✦ Mard ka Aurat Par Haath Uthana/मर्द का औरत पर हाथ उठाना
![]() |
islam me biwi ka Haq |
आज के दौर में कई मर्द ऐसे है जो छोटी छोटी बातों पर या औरत से कोई ग़लती हो जाए तो उनपर हाथ उठा देते हैं। उन्हें अपनी तल्ख़ बातों का निशाना बनाते हैं और ऐसा सोचते हैं की Mard ka Aurat Par Haath Uthana उनका हक़ है। क्या वाकई मर्द को औरत पर हाथ उठाने का हक़ है?
हर घर की बुनियाद मोहब्बत, एहतराम और भरोसे पर टिकी होती है। लेकिन अफ़सोस कि बहुत से मर्द यह सोच बैठते हैं कि चूंकि वह घर चलाने के लिए कमाते हैं,मेहनत मज़दूरी करते हैं इसलिए औरत पर उनका पूरा हक़ है, यहाँ तक कि वो उसे मार भी सकते हैं। लेकिन अगर गहराई से देखा जाए, तो हक़ीक़त इससे बिल्कुल अलग है। कैसे ? आइए इस लेख Mard ka Aurat Par Haath Uthana को पढ़ें तब समझ में आएगा कि कैसे?
✦ 🤵मर्द का तर्क – “मैं कमाता हूं इसलिए हक़ है”
अक्सर मर्दों का कहना है कि मर्द घर से बाहर जाकर मेहनत मजदूरी करता है,घर चलाता है, पसीने बहाकर पैसे कमाकर लाता है तभी तो घर चलता है, घर वाले खाते हैं , अच्छे कपड़े पहनते हैं और सकून से रहते हैं।
लेकिन हक़ीक़त यह है कि:
बच्चे पैसा नहीं खाते, बच्चे खाना खाते हैं।Read This Also: Be Namazi ka kitna khaunfnak Anjam hota hai isse mutalliq janne ke Liye zarur padhen
बच्चे नोटों पर नहीं सोते, बच्चे बिस्तर पर सोते हैं।
घर की असल तामीर और सुकून सिर्फ पैसों से नहीं बल्कि औरत की मेहनत से है।
✦🧕 औरत का किरदार – घर की जान और रूह
मर्द कमाकर लाता है लेकिन:
वह औरत ही है जो उस पैसे को खाना में बदलती है। तब जा कर बच्चों ,शौहर या घर के दूसरे लोगों का पेट भरता है।अगर औरत अपनी यह जिम्मेदारी छोड़ दे तो मर्द अगले दिन काम पर जाने के काबिल ही न बचे।असल मायनों में औरत मर्द की ताक़त है, कमजोरी नहीं। औरत के इस काम के बिना तो मर्द नाकाम है।
वह औरत ही है जो उस पैसे को बिस्तर और आराम में बदलती है तब जाकर बच्चे या शौहर सकून से बिस्तर पर सोते हैं
वही औरत जब मर्द थका हारा घर आता है तो अपनी मेहनत और मोहब्बत से मर्द की थकान दूर करती है।मर्द सकूं से सोता है।
वही औरत बच्चों की देखभाल करती है।बच्चों की परवरिश करती है। उनके सुबह स्कूल जाने से घर वापस आने तक उनके सारे मामलात को देखती है लेकिन उफ़्फ़ तक नहीं कहती है।
वही औरत सुबह जल्द उठकर बच्चों और शौहर के लिए नाश्ता और खाना तैयार करती है, कपड़े और जूते साफ करती है।तब जा कर बच्चे हो या शौहर ,स्कूल या काम पर जा पाते हैं।
✦ इस्लाम का नज़रिया़
इस्लाम ने औरत को इज़्ज़त, मोहब्बत और रहमत का दर्ज़ा दिया है।
