Shaitaan aur Nazre bad se hifazat
हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कई सारे मसनून दुआ़एं साबित हैं और आप ﷺ ने हमें Shaitaan aur Nazre bad se hifazat की दुआएं भी बताए हैं तो आइए आज इन दुआ़ओं के बारे में जानें और इनका एहतमाम करें और अमल में भी लाएं ताकी बुरी नज़र और शरीर शैतान व जिन्नात से हमारी हिफाज़त हो सके !
Shaitaan se hifazat ki Dua
أَعُوْذُ بِاللّٰہِ السَّمِیْعِ الْعَلِیْمِ مِنَ الشَّیْطَانِ الرَّجِیْمِ
अउज़ु बिल्लाहि स्समीइल अलीमि मिन श्शैतानिर्रजीम।
(अमलुल यौम वल्लैलह लिइब्ने सुन्नी : 49 )सुबह के वक्त पढ़ें
तर्जमा : मैं शैतान मरदूद से अल्लाह की पनाह में आता हूँ, जो सुनने वाला और जानने वाला है।
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया : जो सख्स सुबह के वक्त यह दुआ पढ़ेगा, तो शाम तक शैतान के शर से महफूज़ हो जाएगा।
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Nazre bad ki Dua
Nazre bad Se bachne ki dua |
اَللّٰهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ حَرَّهَا وَ بَرْدَهَا وَ وَصَبَهَا
अल्लाहुम्म अज़्हिब हर्रहा व बर्दहा व वसबहा।
(मुसन्नफ इब्ने अबी शैबा : 24060 )
तर्जमा : ऐ अल्लाह! नज़रे बद की गर्मी और उस की ठंडक और उस की तकलीफ को दूर फरमा।
फज़ीलत : एक शख्स को नज़र लग गई थी, तो आप ﷺ ने उस के सीने पर हाथ रख कर यह दुआ फरमाई।
Kisi cheez ke shar se hifazat ki Dua
أَعُوْذُ بِکَلِمَا تِ اللّٰہِ التَّامَّا تِ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ
अऊज़ु बिकलिमातिल्लाहि त्ताम्माति मिन शर्रि माखलक।(मुस्लिमः 7053 )
तर्जमा : मैं अल्लाह तआला के मुकम्मल कलिमात की पनाह में आता हूँ तमाम मख्लूक के शर से।
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया : जो शख्स किसी भी जगह पर कयाम करे फिर यह दुआ पढ़े, तो जब तक वहाँ ठेहरा रहेगा; कोई चीज़ उस को नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
Kisi se khatre ya Dushman ke khauf se bachne ki Dua
اَللّٰهُمَّ إِنَّا نَجْعَلُكَ فِيْ نُحُوْرِهِمْ وَ نَعُوْذُبِكَ مِنْ شُرُوْرِهِمْ
अल्लाहुम्म इन्ना नज्अलुक फी नुहूरिहिम व नऊज़ुबिक मिन शुरुरिहिम। (अबू दावूद : 1537 )
तर्जमा : ऐ अल्लाह! हम (अपनी हिफाज़त के लिये) आप को उन दुश्मनों के मुकाबले में पेश करते हैं और उन की बुराई से पनाह चाहते हैं।
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ जब किसी से खतरा महसूस करते, तो यह दुआ फमारते।
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imaan par saabit Qadmi ki Dua
یَا مُقَلِّبَ الْقُلُوْبِ ثَبِّتْ قَلْبِيْ عَلٰی دِيْنِكَ
या मुकल्लिबल कुलूबि सब्बित कल्बी अला दीनिक। (तिर्मिज़ी : 2140)
