Dua Qabool Hone ke Kuchh Khaas Lamhe Aur Wqat (Hindi/Urdu)

"दुआ किसी भी वक्त की जा सकती है, लेकिन कुछ ऐसे ख़ास लम्हें हैं जिनमें अल्लाह से दुआ करना या मांगना ज्यादा असरदार होता है। इन लम्हों को पहचानें और अपने दिल की बात अल्लाह से करें। यकीन, तवक्कुल और दिल से की गई दुआ कभी खाली नहीं जाती।۔"

🤲Dua Qabool Hone ke Kuchh Khaas Lamhe Aur Wqat /दुआ कबूल होने के खास लम्हे और वक्त

Dua ke qabooliyat ke waqt
Dua ke qabooliyat ka lamha 



इस्लाम में दुआ (प्रार्थना) एक ऐसी इबादत है जो अल्लाह से सीधा रिश्ता जोड़ती है। क़ुरआन और हदीस दोनों में दुआ की अहमियत को बयान किया गया है। लेकिन Dua Qabool Hone ke Kuchh Khaas Lamhe Aur Wqat होते हैं जब दुआ खास तौर पर कबूल होती है।
📖 Table of Contents(👆Touch Here)
     आइए जानें कि वो कौन-कौन से वक्त और मौके हैं जिनमें दुआ मांगना ज्यादा फायदेमंद होता है, क़ुरान और सही हदीसों की रोशनी में।

    🌙 1. तहज्जुद (रात का आखिरी हिस्सा)

    हदीस:
    रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

    "हमारा रब हर रात को आसमान-ए-दुनिया पर उस वक्त उतरता है जब रात का आखिरी तिहाई हिस्सा बाकी रहता है और फरमाता है: कौन है जो मुझसे दुआ करता है ताकि मैं उसकी दुआ कबूल करूं?"
    (सही बुखारी: 1145, सही मुस्लिम: 758)

    फजीलत:
    तहज्जुद का वक्त दुआ कबूल होने के सबसे बेहतरीन लम्हों में से है।

    Read This Also: Dua sirf Allah se

    बंदा अपने रब के सबसे करीब उस वक्त होता है जब वो सजदे में होता है, लिहाज़ा उस वक्त खूब दुआ करो।"

    🕋 2. जुम्मा के दिन का आखिरी वक्त (अस्र के बाद मग़रिब से पहले)

    हदीस:
    रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

    "जुमे के दिन एक ऐसी घड़ी होती है जिसमें अगर कोई मुसलमान खड़ा होकर नमाज़ पढ़े और अल्लाह से कुछ मांगे, तो अल्लाह उसे जरूर अता फरमाता है।"
    (सही बुखारी: 935, सही मुस्लिम: 852)

    हदीस की शरह के मुताबिक:
    यह घड़ी अस्र और मग़रिब के बीच मानी जाती है।


    🌧 3. बारिश के वक्त

    हदीस:
    रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

    "दो दुआएं जो कभी रद्द नहीं होतीं: अज़ान के वक्त की दुआ और बारिश के वक्त की दुआ।"
    (मुस्तदरिक हाकिम: 2534, सही माना गया)

    Read This Also: Bimariyon se bachne aur hifazat ki Duayein


    📿 4. सजदे की हालत में

    क़ुरान:

    "और सजदा कर और (अल्लाह के) करीब हो जा।"
    (सूरह अल-अलक़: 19)

    हदीस:
    रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

    "बंदा अपने रब के सबसे करीब उस वक्त होता है जब वो सजदे में होता है, लिहाज़ा उस वक्त खूब दुआ करो।"
    (सही मुस्लिम: 482)


    🕓 5. अज़ान और इक़ामत के बीच

    हदीस:
    रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

    "अज़ान और इक़ामत के दरमियान की दुआ रद्द नहीं की जाती।"
    (सुनन अबू दाऊद: 521)

     Read This Also: Rozana padhi jane wali Duayein


    💔 6. मज़लूम की दुआ

    हदीस:
    रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

    "मज़लूम की दुआ और अल्लाह के दरमियान कोई पर्दा नहीं होता, अल्लाह उसकी दुआ को कबूल करता है चाहे वक्त लगे या फौरन।"
    (सही मुस्लिम: 19)


    💬 7. रोज़ा इफ्तार के वक्त

    हदीस:
    रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

    "रोज़ादार के लिए इफ्तार के वक्त दुआ रद्द नहीं होती।"
    (सुनन इब्न माजा: 1753)

