🌟 Qayamat Ek Faisale ka Din Part:3 /क़यामत एक फ़ैसले का दिन 🌟
सूरह अल-गाशियाह
यह क़ुरआन की 88वीं सूरह है। यह मक्का में उतरी और इसमें 26 आयतें हैं। "अल-गाशियाह" का मतलब है – "ढक लेने वाली (घेर लेने वाली) चीज़", यानी क़यामत का दिन।इस सूरह में क़यामत, इंसान के अच्छे और बुरे कर्मों का अंजाम, जन्नत और जहन्नम का बयान, और अल्लाह की बड़ाई और उसकी निशानियों पर गौर करने का हुक्म दिया गया है।यह लेख Qayamat Ek Faisale ka Din Part:3 में इन्हीं वाक़यात को पेश किया गया है।
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इस सूरह में:
- क़यामत के दिन का डरावना हाल बताया गया है,
- अच्छे और बुरे कामों का अंजाम,
- जन्नत और जहन्नम का ज़िक्र,
- और अल्लाह की बनाई कुदरत की निशानियों पर सोचने की बात कही गई है।
मुख्य बातें:
- लोगों को क़यामत के दिन से डराया गया है।
- अच्छे-बुरे कर्मों का नतीजा बताया गया है।
- अल्लाह की बनाई दुनिया पर गौर करने को कहा गया है।
- आखिरत की तैयारी के लिए नसीहत दी गई है।
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आयत 1-7: क़यामत और जहन्नमियों का हाल
सूरह की शुरुआत में बताया गया है कि क़यामत का दिन बहुत डरावना होगा। अल्लाह ने इसे "गाशियाह" कहा है, जो हर चीज़ को अपनी भयावहता से ढँक लेगा।जहन्नमियों की हालत:
- उनके चेहरे शर्म और परेशानी से झुके होंगे।
- वे थके हुए और दुखी होंगे क्योंकि उन्होंने गलत काम किए।
- उन्हें जहन्नम में डाला जाएगा, जहाँ गर्म पानी और काँटेदार झाड़ियाँ होंगी।
- यह न खाना भूख मिटाएगा, न ताकत देगा।
सबक:
यह आयतें उन लोगों के लिए चेतावनी हैं जो अल्लाह के हुक्म की ना फ़रमानी करते हैं और अपनी ज़िंदगी को बेकार कामों में बिताते हैं।
आयत 8-16: जन्नतियों का हाल
इसके विपरीत, वे लोग जो अल्लाह पर ईमान लाए और नेक काम किए, उनका अंजाम जन्नत होगा।जन्नतियों की हालत:
- उनके चेहरे खुशी से चमक रहे होंगे।
- वे अपनी मेहनत का अच्छा फल पाकर खुश होंगे।
- उन्हें ऊँचे पलंग, सजे प्याले, सुंदर गद्दे और बिछे कालीन मिलेंगे।
- वहां खूबसूरत नज़ारे और बहते झरने होंगे।
सबक:
यह आयतें इस बात की तस्दीक करती हैं कि जो लोग अपनी ज़िंदगी अल्लाह के आदेशों के अनुसार बिताते हैं, उन्हें जन्नत की अनगिनत नेमतों से नवाज़ा जाएगा।आयत 17-20: अल्लाह की कुदरत पर सोचो
अल्लाह इंसान को अपनी बनाई हुई कुदरत की निशानियों पर ध्यान देने की दावत देते हैं:- ऊँट को देखो – कितना मजबूत और फायदेमंद बनाया गया।
- आसमान को देखो – बिना खंभों के खड़ा है।
- पहाड़ और धरती को देखो – कितनी मजबूत और समतल है।
सबक:
यह आयतें इंसान को चिंतन और तर्क-वितर्क के माध्यम से अल्लाह की महानता और उसकी कुदरत को पहचानने की प्रेरणा देती हैं।इन सब पर सोचकर इंसान को अल्लाह की महानता को समझना चाहिए।Read This Also: Roshni Kab aati hai?