तर्जमा : ऐ दिलों को फेरने वाले! मेरा दिल अपने दीन पर जमा दे।
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ कस्रत से यह दुआ पढ़ा करते थे।
Gham wa Preshani door karne ki dua
یَا حَيُّ یَا قَيُّوْمُ بِرَحْمَتِكَ أَسْتَغِيْثُ
या हय्यु या कय्यूमु बिरहमतिक अस्तगीसु। (तिर्मिज़ी : 3524 )
तर्जमा : ऐ हमेशा ज़िन्दा रहने वाले, सब को थामने वाले! मैं तेरी रहमत की उम्मीद के साथ तुझ से फरियाद करता हूँ।
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ को जब कोई गम या परेशानी लाहिक होती, तो यह दुआ पढा करते।
Jahannum se bachne ki Dua
Jahannum ki aag se hifazat ki Dua |
اَللّٰهُمَّ أَجِرْنِيْ مِنَ النَّارِ
अल्लाहुम्म अजिर्नी मिनन्नार।(अबू दावूद : 5079 )सुबह व शाम 7 मरतबा पढें
तर्जमा : ऐ अल्लाह! मुझे जहन्नम से नजात अता फरमाइये।
फज़ीलत : मुस्लिम बिन हारिस तमीमी फरमाते हैं के रसूलुल्लाह ﷺ ने उन के साथ सरगोशी फरमाई और फरमाया के जब तुम मग्रिब की नमाज़ से फारिग हो जाओ , तो 7 मरतबा यह दुआ पढो, अगर तुम यह पढ लोगे और उसी रात तुम्हारी वफात हो जाए, तो तुम्हारे लिये जहन्नम से खलासी लिख दी जाएगी और जब तुम फज्र की नमाज़ पढ लो, तो यह दुआ पढ लिया करो, अगर तुम ऐसा कर लेते हो और उस दिन तुम्हारा इंतिकाल हो जाता है, तो तुम्हारे लिये जहन्नम से छुटकारा लिख दिया जाएगा
Duniya aur aakhirat ki aafiyat ke liye Dua
اَللّٰهُمَّ إِنِّيْ أَسْئَلُكَ الْعَافِيَۃَ وَ الْمُعَافَاۃَ فِي الدُّنْيَا وَ الْاٰخِرَۃِ
अल्लाहुम्म इन्नी अस्अलुक ल्आफियत वल्मुआफात फी द्दुन्या वल्आखिरह । (तिर्मिज़ी : 3512 )
तर्जमा : ऐ अल्लाह! मैं आप से दुन्या व आखिरत की आफियत तलब करता हूं।
फज़ीलत : एक शख्स ने हुज़ूर ﷺ की खिदमत में आकर अर्ज़ किया के ऐ अल्लाह के रसूल! सब से बेहतर दुआ कौनसी है? आप ﷺ ने दर्जे बाला दुआ मांगने की तलकीन फरमाई। दूसरे दिन भी उस ने आकर यही सवाल किया। आप ﷺ ने उसे यही दुआ बताई। जब तीसरे दिन आकर उस ने यही सवाल किया, तो आप ﷺ ने यही दुआ बताई और फरमाया : जब तुम्हें दुन्या व आखिरत की आफियत मिल गई, तो तुम काम्याब हो गए।
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Bimari aur Nazre bad se hifazat ki dua
Nazre bad SE bachne ki Dua |
بِسْمِ اللّٰہِ أَرْ قِيْكَ مِنْ کُلِّ شَيْءٍ یُؤْذِيْكَ، مِنْ شَرِّ کُلِّ نَفْسٍ أَوْ عَيْنِ حَاسِدٍ اَللّٰہُ یَشْفِيْكَ، بِسْمِ اللّٰہِ أَرْقِيْكَ
बिस्मिल्लाहि अर्कीक मिन कुल्लि शैइन युअ़ज़ीक, मिन शर्रि कुल्लि नफ्सिन औ एैनि हासिदिन अल्लाहु यश्फीक, बिस्मिल्लाहि अर्कीक। (मुस्लिम : 5829 )
तर्जमा : मैं अल्लाह का नाम ले कर तुझ पर दम करता हूं, हर उस चीज़ से बचने के लिये जो तुझे तकलीफ देती है और हर नफ्स के शर से और हर हासिद की आँख के शर से अल्लाह तुझे शिफा दे, अल्लाह का नाम ले कर मैं तुझ पर दम करता हूं।
