکٹر سلور کے نظریے سے حیرت انگیز طور پر ملتی ہے۔
رسول اللہ ﷺ نے دنیا کی حقیقت کیا بتائی
نبی کریم ﷺ نے فرمایا:کافر کے لیے دنیا عارضی جنت
اصل جنت آخرت میں ملے گی
دنیا مستقل گھر نہیں
یہ بھی واضح کرتا ہے کہ زمین واقعی ایک امتحان گاہ ہے، نہ کہ اصل جگہ۔
🕋 یہ سب سائنس نہیں — اسلام پہلے سے بتا چکا ہے!
جب ہم ڈاکٹر سِلور کی باتیں پڑھتے ہیں،تو ہمیں فوراً قرآنِ کریم کی تعلیمات یاد آتی ہیں۔اسلام نے ہزاروں سال پہلے وہ حقیقت بتا دی تھی جو آج سائنس دان حیرت سے دریافت کر رہے ہیں۔قرآن کہتا ہے:
اب تم زمین پر اتر جاؤ — یہ تمہارے لیے امتحان کی جگہ ہے۔”(سورۃ البقرہ: 36)
اور دوسری جگہ فرمایا:
“یہ دنیا تمہارے لیے آزمائش کی جگہ ہے،اور آخرت میں تمہیں تمہارے اعمال کا بدلہ دیا جائے گا۔”(الملک: 2)
🕌 سائنس اور ایمان — حیران کن ملاپ
تو اسلام کہتا ہے:
یعنی انسان کا اصل مقصد:
اپنے رب کو پہچاننا
اس کی عبادت کرنا
اور امتحان میں کامیاب ہونا ہے
🌟 نتیجہ (Conclusion):
آج سائنس، جو کبھی مذہب کا انکار کرتی تھی،اب خود اس مقام پر پہنچ چکی ہے جہاں وہ ماننے پر مجبور ہے کہ —"یہ دنیا انسان کا اصل گھر نہیں، بلکہ ایک عارضی قید خانہ ہے۔"اسلام کہتا ہے:"یہ زندگی محض ایک امتحان ہے، اصل زندگی آخرت میں ہے۔"(سورۃ العنکبوت: 64)
ڈاکٹر ایلس سِلور کے دلائل یہ ثابت کرتے ہیں کہ سائنس اب اس حقیقت کے قریب آ رہی ہے جسے قرآن و سنت نے صدیوں پہلے بیان کر دیا تھا۔اسلام کے مطابق انسان کی اصل جائے پیدائش "جنت" ہے —ایک ایسی جگہ جو پرسکون، حسین، اور تکلیف سے پاک تھی۔لیکن خطا کے بعد اسے زمین پر امتحان کے لیے بھیج دیا گیا۔
اگر ہم سائنسی دلائل، ڈاکٹر سلور کی تحقیق، اور قرآن و حدیث کا موازنہ کریں تو نتیجہ یہی نکلتا ہے:
✔ انسان کی اصل جگہ کوئی اور تھی
✔ زمین اس کی مستقل منزل نہیں
✔ یہاں اسے ایک خاص مقصد کے لیے بھیجا گیا
✔ یہ جگہ آزمائش کی گزرگاہ ہے
✔ اصل جنت — انسان کی حقیقی منزل — آزمائش کے بعد ملے گی
یہ بات انسان کے فطری احساس سے بھی ملتی ہے کہ ہم یہاں مسافر ہیں — اور ہمارا اصل گھر کہیں اور ہے۔
FAQs:
1. سوال: کیا واقعی انسان اِس زمین کا رہنے والا نہیں ہے؟
جواب:
ڈاکٹر ایلِس سلور کے مطابق انسان کسی اور سیارے پر بنایا گیا تھا، اور ایک غلطی یا سزا کے نتیجے میں اسے زمین پر بھیج دیا گیا، جو شاید آزمائش کی جگہ ہے۔
2. سوال: ڈاکٹر ایلِس سلور کون ہیں؟
جواب:
ڈاکٹر ایلِس سلور ایک مشہور امریکی ماہر ماحولیات (Ecologist) ہیں۔ اپنی کتاب "Humans are not from Earth" میں انہوں نے یہ چونکا دینے والا دعویٰ کیا کہ انسان زمین کا اصل باشندہ نہیں ہے۔
3. سوال: ڈاکٹر سلور کے پاس کیا ثبوت ہیں کہ انسان زمین کا باسی نہیں؟
جواب:ان کے مطابق چند چیزیں یہ بتاتی ہیں کہ انسان زمین کے لیے "قدرتی" مخلوق نہیں:
کمر کا درد ہونا
سورج کی دھوپ سے جلد جل جانا
موسم بدلتے ہی جلد بیمار ہو جانا
دو پیروں پر چلنا
اور انسان کا منفرد DNA
یہ سب اشارہ دیتے ہیں کہ انسان کی اصل کسی اور جگہ ہو سکتی ہے۔
4. سوال: کیا یہ نظریہ اسلام کی تعلیم سے ملتا ہے؟
جواب:
جی ہاں، اسلام میں بیان ہے کہ حضرت آدمؑ اور اماں حوّاؑ کو جنت سے زمین پر بھیجا گیا۔ یعنی انسان کی اصل جنت ہے اور زمین آزمائش کی جگہ۔ یہ بات ڈاکٹر سلور کے دعوے سے کئی لحاظ سے ملتی جلتی ہے۔
5. سوال: کیا سائنس آہستہ آہستہ مذہب کے نظریات کے قریب آ رہی ہے؟
جواب:
جی ہاں، آج بہت سے سائنسی نظریات اور تحقیقات ایسے نتائج دکھا رہی ہیں جو پہلے صرف مذہب میں بیان کیے گئے تھے۔ وقت کے ساتھ سائنس انہی سچائیوں کی طرف بڑھتی دکھائی دیتی ہے جنہیں پہلے صرف ایمان کی بات سمجھا جاتا تھا۔
6. سوال: کیا زمین واقعی سزا کی جگہ ہو سکتی ہے؟
جواب:
ڈاکٹر سلور کے مطابق ایسا ممکن ہے — جبکہ مذہب بھی یہی کہتا ہے کہ دنیا آزمائش کی جگہ ہے۔


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