Achhe Aur bure aamal/अच्छे और बूरे आमाल

"हम दिन ब दिन मौत के क़रीब और दुनिया से दूर जा रहे हैं और हमारे हर achhe aur Bure aamal लिखे जा रहे हैं! हम मुआसरे में जो भी अच्छाईयां और बुराईयां करेंगे या फैलाएंगे जब तक दुनियां में उस पर अमल होता रहेगा वो Achhe bure aamal हमारे नाम ए अमाल में लिखे जायेंगे!۔"
*🌺🌷ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🌺

Achhe Aur bure aamal: "हर अमल का हिसाब होगा — सोचिए, आज आपके नाम-ए-अमाल में क्या लिखा जा रहा है?"

Achhe Amal ki ahmiyat
Achhe Aur bure aamal

इंसान की ज़िंदगी एक सफ़र है — जन्म से लेकर मौत तक का, जहाँ हर कदम पर उसके अमाल (कर्म) दर्ज किए जा रहे हैं। हर दिन, हर लम्हा हम अपने नाम-ए-अमाल में कुछ न कुछ लिखवा रहे होते हैं — कभी नेकियाँ, कभी गुनाह। यही Achhe Aur bure aamal हमारी दुनिया और आखिरत दोनों का फैसला तय करते हैं।

क़ुरआन और हदीस के मुताबिक, इंसान का हर अमल बेकार नहीं जाता — बल्कि हर नेक काम अल्लाह की रहमत का सबब बनता है और हर बुरा काम उसकी नाराज़गी का। अल्लाह ने हमारे साथ दो फ़रिश्ते मुकर्रर किए हैं जो दिन-रात हमारे हर शब्द, हर हरकत और हर नीयत को दर्ज करते रहते हैं।

इस्लाम हमें सिखाता है कि अच्छा अमल केवल इबादत तक सीमित नहीं, बल्कि हर वो काम जो इंसानियत के लिए भलाई लाए, वह भी इबादत का हिस्सा है। वहीं बुरा अमल केवल ज़ुल्म या गुनाह नहीं, बल्कि वो हर चीज़ है जिससे अल्लाह नाराज़ होता है और इंसानियत को नुकसान पहुँचता है।

इस लेख में हम क़ुरआन और हदीस की रौशनी में अच्छे और बुरे आमाल की हकीकत को समझेंगे — ताकि हम अपने कर्मों को सुधार सकें, अल्लाह की रज़ा हासिल कर सकें और आख़िरत में कामयाबी पा सकें।

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🌙 इस्लाम में अच्छे और बुरे अमाल का कॉन्सेप्ट

इस्लाम में Achhe Aur bure aamal (Good and Bad Deeds) से मुतल्लिक़ बहुत अधिक ख़बरदार किया गया है। कुरआन और हदीस दोनों में बार-बार इंसान को अपने कर्मों की ज़िम्मेदारी याद दिलाई गई है।

Amal ka hisaab
Achhe bure amaal 


 क्योंकि यह व्यक्ति की दुनिया और आखिरत (परलोक) में सफलता या असफलता का आधार होता है। कुरान और हदीस दोनों में इस के मुतल्लिक समझाया गया है। आइए क़ुरान और हदीस की रौशनी में अच्छे और बुरे अमाल को समझते हैं।

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🌷 अच्छे अमाल (Good Deeds in Islam)

अच्छे अमाल वो हैं जो अल्लाह की रज़ा के लिए किए जाएं और जिनसे इंसानियत को फायदा पहुँचे।
यह केवल नमाज़, रोज़ा, ज़कात तक सीमित नहीं — बल्कि हर नेक नीयत और इंसाफ वाला काम एक नेकी (Virtue) है।

📖 कुरआन कहता है:

“जो लोग ईमान लाए और अच्छे अमाल किए, उनके लिए जन्नत के बाग़ात हैं।”
(सूरह अल-कहफ़, 18:107)

“निश्चय ही अल्लाह इंसाफ और अच्छाई का हुक्म देता है।”
(सूरह अल-नहल, 16:90)

🕋 हदीस:

“सबसे अच्छे लोग वे हैं, जो दूसरों के लिए सबसे फायदेमंद हैं।” (सुनन दारमी)
“अल्लाह को सबसे प्यारे अमाल वो हैं, जो लगातार किए जाएं, चाहे थोड़े ही क्यों न हों।” (सहीह बुख़ारी)



🔥 बुरे अमाल (Bad Deeds in Islam)

