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Bimariyon se bachne ki Duaayein /बिमारियों से हिफ़ाज़त की दुआएं

بِسْـــــــــــــــــــــــمِ اللہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ

Bimariyon se bachne ki Duaayein


Bimariyon se bachne ki Duaayein
Bimariyon se bachne ki Duaayein

हर तरह की Bimariyon se bachne ki Duaayein क़ुरआन और सुन्नत की रौशनी में पढें और अ़मल करें और इसके साथ साथ शिफा वा हिफ़ाज़त की दुआएं भी जाने और अपनी अज़कार और दुआओं में भी शामिल करें!


    Duniya aur aakhirat ki aafiyat ke liye Dua 

     اَللّٰهُمَّ إِنِّيْ أَسْئَلُكَ الْعَافِيَۃَ وَالْمُعَافَاۃَ فِي الدُّنْيَا وَ الْاٰخِرَۃِ

     अल्लाहुम्म इन्नी अस्अलुक ल्आफियत वल्मुआफात फी द्दुन्या वल्आखिरह। (तिर्मिज़ी : 3512 )  

    तर्जमा :  ए अल्लाह मैं आपसे दुनिया व आख़िरत की आफियत तलब करता हूं । 

    फज़ीलत :  एक शख्स ने हुज़ूर ﷺ की ख़िदमत में आकर अर्ज़ किया के ए अल्लाह के रसूल! सबसे बेहतर दुआ कौन सी है? आप ﷺ ने दर्जे बाला दुआ मांगने की तलकीन फरमाई । दूसरे दिन भी उसने आकर यही सवाल किया । आप ﷺ ने उसे यही दुआ बताई । जब तीसरे दिन आकर उसने यही सवाल किया, तो आप ﷺ ने यही दुआ बताई और फरमाया : जब तुम्हें दुनिया व आखिरत की आफियत मिल गई, तो तुम काम्याब हो गए । 

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    Bimaari se mukammal shifa

    أَذْھِبِ الْبَأْسَ رَبَّ النَّاسِ اِشْفِ وَ أَنْتَ الشَّافِيْ لَا شِفَاءَ إِلَّا شِفَاءُكَ شِفَاءً لَّا یُغَادِرُ سَقَمًا

     अज़्हिबिल बअ्स रब्ब न्नासि इश्फि व अन्त श्शाफी ला शिफाअ इल्ला शिफाउक शिफाअन ला युगादिरु सकमन  (बुखारी : 5675)  

    तर्जमा :  ए लोगों के रब! आप तकलीफ को दूर कर दीजीये और शिफा अता फरमाइये, आप ही शिफा अता करने वाले हैं, आपकी शिफा के सिवा कोई शिफा नहीं है, ऐसी शिफा अता फरमाइये, जो बीमारी को बिलकुल बाकी न रेहने दे । 

    फज़ीलत :  रसूलुल्लाह ﷺ जब किसी बीमार की इयादत के लिये जाते या आप की खिदमत में बीमार को लाया जाता, तो आप ﷺ यह दुआ देते । 


    Bimariyon se bachne ki Duaayein
    Bimariyon se bachne ki Duaayein


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    Badan ki salaamati ki Dua

    اَللّٰهُمَّ عَافِنِيْ فِيْ بَدَ نِيْ، اَللّٰھُمَّ عَافِنِيْ فِيْ سَمْعِيْ، اَللّٰھُمَّ عَافِنِيْ فِيْ بَصَرِيْ، لَاۤ إِلٰہَ إِلَّا أَنْتَ

     अल्लाहुम्म आफिनी फी बदनी, अल्लाहुम्म आफिनी फी सम्ई, अल्लाहुम्म आफिनी फी बसरी, ला इलाह इल्लाह अन्त (सुबह व शाम 3 मरतबा पढ़ें)

    तर्जमा :  ए अल्लाह! मेरे बदन को दुरुस्त रखिये, ए अल्लाह! मेरे कान आफियत से रखिये, ए अल्लाह! मेरी आंखें आफियत से रखिये, आप के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं ।  (अबू दावूद : 5090)  