फज़ीलत : हज़रत जिब्रईल नबीये करीम ﷺ के पास आए और अर्ज़ किया : ए मुहम्मद! आप बीमार हैं? आप ﷺ ने फरमाया : जी हां! तो हज़रत जिब्रईल ने यह दुआ दी।
4 Cheezon se bachne ki Dua
اَللّٰهُمَّ إِ نِّيْ أَ عُوْذُ بِكَ مِنْ قَلْبٍ لَّا یَخْشَعُ، وَمِنْ دُعَاءٍ لَّا یُسْمَعُ، وَمِنْ نَفْسٍ لَّا تَشْبَعُ، وَمِنْ عِلْمٍ لَّا یَنْفَعُ، أَ عُوْذُ بِكَ مِنْ ھٰؤُلَاءِ الْأَرْ بَعِ
अल्लाहुम्म इन्नी अऊज़ुबिक मिन कल्बिल ला यख्शउ व मिन दुआइल ला युस्मउ, व मिन नफ्सिल ला तश्बउ, व मिन इल्मिल ला यन्फउ, अऊज़ुबिक मिन हाउलाइल अर्बइ। (तिर्मिज़ी : 3482 )
तर्जमा : ऐ अल्लाह! मैं न डरने वाले दिल, कुबूल न होने वाली दुआ, सैर न होने वाले नफ्स और नफा न पहुंचाने वाले इल्म से तेरी पनाह चाहता हूं, ऐ अल्लाह! मैं इन चारों चीज़ों से तेरी पनाह लेता हूं।
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ यह दुआ फरमाते थे।
Pareshaniyon se nijaat ke liye dua
اَللّٰهُمَّ أَنْتَ رَبِّيْ لَاۤ إِلٰہَ إِلَّا أَنْتَ، عَلَيْكَ تَوَ کَّلْتُ وَأَنْتَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ، مَا شَاءَاللّٰہُ کَانَ وَمَا لَمْ يَشَأْ لَمْ يَکُنْ، لَا حَوْلَ وَلَاقُوَّۃَ إِلَّا بِاللّٰہِ الْعَلِيِّ الْعَظِيْمِ، أَعْلَمُ أَنَّ اللّٰہَ عَلٰی کُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ، وَّأَنَّ اللّٰہَ قَدْ أَحَاطَ بِکُلِّ شَيْءٍ عِلْمًا، اَللّٰھُمَّ إِ نِّيْ أَعُوْذُبِكَ مِنْ شَرِّ نَفْسِيْ، وَ مِنْ شَرِّ کُلِّ دَ ابَّۃٍ أَ نْتَ اٰخِذٌمبِنَا صِيَتِھَا ، إِنَّ رَبِّيْ عَلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ.
अल्लाहुम्म अन्त रब्बी ला इलाह इल्ला अन्त, अलैक तवक्कल्तु व अन्त रब्बुल अर्शिल अज़ीम, मा शाअल्लाहु कान वमा लम यशअ लम यकुन, लाहौल वलाकुव्वत इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल अज़ीमि, अअ्लमु अन्नल्लाह अला कुल्लि शैइन कदीरुं व्वअन्नल्लाह कद अहात बिकुल्लि शैइन इल्मा, अल्लाहुम्म इन्नी अऊज़ु बिक मिन शर्रि नफ्सी, व मिन शर्रि कुल्लि दाब्बतिन अन्त आखिज़ुम बिनासियतिहा, इन्न रब्बी अला सिरातिम मुस्तकीम।सुबह व शाम पढ़ें
Har Qism Aafiyat ki dua
اَللّٰهُمَّ إِنِّيْ أَسْئَلُكَ الْعَفْوَ وَالْعَافِيَۃَ فِي الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَۃِ، اَللّٰھُمَّ إِنِّيْ أَسْئَلُكَ الْعَفْوَ وَالْعَافِيَۃَ فِيْ دِيْنِيْ وَدُنْیَايَ وَأَھْلِيْ وَمَالِيْ، اَللّٰھُمَّ اسْتُرْ عَوْرَاتِيْ وَاٰمِنْ رَوْعَاتِيْ، اَللّٰھُمَّ احْفَظْنِيْ مِنْ م بَیْنِ یَدَيَّ وَمِنْ خَلْفِيْ وَعَنْ یَّمِيْنِيْ وَعَنْ شِمَالِيْ وَمِنْ فَوْقِيْ، وَأَعُوْذُ بِعَظَمَتِكَ أَنْ أُغْتَالَ مِنْ تَحْتِيْ.