हज़रत मुहम्मद ﷺ ने फ़रमाया:Read This Also: Asal me kaafir kinko kaha gaya hai?chunki Jab ye ayat naazil huyi us waqt koi gair muslim tha hi nahi to Hinduon ke liye to bilkul Nahi kaha gaya। Sach yahan jane
तुम्हारे अंदर सबसे बेहतर वो है जो अपनी बीवी के साथ सबसे अच्छा है।” (तिर्मिज़ी)
यानी मर्द की असल मर्दानगी उसकी कमाई से नहीं, बल्कि औरत के साथ उसके अख़लाक़ और सुलूक से है।
✦🧕 औरत पर हाथ उठाना – ज़ुल्म और जहालत
औरत पर हाथ उठाना ना इंसानियत है और ना ही इस्लामियत।
जो मर्द औरत को मारता है, दरअसल वो अपनी कमजोरी छुपाता है।
जो मर्द औरत को सम्मान देता है, वो असली क़ाबिल और रहनुमा कहलाता है।
✦ Conclusion:
Mard ka Aurat Par Haath Uthana यह कोई मर्द का हक़ नहीं है।चाहे वो कितना ही कमाने वाला क्यों न हो।औरत मर्द की मददगार, उसकी हमराज़ और उसकी सच्ची ताक़त है। यह ना तो मर्दानगी है, ना इंसानियत और ना ही इस्लामियत कि मर्द औरत पर हाथ उठाए। औरत वो है जो घर को घर बनाती है, मर्द के मेहनत से कमाए पैसों को घर के सकून में तब्दील करती है जो शायद मर्द न कर पाए। औरत बच्चों की परवरिश करती है और मर्द को थकान से राहत देती है। अगर मर्द सचमुच अपनी मर्दानगी साबित करना चाहता है तो उसे औरत की इज़्ज़त, मोहब्बत और क़दर करनी होगी।
क्योंकि असल ताक़त उस हाथ में नहीं है जो औरत को मार दे, बल्कि उस हाथ में है जो उसे सहारा दे, उसकी हिफ़ाज़त करे और मोहब्बत से थाम ले।
घर तभी घर कहलाता है जब उसमें मोहब्बत, इज़्ज़त और एहतराम हो – ना कि ज़ुल्म और ज़बरदस्ती।
✦ FAQs:
1. क्या इस्लाम मर्द को औरत पर हाथ उठाने की इजाज़त देता है?
नहीं। इस्लाम ने मर्द को औरत पर हाथ उठाने का हक़ नहीं दिया। अल्लाह के रसूल ﷺ ने हमेशा औरतों के साथ मोहब्बत, रहमत और एहतराम से पेश आने की ताकीद की। औरत पर हाथ उठाना ज़ुल्म और गुनाह है।
2. अगर मर्द औरत पर हाथ उठाए तो उसकी सज़ा क्या है?
दुनियावी कानून में ये घरेलू हिंसा (domestic violence) के दायरे में आता है और सज़ा का हक़दार बनाता है।
आख़िरत में यह ज़ुल्म है, और ज़ालिम को अल्लाह तआला से बचाव नहीं मिलेगा।
3. क्या सिर्फ कमाई करने से मर्द बड़ा हो जाता है?
हरगिज़ नहीं। मर्द पैसे कमाता है, लेकिन औरत उस पैसे को घर, सुकून और आराम में तब्दील करती है।
इसलिए घर चलाने में दोनों का बराबर योगदान है।
4. मर्द–औरत का असली रिश्ता किस तरह होना चाहिए?
इस्लाम के मुताबिक़ मर्द–औरत का रिश्ता:
🔹मोहब्बत पर हो।🔹इज़्ज़त और रहमत पर हो।
🔹बराबरी और समझदारी पर हो।
5. क्या औरत की मेहनत मर्द की कमाई से कम है?