    फज़ीलत :  रसूलुल्लाह ﷺ रोज़ाना सुबह व शाम के वक्त ये दुआ तीन तीन बार पढा करते थे ।  

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    Har tarah ki bimariyon se hifazat ki dua

    اَللّٰھُمَّ إِنِّيْ أَعُوْذُبِكَ مِنَ الْجُنُوْنِ وَالْجُذَامِ وَالْبَرَصِ وَسَيِّ ءِ الْأَسْقَامِ

     अल्लाहुम्म इन्नी अऊज़ुबिक मिनल्जुनूनि वल्जुज़ामी वल्बरसी व सय्यिइल अस्काम । 

    तर्जमा :  ए अल्लाह! मैं तेरी पनाह में आता हूं पागलपन, कोढ, बरस (सफैद दाग लगने की बीमारी) और तमाम बुरी बीमारीयों से ।  (नसई : 5493)  

    फज़ीलत :  हुज़ूर ﷺ ये दुआ पढा करते थे ।  

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    Moseebat zadah ko dekh kar padhne ki Dua

    اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ الَّذِيْ عَافَانِيْ مِمَّا ابْتَلَاكَ بِہٖ،وَفَضَّلَنِيْ عَلٰی کَثِیْرٍ مِّمَّنْ خَلَقَ تَفْضِیْلًا

     अल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी आफानी मिम्मब्तलाक बिही, वफज़्ज़लनी अला कसीरि म्मिम्मन खलक तफ्ज़ीला ।  (तिर्मिज़ी : 3432 )  

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    Sehat aur paak damni hasil karne ki dua

    اَللّٰھُمَّ إِنِّيْ أَسْئَلُكَ الصِّحَّۃَ، وَالْعِفَّۃَ، وَالْأَمَانَۃَ، وَحُسْنَ الْخُلُقِ، وَالرِّضَا بِالْقَدْرِ

     अल्लाहुम्म इन्नी अस्अलुक स्सिह्हत, वल्इफ्फत, वल्अमानत, व हुस्न ल्खुलुकि, वर्रिज़ा बिल्कद्री । 

     (अदबुल मुफरद : 307)  

    तर्जमा :  ए अल्लाह! मैं आपसे तंदुरुस्ती, पाक दामनी, अमानतदारी, अच्छे अख्लाक और तकदीर पर रज़ामंदी मांगता हूं । 

    फज़ीलत :  हुज़ूर ﷺ कस्रत से ये दुआ मांगा करते थे ।  

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    Bukhar khatm karne ki dua

    اِكْشِفِ الْبَأْسَ، رَبَّ النَّاسِ، إِلٰہَ النَّاسِ

     इक्शिफिल बअ्स, रब्ब न्नासि, इलाह न्नास 

      (इब्ने माजा : 3473)  

    तर्जमा :  ए लोगों के परवरदिगार! लोगों के मअबूद! परेशानी को दूर फर्मा । 

    फज़ीलत :  हज़रत अम्मार ﷜ के बेटे को बुखार था, तो रसूलुल्लाह ﷺ ने उन को ये दुआ दी ।  

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    khaatima bikhair ke liye dua

    اَللّٰھُمَّ أَحْیِنِيْ مَا کَانَتِ الْحَیَاۃُ خَیْرًا لِيْ وَتَوَفَّنِيْ إِذَا کَانَتِ الْوَفَاۃُ خَیْرًالِيْ

     अल्लाहुम्म अहयिनी मा कानति ल्हयातु खैरन ली व तवफ्फनी इज़ा कानति ल्वफातु खैरन ली । 

     (इब्ने माजा : 3522)  

    तर्जमा :  ए अल्लाह! तू मुझे ज़िंदा रख, जब तक मेरा ज़िंदा रेहना मेरे हक में बेहतर हो और मुझे मौत दे दे, अगर मौत मेरे हक में बेहतर हो । 

    फज़ीलत :  रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया : तकलीफ और परेशानी की वजह से मौत की हरगिज़ आरज़ू मत करो, अगर तुम यही चाहते हो, तो इस तरह दुआ करो ।  

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    Nazar e Bad aur Hasad se Shifa 