     Read This Also: Sote waqt ki Duayein


    🕋 8. अराफात के दिन (हज के मौके पर)

    हदीस:
    रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

    "अराफात के दिन की सबसे अफज़ल दुआ, वही है जो मैंने और मुझसे पहले के नबियों ने की:
    'ला इला हा इल्लल्लाहु वह्दहू ला शरीक लह, लहुल मुल्क व लहुल हम्द, वहुवा अला कुल्लि शैइन क़दीर।'"
    (मुवत्ता इमाम मालिक: 500)


    🧎‍♂️ 9. इबादत के बाद (फर्ज़ नमाज़ के बाद)

    हदीस:
    रसूलुल्लाह ﷺ से पूछा गया:

    "कौन सी दुआ ज्यादा सुनने के काबिल है?"
    आप ﷺ ने फरमाया:
    "रात के आखिरी हिस्से में और फर्ज़ नमाज़ों के बाद।"
    (तिर्मिज़ी: 3499)

    Read This Also: Farz Namaz ke Baad ke Masnoon azkaar


    Conclusion:

    क़ुरान और हदीस हमें ये बताते हैं कि दुआ किसी भी वक्त की जा सकती है, लेकिन Dua Qabool Hone ke Kuchh Khaas Lamhe Aur Wqat ऐसे हैं जिनमें अल्लाह से मांगना ज्यादा असरदार होता है। इन लम्हों को पहचानें और अपने दिल की बात अल्लाह से करें। यकीन, तवक्कुल और दिल से की गई दुआ कभी खाली नहीं जाती।


    📌 सुझाव:

    • दुआ से पहले अल्लाह की हम्द और दरूद शरीफ पढ़ें।
    • दुआ करते वक्त तौबा और इस्तिग़फ़ार करें।
    • सच्चे दिल से, यकीन के साथ दुआ करें।
    • दूसरों के लिए भी दुआ करें, इससे फरिश्ते आपके लिए दुआ करते हैं।

    🌐 

    इस लेख को शेयर करें ताकि ज्यादा लोग इन बरकतों भरे लम्हों में दुआ करने का तरीका जान सकें। अल्लाह हमें दुआओं की कद्र करने और उन खास लम्हों को पहचानने की तौफीक दे, आमीन।

    अल्लाह ने अपने बंदों के लिए हर तरह की आसानियां फराहम की है कि इसके बंदे परेशानियों से बच सकें, उसे याद कर सकें। लेकिन अफसोस की हम ही इससे ग़ाफ़िल हैं।



    📌 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

    तहज्जुद के वक्त, जुमे के दिन अस्र से मग़रिब के बीच, और रोज़ा इफ्तार के वक्त दुआ सबसे ज्यादा कबूल होती है।

    जी हाँ, हदीस में आया है कि सजदे में इंसान अल्लाह के सबसे करीब होता है, इसलिए सजदे में दुआ करना बहुत फज़ीलत वाला है।

    हां, बारिश के वक्त की गई दुआ को रद्द नहीं किया जाता, जैसा कि हदीस में ज़िक्र है।

    रोज़े की हालत में इफ्तार से ठीक पहले का वक्त दुआ के लिए सबसे बेहतर माना गया है।

    जी हाँ, यह वक्त भी दुआ की कबूलियत का है। इस दौरान अल्लाह से जो मांगा जाए, वो इंशा’अल्लाह अता होता है।

    ❁┄┅┅┅════❁✿❁════┅┅┅┄❁

    🤲 دُعا قبول ہونے کے کُچھ خاص وقت اور لمحے

    اسلام میں دُعا ایک ایسی عبادت ہے جو بندے کو براہِ راست اللہ تعالیٰ سے جوڑتی ہے۔ قرآنِ پاک اور احادیثِ نبوی ﷺ میں دُعا کی بڑی فضیلت اور اہمیت بیان کی گئی ہے۔ کچھ خاص لمحات اور اوقات ایسے ہیں جن میں کی جانے والی دُعا خاص طور پر قبول ہوتی ہے۔ آئیے اُن بابرکت وقتوں کو جانتے ہیں جن میں دُعا مانگنا سب سے مؤثر اور افضل ہے۔


    🌙 1. تہجد (رات کا آخری حصہ)

    حدیث:
    رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
    "ہمارا رب ہر رات آسمانِ دنیا پر اس وقت نزول فرماتا ہے جب رات کا آخری تہائی حصہ باقی رہ جاتا ہے، اور کہتا ہے: کون ہے جو مجھ سے دُعا مانگے تاکہ میں قبول کروں؟"
    (صحیح بخاری: 1145، صحیح مسلم: 758)