कभी नहीं। मर्द बाहर काम करता है तो औरत घर को संभालती है। दोनों की मेहनत मिलकर ही एक परिवार को मुकम्मल और खुशहाल बनाती है।
✦ کیا مرد عورت پر ہاتھ اُٹھا سکتا ہے؟
ہر گھر کی بنیاد محبت، احترام اور اعتماد پر ٹکی ہوتی ہے۔ لیکن افسوس کی بات یہ ہے کہ بہت سے لوگ یہ سوچ بیٹھتے ہیں کہ چونکہ وہ گھر کے لیے محنت کرتے ہیں، کماتے ہیں، اس لیے اُنہیں بیوی یا عورت پر اپنا اختیار جتانے کا پورا حق ہے — حتیٰ کہ وہ اُسے مار بھی سکتے ہیں۔ مگر اگر ہم گہرائی میں جائیں تو حقیقت بالکل مختلف نظر آتی ہے۔ کیسے؟ آئِیے ذیل میں اس موضوع کو غور سے پڑھیں تو بات واضح ہوجائے گی۔
✦ 👳مرد کا مؤقف – "میں کماتا ہوں اس لیے حق ہے"
بچے پیسہ نہیں کھاتے، بچے کھانا کھاتے ہیں۔
بچے نوٹوں پر نہیں سوتے، بچے بستر پر سوتے ہیں۔
گھر کی اصل تعمیر اور خوش حالی صرف پیسوں سے نہیں بلکہ عورت کی خدمات اور محنت سے ہوتی ہے۔
✦🧕 عورت کا کردار — گھر کی جان و روح
✦ اسلام کا نظریہ
✦🧕 عورت پر ہاتھ اُٹھانا — ظلم اور جہالت
✦ نتیجہ (Conclusion):
Mard ka Aurat Par Haath Uthana یہ کسی مرد کا حق نہیں ہے، چاہے وہ کتنا ہی کمانے والا کیوں نہ ہو۔ عورت مرد کی مددگار، ہمراز اور سچی طاقت ہے۔ نہ تو مروّت وہ ہے جو ہاتھ مارے، نہ انسانیت وہ جو درد دے، اور نہ ہی اسلام وہ جو ظلم کی اجازت دے۔ عورت وہ ہے جو گھر کو گھر بناتی ہے، مرد کی محنت سے کمائے گئے پیسے کو گھر کے سکون میں بدلتی ہے — وہ کام جو مرد اکیلے شاید نہ کر پائے۔ عورت بچوں کی پرورش کرتی ہے اور مرد کو تھکن سے آرام دیتی ہے۔ اگر مرد واقعی اپنی مردانگی ثابت کرنا چاہتا ہے تو اسے عورت کی عزت، محبت اور قدر کرنی چاہئے۔
کیونکہ اصل طاقت اُس ہاتھ میں ہے جو عورت کو سہارا دے، اُس کی حفاظت کرے اور محبت سے تھامے — نہ کہ اُس ہاتھ میں جو مار دے۔ گھر تبھی گھر کہلائے گا جب اس میں محبت، عزت اور احترم ہوں — ظلم اور زبردستی نہیں۔
"آج کا دن اصلاح کا دن ہے، کل تو صرف حساب ہوگا۔"
👍🏽 ✍🏻 📩 📤 🔔
Like | Comment | Save | Share | Subscribe
سوال و جواب (FAQs)
کیا اسلام مرد کو عورت پر ہاتھ اُٹھانے کی اجازت دیتا ہے؟
نہیں۔ اسلام نے مرد کو عورت پر ہاتھ اُٹھانے کا کوئی حق نہیں دیا۔ نبی ﷺ نے ہمیشہ عورتوں کے ساتھ محبت، رحمت اور عزت سے پیش آنے کی تاکید کی۔
اگر مرد عورت پر ہاتھ اُٹھائے تو اس کی سزا کیا ہے؟
دنیاوی قانون میں یہ گھریلو تشدد (domestic violence) کے زُمرے میں آتا ہے اور سزا کا حقدار بنتا ہے۔
آخرت میں یہ ظلم ہے، اور ظالم اللہ کی پکڑ سے نہیں بچ سکتا۔
کیا صرف کمانے سے مرد بڑا ہو جاتا ہے؟
ہرگز نہیں۔ مرد کماتا ہے، لیکن عورت اُس کمائی کو گھر اور سکون میں بدلتی ہے۔ دونوں کی محنت سے ہی زندگی چلتی ہے۔
مرد–عورت کا اصل رشتہ کیسا ہونا چاہیے؟
اسلام کے مطابق مرد–عورت کا رشتہ:
💠محبت پر قائم ہو۔💠عزت اور رحمت پر قائم ہو۔
💠برابری اور سمجھداری پر قائم ہو۔
کیا عورت کی محنت مرد کی کمائی سے کم ہے؟
بالکل نہیں۔ مرد باہر کام کرتا ہے اور عورت گھر کو سنبھالتی ہے۔ دونوں کی محنت مل کر ہی ایک مکمل خاندان بناتی ہے۔
0 Comments
please do not enter any spam link in the comment box.thanks