बुरे अमाल (Gunah) वे हैं जिनसे अल्लाह नाराज़ होता है और जिनसे इंसानियत या खुद को नुकसान पहुँचता है।
यह अमल इंसान को जहन्नम के अज़ाब तक ले जाता है।

📖 कुरआन में फ़रमाया गया:

“जिसने बुरे काम किए और उसके गुनाहों ने उसे घेर लिया, वही जहन्नुमी हैं।” (सूरह अल-बकरा, 2:81)
“अल्लाह फसाद फैलाने वालों को पसंद नहीं करता।” (सूरह अल-क़सस, 28:77)

🕋 हदीस:

“जो शख्स दूसरों पर जुल्म करेगा, क़यामत के दिन उससे उसका हक़ लिया जाएगा।” (सहीह मुस्लिम)

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इन्सान के आमालनामे में तीन तरह की बातें पाई जाती हैं।

1️⃣ पहला: जो भी इंसान अच्छा या बुरा अमल करता है, वह सब अल्लाह के रजिस्टर में दर्ज किया जाता है।

2️⃣ दूसरा: इंसान के बदन, ज़ुबान और कामों के सब निशान महफ़ूज़ रहते हैं — क़ियामत के दिन यही गवाही देंगे।

3️⃣ तीसरा: इंसान के मरने के बाद भी उसके अच्छे या बुरे असर चलते रहते हैं — औलाद की तरबियत, समाज में फैलाई भलाई या बुराई, सब उसका हिस्सा बनते रहते हैं जब तक उनका असर बाक़ी रहे।



📜 अमाल लिखने वाले फ़रिश्ते (Kiraman Katibeen)

अल्लाह तआला ने इंसान के हर अमल को लिखने के लिए दो फरिश्ते मुक़र्रर किए हैं —एक दाहिनी ओर जो अच्छे कर्मों (Good deeds) को लिखता है और दूसरा बायीं ओर जो बुरे कर्मों (Bad deeds) को लिखता है। 

Naam e Amaal
Achhe bure amaal 

📖 क़ुरआन में अल्लाह सुब्हान व ताआला फरमाता है:

“जबकि तुम पर निगरानी करने वाले नियुक्त हैं — जो कुछ भी तुम करते हो, वे सब लिखते हैं।” (सूरत इंफितार:10-16)

या वे समझते हैं कि हम उन की छिपी बात और उन की कानाफूसी को सुनते नही? क्यों नहीं, और हमारे भेजे हुए (फ़रिश्ते) उन के समीप हैं, वे लिखते रहते हैं ! (सूरत जु़खरुफ़ :80)

Achhe aur bure amal likhne wale farishtey video dekhen 


दाहिनी ओर का फरिश्ता अपने साथी (फ़रिश्ते) की गवाही के बिना अच्छे कर्म लिख देता है। मगर जो फ़रिश्ता उसके बाएं होता है वह अपने साथी की गवाही के बिना कोई भी बुराई दर्ज नहीं करता। यदि कोई आदमी बैठता है, तो एक उसके दाहिनी ओर और दूसरा उसके बाईं ओर, और यदि वह चलता है, तो उनमें से एक उसके सामने और दूसरा उसके पीछे होता है, और यदि वह सोता है, तो एक उसके सिर के पास और दूसरा उसके पैरों की ओर होता है.
(इब्न हिब्बन इस्बहानी, अल-अज़मा, 3:1000, संख्या: 519)



🌺 कामयाब और नाकाम लोगों का अंजाम

📖 कुरआन कहता है:

🔘 बेशक वह शख्स कामयाब हो गया जिसने अपने नफ़्स गुनाह से पाक कर लिया यानी उसमे नेकी की तरफ़ कर ली और बेशक वह शख्स नामुराद हो गया जिसने इसे गुनाहों में डूबो दिया यानी नेकी को दबा लिया!
( सूरत :शमश आयत :9/10)

🔘 वो वहाँ (नर्क में )चीख़-चीख़कर कहेंगे कि “ऐ हमारे रब, हमें यहाँ से निकाल ले, ताकि हम अच्छे काम करें उन कामों से अलग जो पहले करते रहे थे।” (उन्हें जवाब दिया जाएगा,) “क्या हमने तुमको इतनी उम्र न दी थी जिसमें कोई सबक़ लेना चाहता तो सबक़ ले सकता था?(63) और तुम्हारे पास ख़बरदार करनेवाला भी आ चुका था। अब मज़ा चखो। ज़ालिमों का यहाँ कोई मददगार नहीं !
(सूरत फा़ति़र:37)

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🌟 अच्छे और बुरे अमाल का असर (Deeds After Death)