यह लेख Qayamat Ek Faisale ka Din Part:3 यानी सूरह अल-गाशियाह हमें क़यामत के दिन की सच्चाई, अच्छे और बुरे कर्मों के अंजाम, और अल्लाह की महानता को समझने की प्रेरणा देती है। यह सूरह इंसान को सोचने, समझने, और अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने का संदेश देती है।सूरह अल-गाशियाह हमें सिखाती है कि क़यामत का दिन हकीकत है।
हमें अपने अच्छे-बुरे कामों का सोचना चाहिए और अल्लाह की बनाई दुनिया से सीख लेनी चाहिए।
यह सूरह हमें समझदारी से जीने और आख़िरत की तैयारी करने की प्रेरणा देती है।
आयत 21-26: नसीहत और अंजाम
यह आयतें इस बात की तसल्ली देती हैं कि नबी का काम केवल संदेश पहुँचाना है। आख़िरत में इंसान के अंजाम का फैसला केवल अल्लाह करेंगे।- नबी का काम सिर्फ अल्लाह का पैगाम पहुँचाना है।
- किसी को जबरदस्ती ईमान लाने पर मजबूर करना उनका काम नहीं।
- जो सच्चाई को नहीं मानते, उनका हिसाब अल्लाह करेगा।
- हर इंसान को आखिर में अल्लाह के सामने जाना होगा।
सबक:
हर इंसान अपने कर्मों का जिम्मेदार है, और उसका हिसाब अल्लाह लेगा।सूरह अल-गाशियाह से मिलने वाले सबक:
1. क़यामत पर विश्वास:
क़यामत की सच्चाई पर यकीन करना और उस दिन की तैयारी करना जरूरी है।
2. अच्छे कर्म की अहमियत:
दुनिया में किए गए हर अच्छे या बुरे काम का परिणाम आखिरत में मिलेगा।
3. अल्लाह की निशानियों पर ध्यान:
इंसान को कुदरत के हर पहलू पर विचार करना चाहिए, जो अल्लाह की महानता को दर्शाती हैं।
4. संदेश पहुँचाने का फर्ज़:
हर इंसान को सत्य और भलाई का संदेश फैलाना चाहिए, लेकिन मजबूर करना उसका काम नहीं है।
5. अंजाम का यकीन:
इंसान को यह याद रखना चाहिए कि हर कर्म का हिसाब-किताब अल्लाह के पास होगा।
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Conclusion:
यह लेख Qayamat Ek Faisale ka Din Part:3 यानी सूरह अल-गाशियाह हमें क़यामत के दिन की सच्चाई, अच्छे और बुरे कर्मों के अंजाम, और अल्लाह की महानता को समझने की प्रेरणा देती है। यह सूरह इंसान को सोचने, समझने, और अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने का संदेश देती है।सूरह अल-गाशियाह हमें सिखाती है कि क़यामत का दिन हकीकत है।
हमें अपने अच्छे-बुरे कामों का सोचना चाहिए और अल्लाह की बनाई दुनिया से सीख लेनी चाहिए।
यह सूरह हमें समझदारी से जीने और आख़िरत की तैयारी करने की प्रेरणा देती है।
सूरह अल-गाशियाह
मुख्तसर तर्जमा और तफ़सीर:
1. هَلْ أَتَىٰكَ حَدِيثُ ٱلْغَـٰشِيَةِ
क्या तुम्हारे पास "ढाँप लेने वाले" (क़यामत) की खबर पहुँची है?
अर्थ: अल्लाह क़यामत का ज़िक्र करते हुए ध्यान आकर्षित कर रहे हैं कि यह दिन हर चीज़ को अपनी भयावहता से ढाँप लेगा।
2. وُجُوهٌۭ يَوْمَئِذٍ خَـٰشِعَةٌۭ
उस दिन कुछ चेहरे अपमानित और झुके हुए होंगे।
अर्थ: क़यामत के दिन कुछ लोग शर्मिंदगी और अपमान में डूबे होंगे।
3. عَامِلَةٌۭ نَّاصِبَةٌۭ
वे मेहनत करने वाले और थके हुए होंगे।
अर्थ: वे लोग जो दुनिया में गुमराही और बेकार काम करते रहे, वे पछताएँगे।
4. تَصْلَىٰ نَارًا حَامِيَةًۭ
वे जलती हुई आग में झोंक दिए जाएँगे।
अर्थ: ऐसे लोग अपने बुरे कर्मों के कारण जहन्नम में जाएँगे।
5. تُسْقَىٰ مِنْ عَيْنٍ ءَانِيَةٍۭ
उन्हें खौलते हुए झरने का पानी पिलाया जाएगा।
अर्थ: उन्हें ऐसा सज़ा दी जाएगी जो उनके कर्मों का नतीजा होगी।
6. لَّيْسَ لَهُمْ طَعَامٌ إِلَّا مِن ضَرِيعٍۭ
