Tawarruk:Namaz ke Aakhir me baithne ka Masnoon Tareeqa

"नमाज़ में तवार्रुक करना एक मस्नून अमल है, जो हमें सीधा रसूलुल्लाह (ﷺ) की सीरत से मिलता है।तवार्रुक सिर्फ़ उन नमाज़ों के आख़िरी तशह्हुद (अंतिम बैठक) में  करना सुन्नत है जिनमें दो से ज़्यादा रकातें होती हैं۔"


Tawarruk:Namaz ke Aakhir me baithne ka Masnoon Tareeqa  —(नमाज़ के आखिर में बैठने का मसला)

Namaz ka sunnat tareeqa
Tawarruk ka Sunnat tareeqa 


इस्लाम में नमाज़ सिर्फ़ इबादत ही नहीं, बल्कि रसूलुल्लाह (ﷺ) के तरीक़े पर चलने का नाम है। हर अज़ा और हर हरकत में सुन्नत का पालन करना फ़ज़ीलत और सवाब का सबब है। नमाज़ में बैठने की एक खास सुन्नत है जिसे "तवार्रुक" कहा जाता है। बहुत से लोग इससे नावाक़िफ़ हैं।

📖 Table of Contents(👆Touch Here) 

     आइए जानें Tawarruk:Namaz ke Aakhir me baithne ka Masnoon Tareeqa  क्या है, और किस नमाज़ में यह सुन्नत तरीक़ा है।


    तवार्रुक क्या है?

    "तवार्रुक" का लफ़्ज़ 'व-र-क़' से है, जिसका मतलब है "सुकून से बैठना"। शरई इस्लाही इस्तिला में तवार्रुक उस बैठने को कहा जाता है जब नमाज़ के आख़िरी तशह्हुद में इन्सान अपने बाएं पाँव को ज़मीन पर फैला दे और दाएं पाँव को खड़ा रखे, फिर अपनी दाईं नितम्ब (हिप) को ज़मीन से टेक दे और बाएं पाँव को दाएं पाँव के नीचे से निकाल ले।

    Read this also: Saheeh Namaz e Nabvi ﷺ Part:1


    तवार्रुक का बैठने का तरीक़ा:

    1. बाएं पाँव को ज़मीन पर फैलाना।
    2. दाएं पाँव को सीधा खड़ा रखना (जिसके अंगूठे क़िबले की तरफ हों)।
    3. अपने जिस्म का वज़्न दाईं तरफ झुकाना और नितम्ब ज़मीन पर टेक देना।
    4. दोनों हाथ घुटनों पर रखने।

    तवार्रुक किस नमाज़ में किया जाए?

    तवार्रुक सिर्फ़ उन नमाज़ों के आख़िरी तशह्हुद (अंतिम बैठने) में सुन्नत है जिनमें दो से ज़्यादा रकातें होती हैं, जैसे:

    • चार रकात वाली फर्ज़ नमाज़ें: ज़ुहर, अस्र, ईशा
    • तीन रकात वाली वित्र
    • सुनन और नफ़्ल नमाज़ें जिनकी चार रकात होती हैं

    दो रकात वाली नमाज़ों जैसे फज्र की नमाज़ या सफर की नमाज़ (दो रकात), इनमें तवार्रुक का तरीका नहीं बल्कि इफ्तिराश (बाएं पाँव पर बैठना और दाएं को खड़ा करना) सुन्नत है।


    हदीस से दलील:

    हदीस 1:

    हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर (रज़ि.) फ़रमाते हैं:

    "कान रसूलुल्लाह ﷺ इज़ा जलसा फी अख़िरिस्सलाह यज्लिसु मुता-वऱ्िकन।"
    (सहीह बुखारी: हदीस 828)

    तर्जुमा:
    "रसूलुल्लाह (ﷺ) जब नमाज़ के आख़िरी तशह्हुद में बैठते, तो तवार्रुक के साथ बैठते थे।"

    Read this also: Saheeh Namaz e Nabvi ﷺ Part:2


    हदीस 2:

    हज़रत अबू हमीद अस-साइदी (रज़ि.) फ़रमाते हैं:

    "फैल ज़ा तशह्हदा वज़आ यफ्तरिशु रजलहु अल-युसरा व यनसिबु रजलहू अल-यमना व यज्लिसु अल-मवर्दिय्य।"
    (सहीह बुखारी, 828)

    तर्जुमा:
    "जब रसूलुल्लाह (ﷺ) तशह्हुद के लिए बैठते, तो अपने बाएं पाँव को फैलाकर उस पर बैठते और दाएं पाँव को खड़ा रखते और अपने जिस्म को दाईं तरफ टेक देते।"


    तवार्रुक करने की हिकमत:

    • आख़िरी तशह्हुद में बैठने की यह शक्ल नमाज़ की तकमील और उसके ख़त्म होने की तरफ इशारा करती है।
    • तवार्रुक की शक्ल आरामदायक और स्थिर होती है, जो दुआ की तरफ तवज्जोह दिलाती है।

    सुन्‍नत अमल की अहमियत:

    रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

    "सल्लू कमा रअैतुमूनी ऊसल्ल्ली"
    (सहीह बुखारी) 
    तर्जुमा:"तुम उसी तरह नमाज़ पढ़ो जिस तरह मुझे नमाज़ पढ़ते हुए देखा है।"

    इसलिए नमाज़ के हर हरकत में सुन्नत को अपनाना ज़रूरी है।


    नतीजा:

    नमाज़ में तवार्रुक करना एक मस्नून अमल है, जो हमें सीधा रसूलुल्लाह (ﷺ) की सीरत से मिलता है। यह सुन्नत हर मुसलमान के लिए क़ीमती रहनुमाई है। आइए हम सब कोशिश करें कि नमाज़ में सुन्नतों को अपनाएं और तवार्रुक के साथ नमाज़ की खूबसूरती बढ़ाएं। और Tawarruk:Namaz ke Aakhir me baithne ka Masnoon Tareeqa को सीखें ,अमल करें और दूसरों को भी इस सुन्नत को अपनाने की तलकीन करें। 




    🌸✨🌿 ~ Mohibz Tahiri ~ 🌿✨🌸
    👍🏽 ✍🏻 📩 📤 🔔
    Like | Comment | Save | Share | Subscribe


    FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
    Q1. तवार्रुक क्या होता है?
    A: तवार्रुक नमाज़ में आखिरी तशह्हुद में बैठने की एक सुन्नत शक्ल है, जिसमें बायां पांव ज़मीन पर फैलाया जाता है, दायां पांव खड़ा रखा जाता है और शरीर को दाईं तरफ झुकाया जाता है।
    Q2. इफ्तिराश क्या है और कब किया जाता है?
    A: इफ्तिराश नमाज़ में वो बैठने का तरीका है जिसमें इंसान बाएं पांव पर बैठता है और दाएं पांव को खड़ा करता है। यह पहले तशह्हुद या दो रकात वाली नमाज़ों में किया जाता है।
    Q3. क्या तवार्रुक हर नमाज़ में किया जा सकता है?
    A: नहीं, तवार्रुक सिर्फ उन नमाज़ों के आखिरी तशह्हुद में किया जाता है जिनमें तीन या चार रकात होती हैं, जैसे ज़ुहर, अस्र, ईशा, वित्र वग़ैरह।
    Q4. क्या यह बैठने का तरीका फर्ज़ है?
    A: यह फर्ज़ नहीं, बल्कि सुन्नत है। रसूलुल्लाह ﷺ से यह तरीका बार-बार साबित है और इसे अपनाना सुन्नत का पालन है।
    Q5. तवार्रुक और इफ्तिराश में क्या फर्क है?
    A: इफ्तिराश में इंसान बाएं पांव पर बैठता है जबकि तवार्रुक में बायां पांव दाएं के नीचे से निकालकर ज़मीन पर फैलाया जाता है और जिस्म दाईं तरफ झुकाया जाता है।

    Post a Comment

    0 Comments