Hum Allah Ko Kya Munh Dikhayenge?

जब हम अल्लाह के सामने पेश होंगे, तो अपने गुनाहों का क्या जवाब देंगे?” यह सवाल हमें अपने अमल की जिम्मेदारी का एहसास कराता है।


Hum Allah Ko Kya Munh Dikhayenge – Gunaahon Se Tauba Aur Akhirat Ki Tayari

✍️ लेखक: Mohib Tahiri | 🕋 islamic article|tauba ka paigham|Gunaahon Se Tauba Aur Akhirat Ki Tayari 🕰 Updated:8 Dec 2025

Hum Allah ko kya munh dikhayenge – Tauba aur akhirat ki tayyari ka islami paigham
Tauba karo, Allah ke huzoor se pehle apne aamal sudharo
कभी आपने सोचा है कि अगर आज मौत आ जाए, तो हम अल्लाह को क्या जवाब देंगे?“Hum Allah Ko Kya Munh Dikhayenge?” हमने अपनी ज़िंदगी में कितनी बार झूठ बोला, नमाज़ छोड़ी, दूसरों का हक़ मारा — फिर भी हमें लगता है कि सब ठीक है। हकीकत यह है कि ज़िंदगी एक इम्तिहान है, और इस इम्तिहान का नतीजा क़ब्र से शुरू होता है। हम दिन-रात दुनियावी दौड़ में लगे हैं, लेकिन कल जब रूह अल्लाह के सामने पेश होगी, तो हम क्या कहेंगे? यही सवाल इस लेख की रूह है —
“Hum Allah Ko Kya Munh Dikhayenge?”
आओ, एक लम्हा रुककर सोचें… और अपनी ज़िंदगी को आखिरत की तैयारी की तरफ़ मोड़ें।
इंसान की ज़िंदगी पैदाइश से लेकर मौत तक एक लंबा सफ़र है — जो असल में एक आज़माइश है। हर सांस, हर क़दम पर अल्लाह हमें आज़मा रहा है — कि हम उसके हुक्मों की पैरवी करते हैं या अपने नफ़्स और दुनिया के पीछे भागते हैं। एक दिन हमें इस सफ़र के आख़िर में अपने रब के सामने पेश होना है, जहां न दौलत काम आएगी, न औलाद — सिर्फ़ अमल ही साथ देंगे।
लेकिन अफ़सोस! आज इंसान दुनिया की मोहब्बत और औलाद की फ़िक्र में इतना ग़ाफ़िल हो चुका है कि आख़िरत को भुला बैठा है। हम वही काम कर रहे हैं जिनसे अल्लाह ने मना किया, और फिर भी अपने आप से पूछते नहीं —

“कल जब अल्लाह के सामने खड़े होंगे तो Hum Allah Ko Kya Munh Dikhayenge?”

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💔 शिर्क और बिदअत – अल्लाह के साथ दूसरों को जोड़ना

शिर्क वो गुनाह है जिसे अल्लाह कभी माफ़ नहीं करेगा अगर बंदा तौबा किए बिना मर जाए। आज लोग अपनी मुश्किलें बनाने वालों के बजाय, मख़लूक़ से मदद मांगते हैं, दरगाहों और कब्रों से उम्मीद रखते हैं, जबकि मदद सिर्फ़ अल्लाह से मांगी जाती है। बिदअतें दीन में ऐसे काम हैं जिन्हें न रसूल ﷺ ने किया, न सिखाया — लेकिन हम उन्हें इबादत समझ बैठे हैं। ऐसे लोग क़यामत के दिन शर्मिंदा होंगे कि उन्होंने दीन को अपने हिसाब से बदल दिया।
क़ुरआन कहता है:

"बेशक अल्लाह इस बात को नहीं बख़्शता कि उस के साथ शिर्क किया जाए, और इस के इलावा जिसे चाहे बख़्श देता है। सरह: निसा 48

