Jahannum ke indhan: Insaan aur pathar kyun?
आइए कुरआन और हदीस की रोशनी में समझते हैं कि आखिर Jahannum ke indhan: Insaan aur pathar kyun हैं ? अल्लाह तआला ने क्यों इंसानों और पत्थरों को जहन्नम का ईंधन बनाया।
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Insaan aur pathar jahannum ka indhan |
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जहन्नम: एक दर्दनाक अंजाम की सच्चाई
इंसान की यह छोटी-सी ज़िंदगी एक बड़ी हकीकत की तैयारी है — आख़िरत की। जहां नेकी और बदी का पूरा हिसाब लिया जाएगा। लेकिन कुछ लोग इस दुनिया के धोखे में इतने मस्त हो जाते हैं कि उन्हें अपनी ग़लत राहों का अहसास ही नहीं होता। कुरआन और हदीस हमें जिस जहन्नम का तज़किरा करते हैं, वह कोई कल्पना नहीं, बल्कि एक हकीकत है — एक ऐसा अज़ाबगाह, जहां आग, शर्मिंदगी, और नाकामी की सज़ा अनंत होगी। यह पोस्ट Jahannum ke indhan: Insaan aur pathar kyun? आपको कुरआन की उन आयातों और हदीसों से रुबरु कराएगी जो जहन्नम की भयावहता, उसके अज़ाब और वहां होने वाले अफ़सोस को बयान करती हैं — ताकि हम आज ही चेत जाएं, तौबा करें और अपने रब की तरफ़ लौट आएं।
🔥 क़ुरआन की चेतावनी:
"ऐ ईमान वालों! अपने आप को और अपने घरवालों को उस आग से बचाओ जिसका ईंधन इंसान और पत्थर हैं। उस पर सख्त मिज़ाज, ताक़तवर फ़रिश्ते (निगरानी) पर नियुक्त हैं, जो अल्लाह के हुक्म की नाफ़रमानी नहीं करते और जो हुक्म दिया जाए उसे पूरा करते हैं।"
📖 [सूरतु-त-तहरीम: 6]
इस आयत में न सिर्फ जहन्नुम के ईंधन का ज़िक्र है बल्कि उससे बचने के लिए मना भी किया गया है।
🔥 इंसान जहन्नुम का ईंधन क्यों?
क़ुरआन में यह बार-बार बताया गया है कि जहन्नुम में उन्हीं लोगों को डाला जाएगा जिन्होंने अल्लाह की नाफरमानी की, कुफ्र (इनकार), शिर्क (अनेकेश्वरवाद) और पापों के रास्ते को अपनाया।
"निश्चित ही हमने बहुत से जिन्न और इंसानों को जहन्नुम के लिए पैदा किया है, उनके दिल हैं मगर समझते नहीं, आंखें हैं मगर देखते नहीं, कान हैं मगर सुनते नहीं। वे चौपायों की तरह हैं, बल्कि उनसे भी ज़्यादा गुमराह। यही लोग हैं जो गाफ़िल हैं।"
📖 [सूरतुल अ'राफ़: 179]
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📚 इस आयत की वज़ाहत (व्याख्या):
1. "बहुत से जिन्न और इंसान जहन्नुम के लिए..."
इसका मतलब यह नहीं कि अल्लाह ने किसी को जबरदस्ती जहन्नुम के लिए पैदा किया, बल्कि यह कि अल्लाह को पहले से पता है कि कौन अपनी आज़ादी का गलत इस्तेमाल करेगा और कौन सी राह चुनेगा।
यह क़ज़ा व क़द्र (divine knowledge and will) से संबंधित मामला है — अल्लाह किसी पर ज़ुल्म नहीं करता।
2. "दिल हैं, मगर समझते नहीं"
अल्लाह ने इंसान को अक़्ल दी, लेकिन बहुत से लोग इसे इस्तेमाल नहीं करते।
– वे सोचते नहीं कि वह क्या कर रहे हैं
– बिना समझे रस्मों पर चलते हैं
– हक़ की बात को सुनकर नजरअंदाज कर देते हैं
3. "आंखें हैं, मगर देखते नहीं..." "कान हैं, मगर सुनते नहीं"
इनसे मुराद बातनी (आंतरिक) अंधापन और बहरापन है।
यह वो लोग हैं जो:
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कुरआन पढ़ते हैं, लेकिन उस पर ग़ौर नहीं करते
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हदीस सुनते हैं, मगर मानते नहीं
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अल्लाह की निशानियाँ देखते हैं, मगर इबरत नहीं लेते
यह मक़सद से आंख-कान का इस्तेमाल न करना है — और अल्लाह इसी पर पकड़ करता है।