    بِسْمِ اللّٰہِ یُبْرِیْكَ، وَمِنْ کُلِّ دَاءٍ یَشْفِیْكَ، وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ، وَشَرِّکُلِّ ذِيْ عَیْنٍ

     बिस्मिल्लाहि युब्रीक, व मिन कुल्लि दाइन यश्फीक, व मिन शर्रि हासिदिन इज़ा हसद, वशर्रि कुल्लि ज़ी एैनिन। (मुस्लिम : 5828)  

    तर्जमा :  मैं अल्लाह के नाम से दम करता हूं, जो आपकी तमाम तकलीफों को दूर कर देगा और हर बीमारी से आप को शिफा देगा और हर हसद करने वाले के हसद से और हर नज़रे बद वाले की बद नज़री से आप को शिफा देगा । 

    फज़ीलत :  हज़रत आइशा  बयान करती हैं के जब रसूलुल्लाह ﷺ बीमार हुवे, तो हज़रत जिब्रईल  ने इस दुआ को पढ कर दम किया ।  

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    Takleef door karne ki dua

    اِمْسَحِ الْبَأْسَ رَبَّ النَّاسِ، بِیَدِكَ الشِّفَاءُ، لَا کَاشِفَ لَہٗ إِلَّا أَنْتَ

     इम्सहिल बअस रब्बन्नासि, बियदिक श्शिफाउ, ला काशिफ लहू इल्ला अन्त। (बुखारी : 5744)  

    तर्जमा :  ए इन्सानों के परवरदिगार! तकलीफ को दूर फरमा, तेरे ही हाथ में शिफा है, तेरे सिवा तकलीफ को दूर करने वाला कोई नहीं । 

    फज़ीलत :  नबिये करीम ﷺ इस दुआ़ को पढ़ कर दम किया करते थे । 

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    Har qism ki aafiyat ke liye Dua 

    اَللّٰهُمَّ إِنِّيْ أَسْئَلُكَ الْعَفْوَ وَالْعَافِيَۃَ فِي الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَۃِ

     अल्लाहुम्म इन्नी अस्अलुक ल्अफ्व वल्आफियत फी द्दुन्या वल्आखिरह । (अबू दावूद : 5074 )  

    तर्जमा :  ए अल्लाह! मैं आपसे दरगु़जर और आफियत मांगता हूं दुनिया और आखिरत में फज़ीलत :  हुज़ूर ﷺ हमेशा सुबह व शाम ये दुआ पढा करते थे ।  

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    Pareshani ke waqt padhne ki dua

     نِعْمَ الْمَوْلٰی وَنِعْمَ النَّصِیْرُ, حَسْبُنَا اللّٰہُ وَنِعْمَ الْوَکِیْلُ 

     हस्बुनल्लाहु वनिअ्म ल्वकील , निअ्म ल्मौला व निअम न्नसीर  

      (1) (बुखारी : 4563 )  (2) (सूर-ए-अन्फाल : 40)  

    तर्जमा :   (1) हमारे लिये अल्लाह काफी है और वो बेहतरीन काम बनाने वाला है । 

     (2) अल्लाह तआला बेहतरीन रखवाला और बेहतरीन मददगार है ।  

    फज़ीलत :  जब किसी मुसीबत या बला का अंदेशा हो, तो इस दुआ को कस्रत से पढे ।  

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    Bukhar aur har tarah ki dard ke liye dua 

    بِسْمِ اللّٰہِ الْکَبِیْرِ أَعُوْذُ بِاللّٰہِ الْعَظِیْمِ مِنْ شَرِّ عِرْقٍ نَعَّارٍ وَمِنْ شَرِّ حَرِّ النَّارِ

     बिस्मिल्लाहि ल्कबीरि अऊज़ु बिल्लाहि ल्अज़ीमि मिन शर्रि इर्कि न्नअ्आरिन व मिन शर्रि हर्रि न्नार ।  (तिर्मिज़ी, 2075 )  

    तर्जमा :  अल्लाह बुज़ुर्ग व बरतर का नाम लेकर अज़मत वाले अल्लाह की पनाह चाहता हूं, जोश मारने वाली रग की बुराई से और जहन्नम की गर्मी की बुराई से । 