इंसान के अमल उसके मरने के बाद भी जारी रहते हैं।
जैसे:

  1. जिसने भलाई फैलाई, उसका असर उसकी मौत के बाद भी नेकी के रूप में जारी रहता है।

  2. जिसने गुनाह का रास्ता खोला, उसका असर तब तक लिखा जाता रहेगा जब तक वह गुनाह जारी रहेगा।

“जो कोई इस्लाम में अच्छा तरीका निकाले, उसे और उस पर अमल करने वालों को नेकी मिलेगी;
और जो बुरा तरीका निकाले, उसे और उस पर अमल करने वालों को गुनाह मिलेगा।” (सहीह मुस्लिम:1017)

इसमें उन लोगों के लिए इनाम की खुशखबरी है जो अच्छे कर्म करते रहते हैं, और उन लोगों के लिए एक वादा है जिन्होंने लगातार पापों का सिलसिला शुरू कर दिया है, जब उन्हें अपने पापों का सामना करना पड़े तो वे अपने भाग्य के बारे में सोचें। दूसरों के पाप भी उनके कंधों पर होंगे और यदि उन्हें अपने पापों की सजा के साथ-साथ दूसरों के पापों की सजा भी भुगतनी पड़ेगी तो उनका क्या होगा। अल्लाह तआला ऐसे लोगों को स्वस्थ दिमाग दे और उन्हें पश्चाताप करने और अपने चल रहे पापों को खत्म करने की क्षमता दे, आमीन या रब अल आलमीन!

जिन्नात और शैतान का हमला


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Conclusion:

इस्लाम में Achhe Aur bure aamal का जिक्र कुरान और हदीस दोनों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इस्लाम में अच्छे अमाल इंसान को अल्लाह के करीब करते हैं और बुरे अमाल उसे जहन्नम की तरफ ले जाते हैं।
हर मुसलमान को चाहिए कि वह अपने नाम-ए-अमाल को सुधारने की कोशिश करे।
सोशल मीडिया हो या असल ज़िंदगी — अपने अमाल के अच्छे असरात छोड़े ताकि आपकी नेकी जारी रहे। 
अच्छे कर्म न सिर्फ इंसान को अल्लाह के करीब करते हैं, बल्कि समाज में अमन और भलाई का भी ज़रिया बनते हैं। वहीं बुरे अमाल इंसान को जहन्नुम की सज़ा और अल्लाह की नाराज़गी का हक़दार बनाते हैं।

इसलिए, हर इन्सान को चाहिए कि वह अपने कर्मों का जायज़ा ले और कुरान और हदीस की हिदायतों के मुताबिक़ अपना जीवन गुज़ारे।

किसी ने क्या खूब कहा है:

"जब भी मैं कहता हूँ: ऐ अल्लाह! मेरा हाल देख
हुक्म होता है कि अपना नाम ए अ़माल देखो"


अपने अ़माल दुरूस्त करें और हर जगह दुनिया हो या social media हो अपने अ़माल़ के अच्छे असरात छोड़े ताकी आप के नाम ए अ़माल के एकाउंट में नेकिया जमा हों बुराइयां नहीं!

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FAQ:

Ques:अच्छे कर्म क्या हैं?
Ans: हर वह काम जो दूसरों की भलाई या नफआ़ के लिए की जाए और जिससे अल्लाह सुबहा़न व तआ़ला खुश हो 

Ques:बुरे कर्म क्या है?
Ans: हर वह काम जिससे दूसरों को तकलीफ पहुंचे और नुकसान हो और अल्लाह सुबहा़न व तआ़ला की नाराज़गी की वजह बने !

Ques:अच्छे कर्म करने से क्या होता है?
Ans: अच्छे कर्म करने से हमे दुनिया और आखिरत दोनो जगह कामयाबी मिलेगी ! हमे समाज में भी इज़्ज़त मिलेगी और अल्लाह भी हम से राज़ी होगा ?

Ques: इंसान का सबसे बड़ा कर्म क्या है?
Ans: इंसान का सबसे बड़ा कर्म अल्लाह सुबहा़न व तआ़ला को राज़ी करना है ! और फराईज़ के बाद दूसरों को अच्छे अमल की नसीहत करना और बुराई से रोकना है !

Ques:क़ुरान के अनुसार अच्छा कर्म क्या है?
Ans: अल्लाह सुबहा़न व तआ़ला के बताए तमाम फर्ज़ इबादतों के बाद मां बाप के साथ अच्छा सलूक करना! अपने रिश्तेदारों ,भाई बहनों और पड़ोसियों के साथ अच्छा सलूक करना 


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