Rishton me Kadwahat Kab aur kyun Aati hai?/रिश्तों में कड़वाहट कब और क्यों आती है?

"रिश्तों में सबसे पहली और आम वजह कड़वाहट की "गलतफहमी" होती है। अक्सर लोग किसी की बात को बिना पूरा सुने, या किसी और के कहे पर यकीन करके अपने ही करीबी इंसान से दूरी बना लेते हैं।

Rishton me Kadwahat Kab aur kyun Aati hai?/रिश्तों में कड़वाहट कब और क्यूँ आती है?

Rishton ki Na Qadri
Rishton me Kadwahat kyun 


रिश्ते हमारी ज़िन्दगी की ज़रूरत भी हैं और खूबसूरती भी। लेकिन ये नाज़ुक भी होते हैं, चाहे वो खून के रिश्ते हों या मियां बीवी के, जब तक उनमें समझदारी, एतबार और मोहब्बत कायम रहती है, तब तक वो फूलों की तरह महकते हैं 
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    और अगर सही तरीके से संभाले ना जाएँ ,जब इन बुनियादों में दरार आ जाए तो उनमें कड़वाहट आ सकती है। चाहे वो दोस्ती का रिश्ता हो, खून का या मियां-बीवी का — हर रिश्ता तब तक ही मजबूत है जब तक उसमें मोहब्बत, एतबार, और इज़्ज़त हो।
    इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि Rishton me Kadwahat Kab aur kyun Aati hai? खासतौर पर मियां-बीवी के रिश्ते में, और इससे कैसे बचा जा सकता है۔ 
    कभी-कभी रिश्तों में बाहरी लोगों की राय या दखल, जहर का काम करती है। जब हम अपनों की बातों को छोड़कर दूसरों की सुनी-सुनाई बातों पर अमल करने लगते हैं, तो गलतफहमियां और कड़वाहट दोनों बढ़ने लगती हैं।

    1. ग़लतफहमियाँ – जब बात पूरी सुने बिना फैसला किया जाए

    रिश्तों में सबसे पहली और आम वजह कड़वाहट की "गलतफहमी" होती है। अक्सर लोग किसी की बात को बिना पूरा सुने, या किसी और के कहे पर यकीन करके अपने ही करीबी इंसान से दूरी बना लेते हैं।
    कई बार हम सामने वाले की बात को सही तरह समझे बिना, दूसरों की सुनी-सुनाई बातों पर यकीन कर लेते हैं — और यही ग़लतफहमी रिश्ते को ज़हर बना देती है।

    मिसाल:
    बीवी को लगे कि शौहर उसका साथ नहीं देता क्योंकि वो वक़्त नहीं दे रहा, लेकिन हो सकता है कि वो किसी दिमागी दबाव में हो,किसी काम की वजह से परेशान हो। ऐसे में शक दिल में घर कर जाता है। और जब एक बार शक पैदा हो जाए तो शैतान तो तैयार ही बैठा है  बाक़ी काम को पूरा करने के लिए। 

    हल:
    हर बात का हल है – मगर पहले सुनिए, फिर सोचिए। जवाब देने से पहले समझना ज़रूरी है।

    दूसरी मिसाल :
    अगर एक दोस्त आपके मैसेज का जवाब नहीं देता, तो आप सोच लेते हैं कि वो बदल गया है या आपको अहमियत नहीं देता। मगर हो सकता है वो किसी परेशानी में हो या बिज़ी हो।

    हल: खुलकर बात करना। अगर किसी बात से ठेस पहुंची है तो खुलकर उसी इंसान से पूछना चाहिए ना कि दूसरों से गिला-शिकवा करना।

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    उम्मीदों का बोझ:


    जब हम किसी से जरूरत से ज़्यादा उम्मीदें लगाने लगते हैं और वो पूरी नहीं होतीं, तो दिल टूटता है और फिर वही मोहब्बत कड़वाहट में बदलने लगती है।