अल्लाहुम्म इन्नी अस्अलुकल अफ्व वल आफियत फिद्दुन्या वल्आखिरति, अल्लाहुम्म इन्नी अस्अलुकल अफ्व वल आफियत फी दीनी व दुन्याय व अह्ली व माली, अल्लाहुम्म स्तुर औराती व आमिन रौआती, अल्लाहुम्मह फज़्नी मिम बैनि यदय्य व मिन खल्फी व अंय यमीनी व अन शिमाली व मिन फौकी व अऊज़ु बिअज़मतिक अन उग्ताल मिन तह्ती।सुबह व शाम पढ़ें
(अबू दावूद : 5074)
Badan ki salaamati ki dua
اَللّٰهُمَّ عَافِنِيْ فِيْ بَدَنِيْ، اَللّٰھُمَّ عَافِنِيْ فِيْ سَمْعِيْ، اَللّٰھُمَّ عَافِنِيْ فِيْ بَصَرِ يْ، لَاۤ إِلٰہَ إِلَّا أَنْتَ
अल्लाहुम्म आफिनी फी बदनी, अल्लाहुम्म आफिनी फी सम्ई, अल्लाहुम्म आफिनी फी बसरी, ला इलाह इल्ला अन्त।(अबू दावूद : 5090)सुबह व शाम 3 मरतबा पढ़ें
तर्जमा : ऐ अल्लाह! मेरे बदन को दुरुस्त रखिये, ऐ अल्लाह! मेरे कान आफियत से रखिये, ऐ अल्लाह! मेरी आँखें आफियत से रखिये, आप के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं।
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ रोज़ाना सुबह व शाम के वक्त यह दुआ तीन तीन बार पढ़ा करते थे।
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Nuqsaan se bachne ki dua
بِسْمِ اللّٰہِ الَّذِيْ لَا یَضُرُّ مَعَ اسْمِہٖ شَيْ ءٌفِي الْأَرْضِ وَلَا فِي السَّمَا ِٔ ، وَ ھُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ
बिस्मिल्लाहिल लज़ी ला यज़ुर्रु मअस्मिही शैउन फिल अर्ज़ि व ला फिस समाइ, व हुवस्समीउल अलीम।
(तिर्मिज़ी : 3388 )सुबह व शाम 3 मरतबा पढ़ें
तर्जमा : अल्लाह के नाम के साथ मैं ने सुबह की; जिस के नाम की बरकत से कोई चीज़ नुकसान नहीं पहुंचाती, ज़मीन में और न आस्मान में और वही खूब सुनने वाला, बड़ा जानने वाला है।
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया : जो शख्स सुबह व शाम तीन मरतबा यह दुआ पढ़ लिया करे, उसे कोई चीज़ नुक़सान नहीं पहुंचा सकती।
Tamaam Zaruraton ka Hal
وَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِ حَسْبِيَ اللّٰہُ لَاۤ إِلٰـہَ إِلَّا ھُوَ، عَلَيْہِ تَوَکَّلْتُ وَ مِھُيْ
हस्बियल्लाहु लाइलाह इल्ला हुव अलैहि तवक्कल्तु वहुव रब्बुल अर्शिल अज़ीम।
(अमल यौमुल्लैलत इब्न सुन्नी 71)सुबह व शाम 7 मरतबा पढ़ें
तर्जमा : मेरे लिये अल्लाह तआला काफी है, जिस के अलावा कोई माबूद नहीं, उस पर मैंने भरोसा किया और वो अर्शे अज़ीम का रब है।
फज़ीलत : हज़रत अबू दर्दा फ़रमाते हैं कि जो शख़्स सुबह शाम ७ मर्तबा ये दुआ पढ़ ले, तो अल्लाह ताला दुनिया आख़िरत के रंज ग़म से इस की किफ़ायत फ़रमाएँगे।
Shaitaan ke asraat se Hifazat
لَاۤ إِلٰہَ إِلَّا اللّٰہُ وَحْدَہٗ لَا شَرِيْكَ لَہٗ، لَہُ الْمُلْكُ وَلَہُ الْحَمْدُ،وَھُوَ عَلٰی کُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ
ला इलाह इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीक लहू, लहुल मुल्कु वलहुल हम्दु, वहुव अला कुल्लि शैइन कदीर।
(मुस्नदे अहमद : 8719 )10 मरतबा सुबह और 10 मरतबा शाम में पढ़ें
तर्जमा : तन्हा माबूदे बरहक सिर्फ अल्लाह तआला की ज़ात है, जिस का कोई शरीक नहीं, उसी के लिये बादशाही है और उसी के लिये सारी तारीफें हैं और वह हर चीज़ पर कुदरत रखने वाला है।
फज़ीलत : जो शख्स सुबह यह कलिमात 10 मरतबा पढ़े, तो उस के लिये 100 नेकियां लिखी जाऐंगी और 100 गुनाह माफ किये जाऐंगे और उस के लिये एक गुलाम आज़ाद करने के बराबर सवाब होगा और शाम तक हिफाज़त में रहेगा और जिस ने शाम को पढ़ा तो सुबह तक उस के लिये ऐसा ही होता है।
Aaseb aur Jadoo se Hifazat
أَمْسَيْنَا وَأَمْسَی الْمُلْكُ لِلّٰہِ،وَالْحَمْدُ کُلُّہٗ لِلّٰہِ،أَعُوْذُ بِاللّٰہِ الَّذِيْ یُمْسِكُ السَّمَاءَ أَنْ تَقَعَ عَلَی الْأَرْضِ إِلَّا بِـإِذْنِہٖ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ وَذَرَأَ،وَمِنْ شَرِّ الشَّيْطَانِ وَشِرْکِہٖ .