उनके लिए खाने को सिर्फ काँटेदार झाड़ियाँ होंगी।
अर्थ: उन्हें ऐसा भोजन दिया जाएगा जो न पोषण देगा और न भूख मिटाएगा।
7. لَّا يُسْمِنُ وَلَا يُغْنِى مِن جُوعٍۢ
जो न मोटा करेगा और न भूख मिटाएगा।
अर्थ: यह उनके गलत कर्मों का परिणाम होगा।
8. وُجُوهٌۭ يَوْمَئِذٍۢ نَّاعِمَةٌۭ
उस दिन कुछ चेहरे प्रसन्न और सुखी होंगे।
अर्थ: नेक लोग जन्नत की नेमतों के कारण खुश होंगे।
9. لِّسَعْيِهَا رَاضِيَةٌۭ
वे अपनी मेहनत के बदले से संतुष्ट होंगे।
अर्थ: जन्नत के लोग अपने अच्छे कर्मों का परिणाम पाकर प्रसन्न होंगे।
10. فِى جَنَّةٍ عَالِيَةٍۢ
वे ऊँचे दर्जे की जन्नत में होंगे।
अर्थ: उन्हें जन्नत की सर्वोत्तम नेमतें प्राप्त होंगी।
11. لَّا تَسْمَعُ فِيهَا لَـٰغِيَةًۭ
वहाँ कोई फिजूल बात नहीं सुनाई देगी।
अर्थ: जन्नत का माहौल पवित्र और शांत होगा।
12. فِيهَا عَيْنٌۭ جَارِيَةٌۭ
वहाँ बहते हुए झरने होंगे।
अर्थ: जन्नत में सुकून और ताजगी के लिए झरने होंगे।
13. فِيهَا سُرُرٌۭ مَّرْفُوعَةٌۭ
वहाँ ऊँचे-ऊँचे पलंग होंगे।
अर्थ: जन्नतियों को इज्ज़त और आराम दिया जाएगा।
14. وَأَكْوَابٌۭ مَّوْضُوعَةٌۭ
वहाँ कतार में रखे हुए प्याले होंगे।
अर्थ: उन्हें आराम और आनंद के लिए हर सुविधा दी जाएगी।
15. وَنَمَارِقُ مَصْفُوفَةٌۭ
और कतार में लगी हुई गद्दियाँ होंगी।
अर्थ: उन्हें सुख-सुविधा की हर चीज़ दी जाएगी।
16. وَزَرَابِىُّ مَبْثُوثَةٌ
और बिछे हुए कालीन होंगे।
अर्थ: जन्नत का वातावरण अत्यधिक सुंदर और आरामदायक होगा।
17. أَفَلَا يَنظُرُونَ إِلَى ٱلْإِبِلِ كَيْفَ خُلِقَتْ
क्या वे ऊँट की संरचना पर ध्यान नहीं देते कि वह कैसे बनाया गया?
अर्थ: अल्लाह अपनी शक्ति दिखाने के लिए ऊँट के निर्माण का उदाहरण दे रहे हैं।
18. وَإِلَى ٱلسَّمَآءِ كَيْفَ رُفِعَتْ
और आकाश को नहीं देखते कि उसे कैसे ऊँचा बनाया गया?
अर्थ: आकाश की ऊँचाई अल्लाह की महानता का प्रमाण है।
19. وَإِلَى ٱلْجِبَالِ كَيْفَ نُصِبَتْ
और पहाड़ों को नहीं देखते कि उन्हें कैसे खड़ा किया गया?
अर्थ: पहाड़ अल्लाह की ताकत और संतुलन का प्रतीक हैं।
20. وَإِلَى ٱلْأَرْضِ كَيْفَ سُطِحَتْ
और धरती को नहीं देखते कि उसे कैसे बिछाया गया?
अर्थ: धरती का फैलाव और व्यवस्था अल्लाह की बुद्धिमत्ता और दया को दर्शाती है।
21. فَذَكِّرْ إِنَّمَآ أَنتَ مُذَكِّرٌۭ
तो नसीहत करो, तुम केवल नसीहत करने वाले हो।
अर्थ: नबी (सल्ल.) का काम सिर्फ संदेश पहुँचाना है।
22. لَّسْتَ عَلَيْهِم بِمُصَيْطِرٍ
तुम उनके ऊपर ज़बरदस्ती करने वाले नहीं हो।
अर्थ: किसी को मजबूर करना नबी का काम नहीं है।
23. إِلَّا مَن تَوَلَّىٰ وَكَفَرَ
मगर जो मुँह मोड़े और इनकार करे।
अर्थ: जो लोग सच्चाई से मुँह मोड़ेंगे, वे अपने अंजाम के लिए खुद ज़िम्मेदार होंगे।
24. فَيُعَذِّبُهُ ٱللَّهُ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَكْبَرَ
तो अल्लाह उसे बड़ा अज़ाब देगा।
अर्थ: इनकार करने वालों को क़यामत के दिन कड़ी सज़ा दी जाएगी।
25. إِنَّ إِلَيْنَآ إِيَابَهُمْ
निश्चय ही उनकी वापसी हमारी ही तरफ है।
अर्थ: हर व्यक्ति को अंततः अल्लाह के सामने लौटकर जाना है।
26. ثُمَّ إِنَّ عَلَيْنَا حِسَابَهُم
फिर उनका हिसाब लेना हमारे ज़िम्मे है।
अर्थ: अल्लाह हर व्यक्ति के कर्मों का पूरा-पूरा हिसाब लेंगे।
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FAQs :अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. सूरह अल-गाशियाह किस बारे में है?