4. "वे जानवरों जैसे हैं, बल्कि उनसे भी ज़्यादा गुमराह"
यह बहुत सख़्त तश्बीह है। जानवर भी:
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सिर्फ खाना-पीना, चलना-फिरना जानते हैं
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उन्हें हक़ व बातिल की समझ नहीं होती
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लेकिन इंसान को अक़्ल दी गई है
फिर भी अगर इंसान सोचने, समझने और हक़ को अपनाने से इंकार कर दे, तो वो जानवर से भी बुरा है, क्योंकि जानवर तो मजबूर है, इंसान जानबूझकर गाफिल है।
5. "यही लोग हैं जो गाफ़िल हैं"
"गाफ़िल" यानी बेखबर, लापरवाह, जो न दुनिया की समझ रखते हैं न आख़िरत की।
यह वो लोग हैं जो:
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नसीहत को मज़ाक समझते हैं
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अपने बाप-दादा की रस्मों पर अड़े रहते हैं
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हक़ दिखने के बाद भी इनकार कर देते हैं
🧠 सबक़ (इबरत):
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सिर्फ मुसलमान पैदा हो जाना काफ़ी नहीं
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हमें अपनी अक़्ल, अपनी आंखें, अपने कान — सब हक़ को समझने और मानने के लिए इस्तेमाल करने चाहिए
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वरना, अल्लाह के नज़दीक हमारी हालत जानवरों से भी बदतर हो सकती है।
यह आयत उन लोगों की निशानदेही करती है जो समझ और होश के बावजूद सच्चाई को नहीं अपनाते। ऐसे लोग जहन्नुम के लायक हैं और वही इसका ईंधन बनेंगे।
🔥 पत्थर जहन्नुम का ईंधन क्यों?
जहन्नम के ईंधन में पत्थरों का ज़िक्र एक अहम बात की तरफ इशारा करता है। मुफस्सिरीन (क़ुरआन के व्याख्याकार) के अनुसार यह आम पत्थर भी हो सकते हैं और वे भी जिनकी दुनिया में पूजा की जाती थी – यानी मूर्तियाँ (बुत)।
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Jahannum ka khaufnak manzar |
अल्लाह ने एक और जगह फ़रमाया:
"निश्चित ही तुम और जिनकी तुम अल्लाह के सिवा उपासना करते हो, सब जहन्नुम का ईंधन होगे, तुम सब उस में प्रवेश करोगे।"
📖 [सूरतुल अंबिया: 98]
यह आयत अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत करने वालों को चेतावनी देती है कि उनके पूज्य भी उनके साथ जहन्नम में जलाए जाएंगे, ताकि उन्हें एहसास हो कि जिनकी पूजा की गई थी, वे कुछ भी न कर सके।
🔥 जहन्नम की आग कितनी भयानक है?
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
"तुम्हारी यह आग जो तुम दुनिया में जलाते हो, जहन्नुम की आग का सत्तरवाँ हिस्सा है।"
📖 [सहीह बुखारी: 3265, सहीह मुस्लिम: 2843]
यानी जहन्नुम की आग दुनिया की आग से 70 गुना ज़्यादा गर्म और खतरनाक होगी। इसका अंदाज़ा इंसान की सोच से बाहर है।
👳प्रसिद्ध इस्लामी विद्वानों के विचार
1. इमाम इब्ने कसीर रहि.
इमाम इब्ने कसीर कहते हैं:
"जहन्नुम में वे ही लोग जलाए जाएंगे जिन्होंने दुनिया में पाप और घमंड की ज़िंदगी जी। पत्थरों से मतलब मूर्तियाँ भी हो सकती हैं जिनकी पूजा की जाती थी ताकि उनके पुजारियों पर और शर्मिंदगी और सज़ा बढ़े।"
📚 [तफ़्सीर इब्ने कसीर, सूरतु-त-तहरीम: 6]
2. इमाम फख़रुद्दीन राज़ी रहि.
"इंसानों को जहन्नुम का ईंधन बनाना उनके कर्मों की सज़ा है, और पत्थरों को शामिल करना इस बात की निशानी है कि जिनकी पूजा की गई वे भी सज़ा भुगतेंगे।"
📚 [तफ़्सीर अल-फ़ख़रुल राज़ी]
3. अल्लामा क़ुर्तुबी रहि.