    फज़ीलत :  रसूलुल्लाह ﷺ सहाबा को बुख़ार और हर किस्म के दर्द से शिफा के लिये ये दुआ सिखाते थे ।  

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    Jism me kisi jagah dard ho to ye Dua padhen 

    أَعُوْذُ بِعِزَّةِ اللّٰہِ وَقُدْرَتِہٖ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ

     अऊज़ु बिइज़्ज़तिल्लाहि व कुदरतिही मिन शर्रि मा अजिदु व उहाज़िरु (इब्ने माजा : 3522 )  

    तर्जमा :  मैं अल्लाह की इज़्ज़त और उस की कुदरत की पनाह चाहता हूं हर उस तकलीफ से जो मुझे पहुंची है और जिस से मैं डरता हूं । 

    फज़ीलत :  हज़रत उस्मान बिन अबूल आस ने रसूलुल्लाह ﷺ की खिदमत में हाज़िर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया, तो रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया : जहां दर्द होता हो, वहां दाहिना हाथ रख कर तीन बार बिस्मिल्लाह और सात मरतबा ये दुआ पढ़ो, चुनांचे मैंने ऐसा ही किया, तो अल्लाह तआला ने मेरी तकलीफ दूर कर दी ।  

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    Nuqsaan se bachne ki dua

    بِسْمِ اللّٰہِ الَّذِيْ لَا یَضُرُّ مَعَ اسْمِہٖ شَيْ ءٌ فِي الْأَرْضِ وَلَا فِي السَّمَا ِ ٔ  وَ ھُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ

     बिस्मिल्लाहि ल्लज़ी ला यज़ुर्रु मअस्मिही शैउन फिल्अर्ज़ि व ला फिस्समाइ व हुवस्समीउल अलीम । 

     (तिर्मिज़ी : 3388 )  सुबह व शाम 3 मरतबा पढ़ें

    तर्जमा :  अल्लाह के नाम के साथ; जिस के नाम की बरकत से कोई चीज़ नुकसान नहीं पहुंचाती, ज़मीन में और न आस्मान में और वही खूब सुनने वाला, बड़ा जानने वाला है । 

    फज़ीलत :  रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया : जो शख्स सुबह व शाम तीन मरतबा यह दुआ पढ़ लिया करे, उसे कोई चीज़ नुक़सान नहीं पहुंचा सकती ।  

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    Bure haalat se bachne ki dua

    اَللّٰھُمَّ إِنِّيْ أَعُوْذُبِكَ مِنَ الْبُخْلِ وَالْجُبْنِ وَأَعُوْذُبِكَ مِنْ سُوْءِ الْعُمُرِ، وَأَعُوْذُبِكَ مِنْ فِتْنَۃِ الصَّدْرِ، وَأَعُوْذُبِكَ مِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ

     अल्लाहुम्म इन्नी अऊज़ुबिक मिन ल्बुख्लि वल्जुब्नि व अऊज़ुबिक मिन सूइल उमुरि, व अऊज़ुबिक मिन फित्नति स्सदरि, व अऊज़ुबिक मिन अज़ाबि ल्कब्रि ।   (नसई : 5497)  

    तर्जमा :  ए अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता हूं कंजूसी और बुज़दिली से और मैं तेरी पनाह चाहता हूं बुरी ज़िंदगी से और मैं तेरी पनाह चाहता हूं दिल की बीमारी से और मैं तेरी पनाह चाहता हूं अज़ाबे कब्र से । 

    फज़ीलत :  अल्लाह के रसूल ﷺ इन 5 चीजों से पनाह मांगते थे ।  

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    Aazmaish se bachne ki dua

    اَللّٰهُمَّ إِ نِّيْ أَعُوْذُ بِكَ مِنْ جَهْدِ الْبَلَاءِ وَدَ رَكِ الشَّقَاءِ وَسُوْءِ الْقَضَاءِ وَشَمَاتَةِ الْأَعْدَاءِ

     अल्लाहुम्म इन्नी अऊज़ुबिक मिन्जहदिल बलाइ व दरकि श्शकाइ व सूइल कज़ाइ व शमाततिल अअदाइ ।  (बुखारी : 6347)  