    मिसाल:
    पति-पत्नी का रिश्ता, जहाँ एक फ़रीक़ चाहता है कि दूसरा हर बात में उसकी पसंद का ख्याल रखे, और जब ऐसा नहीं होता तो शिकायतें शुरू हो जाती हैं। और जब शिकवे शिक़ायत शुरू हो तो फिर रिश्तों में कड़वाहट आने ही लगती है। 

    हल:
     उम्मीदें रखना बुरा नहीं, मगर हकीकत के दायरे में। साथ ही ये समझना कि हर इंसान अलग है और हर वक्त आपकी सोच के मुताबिक नहीं चल सकता।

    2. बातचीत की कमी – जब ख़ामोशी ज़हर बन जाए


    जब लोग एक-दूसरे से खुलकर बात करना छोड़ दें, तो शक, ग़लतफहमियाँ और दूरियाँ खुद-ब-खुद बढ़ने लगती हैं।

    मिसाल:
    मियां-बीवी के बीच जब कोई परेशानी हो, किसी मुआमला में हुज्जत तकरार हो मगर कोई बात ना करे, सिर्फ मान-मनौवल की उम्मीद रखे, तो वो दूरी बढ़ती जाती है।

    हल:
    हर रिश्ते में बातचीत सबसे ज़रूरी है। जो बातें दिल में रहती हैं, वो दीवार बन जाती हैं। उसे पहले ही साफ़ कर देना बेहतर है।


    3. तवज्जो और एहसास की कमी – जब रिश्ते आदत बन जाएं

    रिश्तों में तवज्जो देना ऐसा ही है जैसे पौधों को पानी देना। जब हम अपने मियां/बीवी या किसी भी अपने को अहमियत देना छोड़ दें, तो उन्हें अपनी जगह पर शक होने लगता है। 

    मिसाल:
    बीवी दिन भर काम करती है, मगर मियां सिर्फ कमियाँ निकालते हैं। या मियां मेहनत करते हैं मगर बीवी तन्कीद ही करती है।

    हल:
    एक दूसरे की तारीफ कीजिए, शुक्रिया अदा कीजिए। छोटा-सा जुमला: “तुम हो, इसलिए सब ठीक है” — बहुत कुछ सँवार सकता है।

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    4. अहंकार – मैं सही, तुम ग़लत

    जब इंसान "मैं सही हूँ" के जाल में फंस जाता है, तो रिश्तों की मिठास धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। माफ़ी मांगने या माफ़ करने में जब इगो आड़े आता है, तब कड़वाहट जन्म लेती है।
    जब हर बहस में जीतना मकसद बन जाए, तब रिश्ते हार जाते हैं। खासकर मियां-बीवी के बीच अगर माफ़ी माँगना “कमज़ोरी” समझा जाए, तो कड़वाहट लाज़मी है।

    मिसाल:
    बीवी कहे: “हमेशा मैं ही क्यों झुकूं?” और मियां कहे: “गलती मेरी नहीं थी।” — तो मसला हल होने के बजाय बढ़ता है। ऐसे वक्त और मुआमला में एक दूसरे के साथ समझदारी से काम न लिया जाए तो रिश्ते खराब होने लगते हैं ,दूरियां आने लगती हैं। 

    हल:
    रिश्ते "मैं" और "तू" से नहीं, "हम" से चलते हैं। झुकना हर बार हार नहीं होती, कई बार वो मोहब्बत की जीत होती है। कोई एक फ़रीक़ खामोश हो जाए झुक जाए तो रिश्ते बने रहते हैं। 

    दूसरी मिसाल:
    दो भाई किसी मामूली बात पर बहस करते हैं और दोनों में से कोई झुकने को तैयार नहीं होता। वक़्त बीत जाता है, बात छोटी रह जाती है मगर दिल में दूरी गहरी हो जाती है।

    हल: रिश्ते अहम होते हैं, अहंकार नहीं। अगर रिश्ते बचाने हैं तो झुकने में बुराई नहीं।