यह आयत साफ़ कर देती है कि शिर्क सबसे बड़ा ज़ुल्म है — और बिना तौबा के इसकी कोई माफी नहीं।

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

जिस ने हमारे इस दीन में कोई नई चीज़ ईजाद की जो उसमें से नहीं है, वह मर्दूद है।"
(सहीह बुख़ारी, सहीह मुस्लिम)

यानी दीन में अपनी तरफ़ से चीज़ें जोड़ना — चाहे नीयत कितनी भी अच्छी क्यों न हो — अल्लाह के यहाँ क़बूल नहीं।


💸 सूद और दूसरों का माल खाना – अल्लाह से जंग

कुरआन में अल्लाह ने सूद (ब्याज) को अल्लाह और उसके रसूल से जंग करार दिया है। आज हमारी अर्थव्यवस्था सूद पर टिकी है, लोग इसे “बिज़नेस” कहकर हलाल समझ रहे हैं। दूसरों का माल नाजायज़ तरीक़े से खाना — रिश्वत, धोक़ा, जालसाज़ी — ये सब भी उसी कतार में आते हैं। ऐसे अमल इंसान को बरकत से दूर और अल्लाह के ग़ज़ब के क़रीब ले जाते हैं।

क़ुरआन कहता है:

अगर तुम सूद से बाज़ नहीं आते तो अल्लाह और उसके रसूल की तरफ़ से जंग का ऐलान सुन लो।”(सूरह अल-बक़रह, 279)

यह आयत बताती है कि सूद सिर्फ़ गुनाह नहीं — बल्कि अल्लाह से खुली जंग है।

📜 हदीस:

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

अल्लाह ने सूद खाने वाले, खिलाने वाले, लिखने वाले और उसके दो गवाह — सब पर लानत फ़रमाई है।”(सहीह मुस्लिम)

यानी सूद के हर हिस्सेदार पर लानत है — चाहे उसका रोल कितना भी छोटा क्यों न हो।


💰 दूसरों का पैसा लेकर वापस न करना – ईमानदारी का इम्तेहान

आज बहुत से लोग दूसरों से पैसा उधार लेकर वापिस नहीं करते, या जानबूझकर देर करते हैं — यह समझे बिना कि यह अमानत में खयानत है। रसूल ﷺ ने फ़रमाया:
“जो किसी का माल लेकर उसे वापस करने का इरादा रखता है, अल्लाह उसकी मदद करता है; लेकिन जो किसी का माल लेकर उसे हड़पने का इरादा रखता है, अल्लाह उसे बर्बाद कर देता है।” (बुख़ारी)
सोचिए, अगर क़यामत के दिन किसी का हक़ बाक़ी रह गया, तो वह अपने हक़ के बदले आपके नेक अमल ले जाएगा। दूसरों का पैसा लौटाना सिर्फ़ इंसाफ़ नहीं — बल्कि ईमान की निशानी है।

🍷 शराबनोशी और नशा – अक़्ल का दुश्मन

शराब और हर तरह का नशा शैतान का हथियार है। यह इंसान की अक़्ल छीन लेता है, शर्म और हया खत्म कर देता है। कुरआन में कहा गया:
“शैतान बस यही चाहता है कि शराब और जुए के ज़रिए तुम्हारे दरमियान दुश्मनी और नफ़रत डाले और तुम्हें अल्लाह की याद और नमाज़ से रोक दे।” (सूरह मायदह 91)
सोचो,जो चीज़ अल्लाह की याद से रोक दे — क्या वो हलाल हो सकती है?