यह सूरह क़यामत (अंतिम दिन), जन्नत और जहन्नम का हाल, इंसान के कर्मों का अंजाम, और अल्लाह की बनाई कुदरत पर सोचने की दावत देती है।
2. ‘अल-गाशियाह’ का क्या मतलब है?
अल-गाशियाह’ का अर्थ है – “ढक लेने वाली” या “हर तरफ से घेर लेने वाली चीज़”, यानी क़यामत का दिन जो सब पर छा जाएगा।
3. यह सूरह कहाँ नाज़िल हुई थी?
यह मक्की सूरह है, यानी मक्का में नाज़िल हुई थी।
4. सूरह अल-गाशियाह में कितनी आयतें हैं?
इसमें कुल 26 आयतें हैं।
5. इस सूरह से हमें क्या सीख मिलती है?
हमें सीख मिलती है कि:- क़यामत सच्चाई है और हमें उसकी तैयारी करनी चाहिए।
- अच्छे कामों का इनाम और बुरे कामों की सज़ा जरूर मिलेगी।
- अल्लाह की बनाई दुनिया पर गौर करना चाहिए।
- सच्चाई का पैग़ाम फैलाना ज़रूरी है।
6. क्या नबी (सल्ल.) का काम लोगों को मजबूर करना था?
नहीं, नबी का काम सिर्फ अल्लाह का पैग़ाम पहुँचाना था। जबरदस्ती ईमान लाने पर मजबूर करना उनका काम नहीं था।
7. क्या हर इंसान का हिसाब होगा?
जी हाँ, हर इंसान को अपने कर्मों का हिसाब अल्लाह के सामनेu देना होगा।
8. क्या यह सूरह सिर्फ डराने के लिए है?नहीं, यह सूरह इंसान को सचेत करने, समझाने और सही राह पर चलने की प्रेरणा देने के लिए है।
FAQs :अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. सूरह अल-गाशियाह किस बारे में है?
यह सूरह क़यामत (अंतिम दिन), जन्नत और जहन्नम का हाल, इंसान के कर्मों का अंजाम, और अल्लाह की बनाई कुदरत पर सोचने की दावत देती है।
2. ‘अल-गाशियाह’ का क्या मतलब है?
अल-गाशियाह’ का अर्थ है – “ढक लेने वाली” या “हर तरफ से घेर लेने वाली चीज़”, यानी क़यामत का दिन जो सब पर छा जाएगा।
3. यह सूरह कहाँ नाज़िल हुई थी?
यह मक्की सूरह है, यानी मक्का में नाज़िल हुई थी।
4. सूरह अल-गाशियाह में कितनी आयतें हैं?
इसमें कुल 26 आयतें हैं।
5. इस सूरह से हमें क्या सीख मिलती है?
हमें सीख मिलती है कि:
- क़यामत सच्चाई है और हमें उसकी तैयारी करनी चाहिए।
- अच्छे कामों का इनाम और बुरे कामों की सज़ा जरूर मिलेगी।
- अल्लाह की बनाई दुनिया पर गौर करना चाहिए।
- सच्चाई का पैग़ाम फैलाना ज़रूरी है।
6. क्या नबी (सल्ल.) का काम लोगों को मजबूर करना था?
नहीं, नबी का काम सिर्फ अल्लाह का पैग़ाम पहुँचाना था। जबरदस्ती ईमान लाने पर मजबूर करना उनका काम नहीं था।
7. क्या हर इंसान का हिसाब होगा?
जी हाँ, हर इंसान को अपने कर्मों का हिसाब अल्लाह के सामनेu देना होगा।
8. क्या यह सूरह सिर्फ डराने के लिए है?
नहीं, यह सूरह इंसान को सचेत करने, समझाने और सही राह पर चलने की प्रेरणा देने के लिए है।
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