    5. बाहरी दखल – घर के रिश्ते, घर में ही रहें

    कभी-कभी रिश्तों में बाहरी लोगों की राय या दखल, जहर का काम करती है। जब हम अपनों की बातों को छोड़कर दूसरों की सुनी-सुनाई बातों पर अमल करने लगते हैं, तो गलतफहमियां और कड़वाहट दोनों बढ़ने लगती हैं।

    मिसाल:
    जब मिया बीवी या अपनों के बीच तीसरे लोग गलत बातें पहुंचाते हैं तो इनके बीच शक और दूरी पैदा हो जाती है।अगर मिया बीवी हर छोटी बात अपने दोस्तों या सहेलियों से शेयर करे या हर झगड़े पर दूसरों से राय ले — तो बात फैल जाती है।

    हल: अपने रिश्तों की बात खुद ही सुलझाएं। बाहरियों को सलाह देने तक सीमित रखें, फैसले खुद करें। तीसरा कोई भी हो जरूरी नहीं कि वो आप को सही राय दे। 

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    6. वक़्त ना देना – सबसे बड़ा फासला

    हर रिश्ता तवज्जो चाहता है। जब हम अपने अपनों को वक़्त नहीं देते, उनकी बातें नहीं सुनते, तो उन्हें एहसास होता है कि अब उनकी कोई अहमियत नहीं रही।
    वक़्त ना देना, किसी अपने को धीरे-धीरे पराया बना सकता है। मियां-बीवी के लिए वक़्त का हिस्सा बनाना सिर्फ साथ बैठने तक नहीं, बल्के साथ महसूस करने तक होना चाहिए।

    मिसाल:
    शौहर घर आते ही टीवी या मोबाइल में खो जाता है और बीवी दिनभर इंतजार करती है कि आज शायद दो बातें हो जाएँ। या शौहर घर आए और बीवी शौहर को वक्त न दे और कामों में मसरूफ़ रहे। तब रिश्तों में दूरी और कड़वाहट आती है। 

    हल:
    हर रोज़ 10 मिनट भी दिल से दिए जाएं, तो रिश्ते हमेशा ज़िंदा रहते हैं। रिश्तों को बराबर वक्त दें ज्यादा नहीं तो थोड़ा ही पर हमेशा ,इससे रिश्तों में मुहब्बत बढ़ती है। 

    दूसरी मिसाल:
    माता-पिता जब बुज़ुर्ग हो जाते हैं और बच्चे अपनी जिंदगी में व्यस्त हो जाते हैं, तो वो खुद को अकेला और बेज़ार महसूस करते हैं।
    हल: वक़्त देना कोई बड़ा तोहफा नहीं, मगर इसका असर बहुत गहरा होता है। रोज़ाना का चंद मिनट भी रिश्तों को ताज़ा रखता है।


    7. माज़ी की बातें दोहराना – पुराने घाव फिर से खोलना


    कभी-कभी लोग पुरानी ग़लतियाँ बार-बार याद दिलाते हैं — चाहे वो माफ कर चुके हों या नहीं। ये आदत रिश्तों को खोखला करती है। 

    मिसाल
    इंसान गलती का पुतला है,हर इंसान से कभी न कभी कुछ गलती जाने अनजाने में हो ही जाती है। उस ग़लती और गुजरे वक्त को भूल जाना ही बेहतर है। 

    हल:

    अगर माफ़ किया है, तो दोबारा ना उछालें। और अगर नहीं कर सके, तो सामने बैठकर उस मसले को खत्म करें। घाव तभी भरते हैं जब उन्हें कुरेदा ना जाए।

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    रिश्तों की खूबसूरती वक्त देने से बढ़ती है | माफ करना और माफी मांगना रिश्तों को मजबूत बनाता है | मियां-बीवी के रिश्ते में सब्र और शुकर सबसे बड़ा हथियार है | वक्त रहते रिश्तों की कद्र करें, क्योंकि गुज़रा हुआ वक्त वापस नहीं आता |

    Conclusion:

    रिश्ते कोई मशीन नहीं होते कि बस चलते रहें। Rishton me Kadwahat Kab aur kyun Aati hai? आप समझ गए होंगे। रिश्तों को समझें, इन्हें सब्र, मोहब्बत और एतबार से सींचा जाता है। जब इन चीज़ों की कमी हो जाती है, तब रिश्तों में कड़वाहट पैदा होती है।अगर इंसान चाहे तो हर टूटा रिश्ता दोबारा जोड़ा जा सकता है — बस दिल में नीयत और जुबान में सच्चाई होनी चाहिए।
    रिश्ते तामीर करने में सालों लगते हैं, मगर तोड़ने के लिए एक लहजा ही काफी होता है। मियां-बीवी का रिश्ता तो खासतौर पर ऐसा है जो मोहब्बत, सब्र, कदर और बातचीत का तकाज़ा करता है। अगर वक्त रहते इन छोटी बातों को समझ लिया जाए, तो रिश्तों में कभी कड़वाहट नहीं आएगी — बल्कि वो हर रोज़ और मजबूत होंगे।

    आपकी राय क्या है?

    क्या आपने भी रिश्तों में कभी ऐसी कड़वाहट महसूस की है? उसे कैसे हल किया? नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें।


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    FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    1. रिश्तों की क़दर क्यों करनी चाहिए?
    रिश्ते हमारी जिंदगी में सहारा और खुशी का सबसे बड़ा ज़रिया होते हैं। अगर हम उनकी कद्र नहीं करेंगे, तो एक दिन पछताना पड़ेगा क्योंकि टूटे हुए रिश्ते और गुज़रा वक्त वापस नहीं आता।
    2. मियां-बीवी के रिश्ते में वक्त देना क्यों ज़रूरी है?
    मियां-बीवी का रिश्ता प्यार, एतबार और समझदारी पर टिकता है। वक्त देना मोहब्बत को गहरा करता है और गलतफहमियों को दूर करता है।  
    3. अगर रिश्तों में दूरी आ जाए तो क्या करें?
    सबसे पहले पेशकदमी करें, माफी मांगें या माफ करें। खुल कर बात करें और रिश्तों को फिर से सँवारने की कोशिश करें।
    4. मियां-बीवी के बीच मोहब्बत बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?
    छोटी-छोटी खुशियों को साझा करना, एक-दूसरे की बात सुनना और एहसासात का लिहाज़ करना मोहब्बत को बढ़ाता है।
    5.  अगर कोई रिश्ता निभाना मुश्किल हो जाए तो?
    सब्र, दुआ और सलाहियत से काम लेना चाहिए। रिश्ते को खत्म करने से पहले पूरी कोशिश करनी चाहिए कि उसे बचाया जाए।
    6.  मियां-बीवी के झगड़े को कैसे संभालें?
    गुस्सा आने पर खामोशी अख्तियार करें, वुज़ू करें, और सुलह का रास्ता अपनाएं। रसूलुल्लाह ﷺ ने गुस्से को आग बताया है जिसे पानी (वुज़ू) से बुझाना चाहिए। 
    7. रिश्तों में बरकत लाने के लिए कौन सी दुआ पढ़ें?
    रब्बना हब लना मिन अज़्वाजिना व ज़ुर्रियातिना कुर्रता अय्युन (सूरह फुरकान: 74)
    8. मियां-बीवी को आपस में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
    इज्जत, शुक्रिया, माफी और एहसासात की कद्र सबसे अहम हैं।
    9.  रिश्तों में कड़वाहट की सबसे अहम वजह क्या है?
    ग़लत फ़हमियाँ और शक, ये सबसे बड़ी वजह है। अगर खुल कर एक दूसरे से न बोलें ,न पूछें तो छोटी छोटी बातें दिल में बैठ जाती हैं और वक्त के साथ कड़वाहट बढ़ाती है
    10. रिश्ते में दरार आए तो इस्लाम क्या सिखाता है?
    इस्लाम सुलह को बेहतर बताता है: "और सुलह बेहतर है।" (सू रह अन-निसा: 128)

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