💔 ज़िना और हरामख़ोरी – समाज की बर्बादी की जड़

ज़िना सिर्फ़ एक गुनाह नहीं, बल्कि इंसानियत की हदों को तोड़ने वाला जुर्म है। यह समाज की नींव हिला देता है, औलादों को हराम में डाल देता है, और अल्लाह के ग़ज़ब को बुलाता है। हराम खाना — चाहे वो चोरी से हो, रिश्वत से हो, या किसी का हक़ दबाकर — दिल को सख़्त कर देता है। ऐसे दिल में नूर-ए-ईमान टिक नहीं सकता।

🔥 अल्लाह से ग़फलत – सबसे बड़ा नुक़सान

हम नमाज़ छोड़ देते हैं, कुरआन से दूर हैं, और दीन को बोझ समझते हैं। याद रखो — जो अल्लाह को भूल जाता है, अल्लाह उसे ख़ुद से ग़ाफ़िल कर देता है। और यही सबसे बड़ा नुक़सान है — जब इंसान अपने मक़सद-ए-हयात को ही भूल जाए।

🤲 आओ तौबा करें – इससे पहले कि देर हो जाए

अब भी वक्त है —
अल्लाह के दर पर लौट आओ, तौबा करो, नमाज़ को थामो, और दीन की राह पकड़ो।
कुरआन में अल्लाह फ़रमाता है:

“ऐ मेरे बंदो जिन्होंने अपनी जानों पर ज़ुल्म किया, अल्लाह की रहमत से मायूस न हो — बेशक अल्लाह तमाम गुनाह माफ़ कर देता है।” (सूरह ज़ुमर 53)

तो चलिए आज ही अपने दिल से पूछें —
जब हम अल्लाह के सामने पेश होंगे... Hum Allah Ko Kya Munh Dikhayenge?”


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🌙 Conclusion – तौबा की पुकार

ज़िंदगी बहुत छोटी है — और मौत बहुत क़रीब। आज अगर हम अपने गुनाहों से तौबा नहीं करेंगे, तो कल अफ़सोस भी हमें बचा नहीं सकेगा। अल्लाह हमें हर रोज़ तौबा का दरवाज़ा खुला रखता है, क्योंकि वह अपने बंदों से सच्चा प्यार करता है। आओ, अपने दिल से यह इरादा करें कि अब गुनाह छोड़ देंगे, नमाज़, ज़कात, और हलाल कमाई की राह अपनाएंगे, और अपनी ज़िंदगी का मक़सद फिर से वही बनाएंगे —
“अल्लाह को राज़ी करना।”
क्योंकि जब सब चले जाएंगे, तब बस अल्लाह ही रहेगा, और हमें जवाब देना होगा —
“Hum Allah Ko Kya Munh Dikhayenge?”

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

🕋 1. “Hum Allah Ko Kya Munh Dikhayenge” का मतलब क्या है?

इसका मतलब है — “जब हम अल्लाह के सामने पेश होंगे, तो अपने गुनाहों का क्या जवाब देंगे?” यह सवाल हमें अपने अमल की जिम्मेदारी का एहसास कराता है।

💭 2. क्या सिर्फ़ तौबा करने से सारे गुनाह माफ़ हो सकते हैं?

अगर तौबा सच्चे दिल से की जाए — यानी गुनाह पर शर्म, दोबारा न करने का इरादा, और अल्लाह से माफी की दरख्वास्त — तो हां, अल्लाह सारे गुनाह माफ़ कर देता है।
“अल्लाह तमाम गुनाह माफ़ कर देता है।” (सूरह ज़ुमर 53)

💰 3. अगर किसी का पैसा वापिस न किया जाए तो क्या होगा?

क़यामत के दिन वह शख़्स अपना हक़ आपके नेक अमल से लेगा। अगर अमल ख़त्म हो गए, तो उसके गुनाह आप पर डाल दिए जाएंगे। इसलिए दूसरों का हक़ लौटाना फर्ज़ है।

🔥 4. अगर हम बहुत गुनाह कर चुके हैं, क्या अब भी माफी मिल सकती है?