अम्सयना व अम्सल मुल्कु लिल्लाहि, वल्हम्दु कुल्लुहू लिल्लाहि, अऊज़ु बिल्लाहिल्लज़ी युम्सिकु स्समाअ अन तकअ् अ्लल अर्ज़ि इल्ला बिइज़्निहि मिन शर्रि मा खलक व ज़रअ, व मिन शर्रि श्शैतानि व शिर्किहि।
(अमलुल यौम वल्लैलह 67 )सुबह व शाम में 3 मरतबा पढ़ें
तर्जमा : अल्लाह के लिये हमने और पूरी सल्तनत ने शाम की, तमाम तारीफें अल्लाह के लिये हैं, मैं पनाह लेता हूं अल्लाह की, जिस ने आस्मान को ज़मीन पर गिरने से रोके रखा है, मख्लूक की बुराई से और उस बुराई से जो फैली है और शैतान के शर से और उस के शिर्क से।
Chhote gunaahon se maafi ki Dua
سُبْحَانَ اللّٰہِ وَبِحَمْدِہٖ
सुब्हानल्लाही वबिहम्दिही (बुखारी : 6405, )
तर्जमा : अल्लाह की ज़ात तमाम उयूब से पाक है और तारीफ उसी के लिये है।
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया : जिस ने रोज़ाना 100 मरतबा यह दुआ पढी उस के तमाम (सगीरा) गुनाह माफ कर दिये जाएंगे, अगरचे वह कस्रत में समंदर के झाग के बराबर हो।
Har Farz Namaz ke baad
33 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ
सुब्हानल्लाह
33 मरतबा
اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ
अल्हम्दुलिल्लाह
34 मरतबा
اَللّٰہُ أَکْبَرُ
अल्लाहु अक्बर
(मुस्लिम : 1377)
फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया : जो शख्स हर फर्ज़ नमाज़ के बाद पढता है वह कभी नुकसान में नहीं रेहता।
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ˡᶦᵏᵉ ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ ˢᵃᵛᵉ ˢʰᵃʳᵉ
Conclusion:
आज कल कई सारे लोग परेशान हाल और बीमार हैं और इसकी एक खास वजह ज़िक्र ओ अज़कार और Shaitaan aur Nazre bad se hifazat की दुआओं से दूरी है और जिसके सबब हम नज़रे बद , आसेब,जिन्नात और शयातीन की चपेट में आते रहते हैं ! और इन सब में नज़रे बद का असर सबसे जयादह देखने को मिलता है और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फ़रमान है की नज़र का लगना बरहक़ है! इससे बचने के लिए कई सारे मसनून दुआ़एं हैं लेकिन हम में अक्सर लोग शरई तरीक़ा छोड़ कर शिरकिया तरीक़ा अपनाते है जिससे हमे बचना चना चाहिए!
FAQs:
Que: नज़र का लगना क्या है ?
Ans: जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को देखता है और उसे देख कर दुआई कलिमत न पढ़े तो उसे उसकी नजर लगने का अंदेसा होता है। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा: जब तुम में से कोई अपने भाई में या उसकी जात में या उसकी संपत्ति में कोई ऐसी चीज़ देखता है जो उसे पसंद है, तो उसे उसके लिए बरकत की दुआ़ दे क्योंकि नज़र का लगना बरहक़ है।
Que: नज़र का लगना किस हद तक नुक़सान पहुंचाता है ?
Ans: नज़रे बद कहां तक नुक़सान पहुंचाता है वो इस हदीस से पता चलता है नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया नज़रे बद आदमी को कबर और ऊंट को हांडी में दाखिल कर देती है !
Que: शदीद नज़र लग जाने पर कौनसी दुआ पढ़ी चाहिए ?
Ans: शदीद नज़र लगने पर यह दुआ सीने पर हाथ रख कर तीन बार पढें
اَللّٰهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ حَرَّهَا وَ بَرْدَهَا وَ وَصَبَهَا
अल्लाहुम्म अज़्हिब हर्रहा व बर्दहा व वसबहा
Que: शैतान से हिफाज़त की दुआ क्या है ?
Ans: शैतान से बचने की दुआ
أَعُوْذُ بِاللّٰہِ السَّمِیْعِ الْعَلِیْمِ مِنَ الشَّیْطَانِ الرَّجِیْمِ
अउज़ु बिल्लाहि स्समीइल अलीमि मिन श्शैतानिर्रजीम।
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