एक दिन हमारी हस्ती मिट जाएगी…" — एक सच्चाई जिससे हर इंसान को आगाह रहना चाहिए
ज़िंदगी का सफर एक दिन हर किसी को खत्म करना है। हम रोज़मर्रा की दौड़ में अपने काम, रिश्तों, और इच्छाओं में उलझे रहते हैं, लेकिन क्या हम कभी उस पल के बारे में सोचते हैं जब हमारी सांसें थम जाएँगी? जब हमारा नाम सिर्फ "मय्यत" या "जनाज़ा" बनकर रह जाएगा?जब Ek Din Hamari Hasti mit Jayegi इस दुनिया।
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यह लेख Ek Din Hamari Hasti mit Jayegi आपको उस कड़वी लेकिन सच्ची हक़ीक़त से रूबरू कराएगा, जो हर इंसान को एक दिन देखनी है। यह याद दिलाता है कि असल ज़िंदगी मौत के बाद शुरू होती है — जहाँ सिर्फ हमारे अच्छे या बुरे कर्म ही हमारे साथ होंगे।
जब मैं मर जाऊँगा…
जब मेरी रूह मेरे जिस्म से जुदा होगी, मुझे कुछ महसूस नहीं होगा।न मुझे अपने बेजान शरीर की परवाह होगी और न ही इस दुनिया की कोई चिंता ,जिस के लिए मैने सारी उमर भाग दौड़ की।
यह वही लोग होंगे जिनमें से कुछ ने शायद मेरी बातों को कभी सीरियसली नहीं लिया होगा।
- मेरे मुसलमान भाई मेरे लिए वो सब करेंगे जो शरई हुक्म है:
- मेरे कपड़े उतार दिए जाएँगे…
- मुझे गुस्ल दिया जाएगा…
- मुझे सफेद कफ़न में लपेटा जाएगा…
- मुझे मेरे घर से बाहर निकाला जाएगा…
- मुझे मेरी आख़िरी मंज़िल – कब्र तक ले जाया जाएगा…
- कई लोग मेरी जनाज़े की नमाज़ में शरीक होंगे…
- कुछ लोग तो अपनी मुलाकातें और काम रद्द कर देंगे, मेरी दफ़न में शामिल होने के लिए…
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इसके बाद मेरी सारी चीज़ें खत्म कर दी जाएँगी:
यह वक्त है जागने का…
अगर आप आज इस नसीहत को दूसरों तक पहुँचाते हैं, तो इनशा’अल्लाह कल इसका सवाब आपको मिलेगा।
कुरआन कहता है:
"और नसीहत करते रहो, क्योंकि नसीहत मोमिनों को फायदा देती है।"
(अज़-ज़ारियात: 55)
इसके बाद मेरी सारी चीज़ें खत्म कर दी जाएँगी:
अगर मेरे घर वाले नेक होंगे तो ये सब सदक़ा कर देंगे, ताकि मुझे आख़िरत में फायदा हो।
- मेरी चाबियाँ…
- मेरी किताबें…
- मेरा बैग…
- मेरे जूते…
- मेरे कपड़े
- मेरी हर पाचन ....
दुनिया का निज़ाम चलता रहेगा
लेकिन इस दुनिया को मेरे जाने का कोई फर्क नहीं पड़ेगा:मगर जो कुछ मैंने इस दुनिया में किया — हर चीज़ का हिसाब मुझसे लिया जाएगा:
दुनिया का निज़ाम यूँ ही चलता रहेगा…
कारोबार, मॉल, गाड़ियाँ, लोग… सब वैसा ही चलेगा…
मेरी नौकरी किसी और को मिल जाएगी…
मेरी दौलत मेरे वारिसों में तक्सीम कर दी जाएगी…
चाहे वो छोटा काम हो या बड़ा…
जाहिर हो या छुपा…
हर एक ज़र्रा गिना जाएगा…
मेरी पहचान छीन ली जाएगी
मौत के वक़्त सबसे पहले जो चीज़ मुझसे छिनी जाएगी, वो मेरा नाम होगा!लोग पूछेंगे:
"जनाज़ा कहाँ है?"
"मय्यत को कब लाना है?"
कोई नहीं कहेगा: "फ़लाँ साहब को लाओ…"आपसे छिन जाएगा:आपका हुस्न…आपकी दौलत…आपकी सेहत…आपकी औलाद…
इसलिए मुझे:
अपने नाम,
अपनी जात,
अपनी पोजीशन,
या शोहरत पर घमंड नहीं करना चाहिए…
क्योंकि सब कुछ यहीं रह जाएगा…
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मगर असली कहानी शुरू होगी — जब आप अकेले अपने कर्मों के साथ होंगे…
आप सिर्फ़ अपने आमाल के साथ कब्र में होंगे।
जब इंसान मर जाता है, तो उसके सारे आमाल (अच्छे या बुरे कर्म) खत्म हो जाते हैं, सिवाय तीन चीज़ों के:
ज़रा सोचिए!