"पत्थरों को जहन्नुम का ईंधन बनाने का मक़सद यह है कि जहन्नुम की आग और भी ज़्यादा प्रज्वलित हो और उसमें जलना और भी भयानक हो।"
📚 [तफ़्सीर अल-जामे लिअहकामिल क़ुरआन]
🔥 जहन्नुम की खौफनाक झलक
1. सख्त फ़रिश्ते नियुक्त
"उस (जहन्नुम) पर उन्नीस (19) फ़रिश्ते नियुक्त हैं।"
📖 [सूरतुल मुदस्सिर: 30]
ये फ़रिश्ते सख्त मिज़ाज होंगे और दया नहीं करेंगे।
2. शरीर को जला देने वाली आग
रसूल ﷺ ने फ़रमाया:
"जहन्नुम की आग इतनी प्रबल होगी कि शरीर की सारी परतों को जला देगी, हड्डियों तक पहुँच जाएगी।"
📖 [मुस्नद अहमद: 7142]
3. मुंकिरों पर विशेष सज़ा
"जिन लोगों ने इनकार किया, उनके लिए आग के कपड़े काटे जाएंगे और उनके सिर पर उबलता पानी डाला जाएगा।"
📖 [सूरतुल हज: 19]
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✅ निष्कर्ष (Conclusion):
अब आप समझ ही गए होंगे कि Jahannum ke indhan: Insaan aur pathar kyun? बताए गए हैं। यह एक ज़बरदस्त चेतावनी है कि हमें अल्लाह की नाफ़रमानी से बचना चाहिए।
इस दुनिया की रंगीनियाँ और चकाचौंध हमें अक्सर गुमराह कर देती हैं। हम समझते हैं कि यह जीवन ही सब कुछ है, जबकि असली ज़िंदगी तो मौत के बाद शुरू होती है। जहन्नम कोई कहानी नहीं, बल्कि अल्लाह का वह वादा है जो गुनहगारों के लिए तय है। अगर आज हम अपने गुनाहों पर अफ़सोस कर लें, तौबा कर लें और अल्लाह की राह पकड़ लें, तो वह रहमत वाला रब हमें माफ़ करने वाला है। लेकिन अगर हमने ज़िंदगी की मोहलत को हल्के में लिया, तो कल अफ़सोस और पछतावे के सिवा कुछ हासिल न होगा। इसलिए अपने दिल को सच्चाई की रोशनी से जगाओ, नमाज़ की पाबंदी करो, और अपने रब से रिश्ता मज़बूत कर लो। क्योंकि जब आँखें बंद होंगी, तब सिर्फ़ आमाल ही साथ जाएंगे – न दौलत, न शोहरत, न रुतबा।
अब भी वक़्त है, लौट आओ।
🤲 दुआ है कि अल्लाह हमें जहन्नुम के अज़ाब से महफ़ूज़ रखे और अपनी रहमत में जगह दे। आमीन।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. जहन्नुम का ईंधन क्या है?
👉 इंसान और पत्थर।
📖 [सूरतु-त-तहरीम: 6]
2. जहन्नुम में कौन-कौन डाले जाएंगे?
👉 वो लोग जो कुफ्र, शिर्क और गुनाहों में लगे रहें।
📖 [सूरतुल अ'राफ़: 179]
3. पत्थरों से क्या मतलब है?
👉 आम पत्थर और मूर्तियाँ जिनकी पूजा की जाती थी।
📖 [सूरतुल अंबिया: 98]
4. जहन्नुम की आग कितनी तेज है?
👉 दुनिया की आग से 70 गुना ज़्यादा।
📖 [सहीह बुखारी: 3265]
5. जहन्नुम पर कौन फ़रिश्ते नियुक्त हैं?
👉 सख्त मिज़ाज फ़रिश्ते जो अल्लाह की आज्ञा नहीं टालते।
📖 [सूरतु-त-तहरीम: 6]
6. जहन्नुम की सज़ा कैसी होगी?
👉 उबलता पानी, आग के कपड़े, हड्डियों तक जलाना।
📖 [सूरतुल हज: 19]
7. जहन्नुम से बचने का तरीका?
👉 अल्लाह की आज्ञाकारिता, तौबा, तक़्वा और नेक आमाल।
📖 [सूरतु-त-तहरीम: 6]
8. मूर्तिपूजक और उनके पूज्य का अंजाम?
👉 दोनों जहन्नुम में जलेंगे।
📖 [सूरतुल अंबिया: 98]
9. फ़रिश्तों का व्यवहार कैसा होगा?
👉फरिश्ते बेहद सख्त होंगे, बिल्कुल दया नहीं करेंगे।
📖 [सूरतुल मुदस्सिर: 30]
10. जहन्नुम का ज़िक्र क्यों किया गया है?
👉 ताकि हम हुशियार रहें, सबक लें और अल्लाह की नाफ़रमानी से बचें।
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