    तर्जमा :  ए अल्लाह! मैं आज़माइश की सख्ती से, बद बख्ती के आ जाने से, बुरी तकदीर से और दुश्मनों के ताने से तेरी की पनाह चाहता हूं । 

    फज़ीलत :  रसूलुल्लाह ﷺ यह दुआ पढा करते थे ।  

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    Gham aur Pareshani Door karne ki Dua

    یَا حَيُّ یَا قَيُّوْمُ بِرَحْمَتِكَ أَسْتَغِيْثُ

     या हय्यु या कय्यूमु बिरहमतिक अस्तगीसु ।   (तिर्मिज़ी : 3524 ) 

    तर्जमा :  ए हमेशा ज़िन्दा रेहने वाले, सब को थामने वाले! मैं तेरी रहमत की उम्मीद के साथ तुझ से फरयाद करता हूँ । 

    फज़ीलत :  रसूलुल्लाह ﷺ को जब कोई गम या परेशानी लाहिक होती, तो यह पढा करते 

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    Tamaam zaruraton ka hal

    حَسْبِيَ اللّٰہُ لَاۤ إِلٰـہَ إِلَّا ھُوَ، عَلَيْہِ تَوَکَّلْتُ وَ ھُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ

     हस्बियल्लाहु लाइलाह इल्ला हुव अलैहि तवक्कल्तु वहुव रब्बुल अर्शिल अज़ीम !सुबह व शाम 7 मरतबा पढ़ें !

    तर्जमा :  मेरे लिये अल्लाह तआला काफी है जिस के अलावा कोई मअ्बूद नहीं, उस पर मैंने भरोसा किया और वह अर्शे अज़ीम का रब है । 

    फज़ीलत :  हज़रत अबू दर्दा  फ़रमाते हैं कि जो शख़्स सुबह शाम ७ मर्तबा ये दुआ पढ़ ले, तो अल्लाह ताला दुनिया आख़िरत के रंज ग़म से इस की किफ़ायत फ़रमाएँगे।

     Achanak ke azaab se bachne ki dua

    اَللّٰھُمَّ إِ نِّيْ أَعُوْذُبِكَ مِنْ زَوَالِ نِعْمَتِكَ،وَتَحَوُّلِ عَافِیَتِكَ، وَفُجَاءَۃِ نِقْمَتِكَ،وَجَمِیْعِ سَخَطِكَ

     अल्लाहुम्म इन्नी अऊज़ुबिक मिन्ज़वालि निअ्मतिक, व तहव्वुलि आफियतिक, व फुजाअति निक्मतिक, व जमीइ सखतिक । (मुस्लिम : 7120)  

    तर्जमा :  ए अल्लाह! मैं तेरी नेअ्मत के जाते रेहने, आफियत के बदल जाने, अचानक तेरा अज़ाब आ जाने और तेरी तमाम नाराज़गियों से पनाह चाहता हूँ । 

    फज़ीलत :  रसूलुल्लाह ﷺ यह दुआ पढा करते थे 

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    Continue:.......

    Conclusion:

    Hamare pyare Nabi ﷺ ke zariya Qur'an aur hadees se bahut saari Bimariyon se bachne ki Duaayein mili hain.Hame Apne subah o Shaam ke Azkaar me inhe bhi saamil Karna chahiye taaki hum kayi ek bimariyon se shifa paayen aur mahfooz rahen.

    Allah Rabbul izzat se Dua hai Jo bhi bimaar ya pareshan haal hain unhe mukammal shifa de aur hifazat farmaye. Aameen


    👍🏽        ✍🏻         📩         📤

    ˡᶦᵏᵉ    ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ    ˢᵃᵛᵉ      ˢʰᵃʳᵉ



    FAQ

    Ques1.kya Dua karne se shifa milti hai ?

    Ans: beshak Qur'an aur hadees se kayi Duaayein saabit hain jinhe padhne se Allah Rabbul izzat shifa deta hai.

    Ques2.Kya Dua se hifazat hoti hai ?

    Ans: Duaaon ka rozana ehtamaam karne see hum kayi bimariyon,Nazare bad,jinn wa shitaan se mahfooz rah sakte hain.

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