Baap ka Wajood —Ek Chhaon Jaisi Moujudgi, Jiski jagah koi nahi le sakta
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दुनिया में बहुत से रिश्ते होते हैं, कुछ दिखते हैं, कुछ छुपे होते हैं। लेकिन एक रिश्ता ऐसा भी है जो न दिखने की वजह से अक्सर समझा नहीं जाता — वह है "पिता" का रिश्ता।
माँ के आँचल की तरह पिता का साया भी हमारी जिंदगी को सुकून देता है, लेकिन उसकी छांव अक्सर नजरों से ओझल रह जाती है। इस लेख में हम उसी अनकहे, अनसुने, मगर बेहद मजबूत रिश्ते को महसूस करने की कोशिश कर रहे हैं — पिता की याद में एक भावनात्मक समर्पण।Read This Also: Bachon ki asal kamyabi maa baap ki Aapsi Mohabbat
बाप: एक छांव जैसा वजूद
जब भी जीवन की तपती धूप हमें झुलसाने लगती है, तो एक साया होता है जो हर हाल में हमें सुकून देता है — वो साया है 'बाप' का।
बाप... एक ऐसा किरदार, जो अपनी ज़रूरतों को पीछे छोड़कर हमारी ख्वाहिशों को बिना जताए पूरा करता है। उसकी ममता माँ जैसी तो नहीं दिखती, पर उसकी मेहनत, त्याग और चिंता कहीं ज्यादा गहरी होती है। वो कम बोलता है, मगर उसकी आंखों में पूरा जहान बोलता है।
बाप : एक अदृश्य परछाई
बचपन में जब हम गिरते हैं, माँ दौड़ती है उठाने के लिए — और बाप? वो थोड़ी दूर खड़ा होकर हमें गिरकर उठना सिखाता है। वो जानता है कि ज़िंदगी आसान नहीं है, इसलिए वो हमें मजबूत बनाता है।
वो खुद की ख्वाहिशें कुर्बान कर देता है — नयी कमीज़, पसंदीदा खाना, सुकून की नींद — सब कुछ छोड़ देता है ताकि हम अच्छी ज़िंदगी जी सकें।
बाप का प्रेम: बिना शोर का समंदर
बाप अपने जज़्बातों को शब्दों में कम ही कहता है, लेकिन उसके हर फैसले में हमारे लिए मोहब्बत छुपी होती है।
जब वो देर रात तक काम करता है, जब स्कूल की फीस टाइम से भरता है, जब खुद पुराने कपड़े पहनकर हमें नये दिलाता है — ये सब उसका 'आई लव यू' कहने का तरीका होता है।
एक बाप दिन-रात की मेहनत में अपने ख्वाबों को धीरे-धीरे खो देता है, लेकिन वो शिकायत नहीं करता।
वो बच्चों की मुस्कुराहट को ही अपनी जीत मानता है।
कभी सोचा है कि वो कब थकता है?
शायद तब जब हम उसकी अहमियत को समझने में देर कर देते हैं...
बाप सच में एक छांव जैसा है — हमेशा हमारे सिर पर रहता है, पर हम तब तक उसे नहीं देखते जब तक वो छांव हट न जाए।
उसके होने को हल्के में मत लीजिए।
उसकी इज़्ज़त कीजिए, उसका शुक्रिया अदा कीजिए — क्योंकि बाप जैसा कोई नहीं होता, और उसकी जगह कोई नहीं ले सकता।
बाप की जगह कोई नहीं ले सकता
मैंने "माँ" की बहुवचन देखी — "माएँ" मिलीं,फिर "पिता" की बहुवचन ढूंढने निकला कुछ न मिला।"पापा", "अब्बा", "बाबा", "डैड" जैसे सारे शब्द याद किए,
पर इनमें कहीं भी बहुवचन का भाव नहीं था।
शायद इसलिए कि पिता की जगह कभी दो नहीं हो सकते।माँ के दर्जे पर कई रिश्ते जुड़ सकते हैं,लेकिन पिता… वो हमेशा एक ही होता है,इसीलिए उसके जाने के बाद जो खालीपन आता है,
वो कभी नहीं भरता।
पिता — वो जो खुद जलकर बच्चों को रौशनी देता है।वो जो थक कर भी अपने बेटे-बेटी के सपनों को जीता है।कभी रातों को जागता है, कभी दिनभर खटता है,
और बदले में बस एक मुस्कान चाहता है।
पिता वो है जो साया भी है और धूप भी,वो है जो सपना भी है और उसका स्वरूप भी।वो है जो बच्चों को हर दुआ में रखता है,