    فضیلت: تہجد کا وقت دُعا قبول ہونے کے بہترین اوقات میں سے ہے۔


    🕋 2. جمعہ کے دن عصر سے مغرب کے درمیان

    حدیث:
    رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
    "جمعہ کے دن ایک گھڑی ایسی ہے، اگر اس وقت کوئی مسلمان کھڑا ہو کر نماز پڑھتا ہے اور اللہ سے کچھ مانگتا ہے، تو اللہ تعالیٰ ضرور اسے عطا فرماتا ہے۔"
    (صحیح بخاری: 935، صحیح مسلم: 852)

    تشریح: علماء کے مطابق وہ گھڑی عصر اور مغرب کے درمیان ہے۔


    🌧 3. بارش کے وقت

    حدیث:
    رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
    "دو دعائیں کبھی رد نہیں کی جاتیں: اذان کے وقت کی دُعا اور بارش کے وقت کی دُعا۔"
    (مستدرک حاکم: 2534)


    📿 4. سجدے کی حالت میں

    قرآن:
    "اور سجدہ کر اور اللہ کے قریب ہو جا۔" (سورہ العلق: 19)

    حدیث:
    رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
    "بندہ اپنے رب کے سب سے قریب اُس وقت ہوتا ہے جب وہ سجدے میں ہوتا ہے، لہٰذا اُس وقت کثرت سے دُعا کرو۔"(صحیح مسلم: 482)


    🕓 5. اذان اور اقامت کے درمیان

    حدیث:
    رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
    "اذان اور اقامت کے درمیان کی جانے والی دُعا رد نہیں کی جاتی۔"
    (سنن ابوداؤد: 521)


    💔 6. مظلوم کی دُعا

    حدیث:
    رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
    "مظلوم کی دُعا اور اللہ کے درمیان کوئی پردہ نہیں ہوتا، اللہ اُس کی دُعا کو ضرور قبول کرتا ہے، چاہے وقت لگے یا فوراً۔"
    (صحیح مسلم: 19)


    💬 7. روزہ افطار کے وقت

    حدیث:
    رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
    "روزہ دار کے لیے افطار کے وقت کی دُعا رد نہیں کی جاتی۔"
    (سنن ابن ماجہ: 1753)


    🕋 8. عرفہ کے دن کی دُعا (حج کے موقع پر)

    حدیث:
    رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
    "عرفہ کے دن کی بہترین دُعا وہ ہے جو میں نے اور مجھ سے پہلے نبیوں نے کی:
    'لَا إِلٰهَ إِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ، وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ'"

    (موطا امام مالک: 500)


    🧎‍♂️ 9. فرض نمازوں کے بعد

    حدیث:
    رسول اللہ ﷺ سے پوچھا گیا:
    "کون سی دُعا زیادہ قابلِ قبول ہے؟"
    آپ ﷺ نے فرمایا:
    "رات کے آخری حصے میں اور فرض نمازوں کے بعد۔"
    (ترمذی: 3499)


    ✨ نتیجہ:

    قرآن و حدیث ہمیں یہ سکھاتے ہیں کہ دُعا کسی بھی وقت مانگی جا سکتی ہے، مگر کچھ خاص لمحات اور اوقات ایسے ہیں جن میں دُعا مانگنے سے وہ زیادہ جلدی اور مؤثر طریقے سے قبول ہوتی ہے۔ ان اوقات کو پہچانیں، دل سے، یقین کے ساتھ مانگیں، اللہ سب سنتا ہے۔


    📌 تجاویز:

    • دُعا سے پہلے توبہ و استغفار کریں۔
    • اللہ کی حمد و ثنا اور درود شریف کے ساتھ آغاز کریں۔
    • دوسروں کے لیے بھی دُعا کریں تاکہ فرشتے آپ کے لیے بھی دُعا کریں۔
    • دُعا میں مستقل مزاجی اور یقین رکھیں۔

    🌐  نوٹ:

    اس مضمون کو دوسروں کے ساتھ شیئر کریں تاکہ زیادہ سے زیادہ لوگ ان بابرکت اوقات سے فائدہ اٹھا سکیں۔ اللہ ہمیں دُعا کی قدر پہچاننے اور خلوص سے مانگنے کی توفیق دے، آمین۔

    Post a Comment

    0 Comments