मौत के बाद तीन तरह के लोग आपको याद करेंगे:जो आपको सरसरी जानते थे — वो बस कहेंगे: "बेचारा!"आपकी कहानी इस दुनिया में खत्म हो जाएगी…
दोस्त — कुछ दिनों तक ग़म करेंगे, फिर ज़िंदगी में मशगूल हो जाएँगे।
आपके घर वाले — वो कुछ महीनों तक तड़पेंगे, फिर धीरे-धीरे आपको यादों में रख देंगे…
मगर असली कहानी शुरू होगी — जब आप अकेले अपने कर्मों के साथ होंगे…
आप सिर्फ़ अपने आमाल के साथ कब्र में होंगे।
तीन चीजें जो इंसान के मरने के बाद भी काम आती हैं
नबी ﷺ का फ़रमान है कि:जब इंसान मर जाता है, तो उसके सारे आमाल (अच्छे या बुरे कर्म) खत्म हो जाते हैं, सिवाय तीन चीज़ों के:
सदक़ा जारिया (लगातार चलने वाला दान):ये तीन चीजें इंसान को मरने के बाद भी सवाब (पुण्य) देती रहती हैं। इसलिए हमें ज़िंदगी में ऐसे काम करने चाहिए जो मरने के बाद भी हमारे लिए लाभदायक हों। अब आप खुद के बारे में सोचें कि आप अपने पीछे क्या छोड़ कर जाने वाले हैं।
ऐसा दान जो मरने के बाद भी लोगों को फायदा पहुँचाता रहे, जैसे कुआँ खुदवाना, मस्जिद बनवाना, स्कूल या अस्पताल बनवाना आदि।
इल्म (ज्ञान) जिससे लोग फायदा उठाएं:
ऐसा ज्ञान जो किसी को सिखाया गया हो और लोग उससे लाभ लेते रहें, जैसे किताबें लिखना, किसी को कुरआन या दीन का ज्ञान देना।
नेक औलाद जो उसके लिए दुआ करे:
ऐसा संतान जो नेक हो और अपने मरहूम माँ-बाप के लिए दुआएं करता रहे।
सहीह मुस्लिम – हदीस नंबर: 1631)
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निष्कर्ष (Conclusion):
अब सवाल यह है —Ek Din Hamari Hasti mit Jayegi तो क्या आपने उस ज़िंदगी की तैयारी कर ली है? अगर नहीं तोयह वक्त है जागने का…
अपने रब की नाफरमानी से बचो
फर्ज़ नमाज़ों की पाबंदी करो…
नफ्ल इबादतें करो…
छुपकर सदक़ा करो…
रात की नमाज़ पढ़ो…
नेकी के काम करो…
क्योंकि यही चीज़ें आपके साथ आपकी कब्र में जाएँगी…
नफ्ल इबादतें करो…
छुपकर सदक़ा करो…
रात की नमाज़ पढ़ो…
नेकी के काम करो…
क्योंकि यही चीज़ें आपके साथ आपकी कब्र में जाएँगी…
अगर आप आज इस नसीहत को दूसरों तक पहुँचाते हैं, तो इनशा’अल्लाह कल इसका सवाब आपको मिलेगा।
कुरआन कहता है:
"और नसीहत करते रहो, क्योंकि नसीहत मोमिनों को फायदा देती है।"
(अज़-ज़ारियात: 55)
अंतिम दुआ:
"या अल्लाह! हमें मौत से पहले जागने की तौफ़ीक़ अता फ़रमा, और हमारी आख़िरत को कामयाब बना। आमीन!" 👍🏽 ✍🏻 📩 📤 🔔
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FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. मौत के बाद सबसे पहली चीज़ क्या होती है?
मौत के बाद सबसे पहली चीज़ इंसान से उसका नाम छिन जाता है। लोग उसे "जनाज़ा", "मय्यत" या "लाश" कहने लगते हैं, उसका असली नाम भूल जाते हैं।
2. क्या दुनिया मेरी मौत के बाद रुक जाएगी?
नहीं, दुनिया का सिस्टम चलता रहेगा। आपकी जगह कोई और आपकी नौकरी कर लेगा, आपकी दौलत बांट दी जाएगी, और लोग अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो जाएँगे।
3. मेरे साथ क्या जाएगा जब मैं मरूँगा?
आपकी सारी चीज़ें — कपड़े, पैसे, मकान, रिश्ते — यही रह जाएँगे। सिर्फ़ आपके आमाल (अच्छे और बुरे कर्म) ही आपके साथ आपकी कब्र में जाएँगे।
4. क्या सिर्फ़ फर्ज़ नमाज़ पढ़ना काफी है?
फर्ज़ नमाज़ इस्लाम का मूल है, लेकिन उसके साथ नफ्ल इबादतें, सदक़ा, अच्छे बर्ताव और नेक नीयत भी जरूरी हैं ताकि आखिरत में हमारी मदद हो सके।
5. क्या किसी को यह नसीहत देना फायदेमंद है?
जी हाँ। अगर आप किसी को इस लेख के ज़रिए सचेत करते हैं और वो कोई नेक काम करता है, तो आपको भी सवाब मिलेगा, इंशा’अल्लाह।
6. मैं अभी तो जवान हूँ, क्या मुझे भी मौत की तैयारी करनी चाहिए?
मौत उम्र देखकर नहीं आती। इसीलिए हर उम्र का इंसान को चाहिए कि वो हमेशा तैयार रहे, और अपने आमाल बेहतर बनाता रहे।
7. क्या मेरी चीज़ों का सदक़ा करना मेरे लिए फायदेमंद होगा?
जी हाँ, अगर आपके घरवाले आपकी चीज़ों को किसी ज़रूरतमंद को सदक़ा कर दें, तो उसका सवाब आपको कब्र में पहुंचेगा।
8. कब्र में कौन सा अमल सबसे ज़्यादा काम आता है?
नमाज़, सदक़ा, कुरआन की तिलावत, और दूसरों को दी गई नेक नसीहत — यह सब इंसान के लिए कब्र में रोशनी और राहत का सबब बनते हैं।
🕊️ आखिर में क्या दुआ करनी चाहिए?
अल्लाह हमें सबको हक की समझ और उस पर अमल की तौफ़ीक़ अता करे। आमीन।
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