और बिना माँगे सब कुछ कुर्बान कर देता है।
वो है जो खुद भूखा रहता है, पर बच्चों को खिलाता है,जो दुख छिपाकर भी हँसता है,जिसके हाथों की कठोरता से उसका संघर्ष झलकता है,
मगर दिल ऐसा होता है जो बच्चों के हर दर्द पर तड़प जाता है।
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बाप की गैर मौजूदगी का अहसास
बहुत वक़्त बाद मेरे सपने में आए थे मेरे पापा,वही चमकता चेहरा, वही मुहब्बत भरी आँखें,जैसे बरसों की थकान लिए मुस्कुरा रहे हों।मैं दौड़कर उनके पैरों में बैठ गया,
हाथ थामना चाहा — लेकिन वो धुंध में बदल गए।
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जाते-जाते बस इतना कहा:
"खुश रहा करो… मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, बस दिखता नहीं हूँ।"
अब्बा! कैसे खुश रहूँ? जब जिंदगी की धूप में तुम्हारी छांव नहीं रही,जब कंधे पर सिर रखने की जगह नहीं रही,
जब सीख देने वाला खजाना चला गया,जब पीठ थपथपाने वाला हाथ उठ गया!
अब जब थकता हूँ, तो कोई नहीं कहता:"बेटा, आ जा… मैं हूँ ना!"
अब जब हारता हूँ, तो कोई नहीं कहता:"फिक्र मत कर, मैं तेरे साथ हूँ!"
अब जब दुनिया सताती है, तो कोई नहीं कहता:
"परेशान मत हो, तेरा पिता ज़िंदा है!"
अब्बा! आप तो कहते थे — "खुश रहा करो"पर आपके बिना अब खुशी नाम की चीज़ कहीं नहीं रही।घर वही है, दीवारें वही हैं,
पर वो सुकून, वो भरोसा, वो आसरा — सब खो गया है।
बाप के बिना बेटा अनाथ नहीं होता,वो अधूरा हो जाता है।वो जीत कर भी हार जाता है,
वो जीते हुए भी मर जाता है।
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Conclusion:
पिता… एक ऐसा अनमोल रत्न है,जो जीवन की कठिन राहों पर हमारे लिए उजाला बनकर चलता है,और अक्सर उसके योगदान को तब समझा जाता है, जब वो हमारे बीच नहीं रहता।उसके बिना जीवन अधूरा लगता है,और उसकी यादें — एक साया बनकर जीवन भर साथ चलती हैं।
यह लेख Baap ka Wajood —Ek Chhaon Jaisi Moujudgi, Jiski jagah koi nahi le sakta उन लोगों के दिल को जरूर छू गया होगा ,जिन्होंने अपने बाप के जीते जी क़दर न की होगी। जिनके बाप जिंदा हैं उनकी क़दर करें और जिनके नहीं हैं वो दुआ करें।
🌸✨🌿 ~ Mohibz Tahiri ~ 🌿✨🌸
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FAQs:
1. पिता का जीवन में क्या महत्व होता है?
पिता जीवन का वो आधार होते हैं जो चुपचाप त्याग और मेहनत से बच्चों का भविष्य बनाते हैं। वे सुरक्षा, विश्वास और मार्गदर्शन का प्रतीक होते हैं।
2. क्या पिता के जाने के बाद जीवन अधूरा हो जाता है?
जी हाँ, पिता के बिना जीवन का एक मजबूत सहारा चला जाता है। उनका ना होना एक गहरा खालीपन पैदा करता है जिसे कोई भर नहीं सकता।
3. इस लेख में पिता को कैसे दर्शाया गया है?
लेख में पिता को एक छांव की तरह दर्शाया गया है — जो खुद तपकर बच्चों को सुकून देता है। उनके त्याग, ममता और अदृश्य संघर्षों को दिल से महसूस किया गया है।
4. क्या यह लेख उन लोगों के लिए है जो अपने पिता को खो चुके हैं?
जी हाँ, यह लेख विशेष रूप से उन लोगों के जज़्बातों को बयाँ करता है जिन्होंने अपने पिता को खो दिया है, और उन्हें भावनात्मक सहारा देने का कार्य करता है।
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