बिलकुल! अल्लाह की रहमत हर गुनाह से बड़ी है। रसूल ﷺ ने फ़रमाया:
“अल्लाह उस बंदे से ज़्यादा खुश होता है जो तौबा करता है, जैसे कोई खोया हुआ ऊँट वापस पा जाए।” (मुस्लिम)

🌙 5. आखिरत की तैयारी कैसे शुरू करें?

  • नमाज़ को पाबंदी से पढ़ें।
  • हराम कमाई और गुनाहों से दूर रहें।
  • कुरआन को समझकर पढ़ें।
  • लोगों का हक़ लौटाएं और अच्छे अख़लाक़ अपनाएं।
  • हर रात तौबा के साथ सोएं।

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इस्लामी ब्लॉगर — सही दीन और इल्म को आम करने की कोशिश। सदका जारिया के लिए दूसरों तक पहुंचाएं। अगर यह पोस्ट आपके दिल को छू गई हो, तो इसे शेयर करें — शायद किसी की तौबा की वजह बन जाए 

کیا آپ تیار ہیں جب اللہ کے سامنے پیش ہونگے۔ آج توبہ کر لو، آج واپس پلٹ آؤ — کیونکہ کل شاید موقع نہ ملے۔

ہم اللہ کو کیا منہ دکھائیں گے؟

Tauba karo, Allah ke huzoor se pehle apne aamal sudharo — warna kal Hum Allah Ko Kya Munh Dikhayenge?"
Gunaahon Se Tauba Aur Akhirat Ki Tayari

آج ہم سب دنیا کی رنگینیوں میں گم ہیں،گناہوں کے سمندر میں غرق ہیں، زبان پر “اللہ” کا نام ہے مگر دل دنیا کی محبت سے بھرا ہوا ہے۔ ہم نمازیں پڑھتے ہیں، روزے رکھتے ہیں، مگر حقوق العباد میں کوتاہی، جھوٹ، دھوکہ، غیبت، بے حیائی، اور ظلم عام ہو چکے ہیں۔
کیا کبھی ہم نے سوچا —
کل قیامت کے دن جب اللہ کے سامنے کھڑے ہوں گے،
تو ہم اللہ کو کیا منہ دکھائیں گے؟

دنیا کی دھوکہ دہی — اور آخرت کی حقیقت

دنیا ہمیں دھوکے میں رکھتی ہے۔ یہ مال، یہ عزت، یہ شہرت — سب وقتی ہیں۔ انسان دنیا کے پیچھے دوڑتا ہے، مگر قبر کا دروازہ بند ہوتے ہی سب ختم ہو جاتا ہے۔

قرآن کہتا ہے:

“تمہیں دنیا کی زندگی نے دھوکے میں ڈال دیا۔” (سورۃ الجاثیہ 35)

ہم سمجھتے ہیں کہ ابھی وقت ہے، مگر موت کبھی دروازہ کھٹکھٹائے بغیر آ جاتی ہے۔ اس دن نہ مال کام آئے گا، نہ دوست، نہ عہدہ —
بس ایمان، اعمالِ صالحہ اور اللہ کا فضل۔


💔 شرک اور بدعت – اللہ کے ساتھ دوسروں کو شریک کرنا

شرک وہ گناہ ہے جسے اللہ تعالیٰ کبھی معاف نہیں کرے گا اگر بندہ توبہ کیے بغیر مر جائے۔ آج لوگ اپنی مشکلات بنانے والے رب کو چھوڑ کر مخلوق سے مدد مانگتے ہیں، درگاہوں اور قبروں سے امیدیں وابستہ کر لیتے ہیں، حالانکہ مدد تو صرف اللہ ہی سے مانگی جاتی ہے۔ بدعتیں دین میں وہ نئے کام ہیں جنہیں نہ رسول ﷺ نے کیا، نہ سکھایا — مگر ہم نے انہیں عبادت سمجھ کر اختیار کر لیا۔ ایسے لوگ قیامت کے دن شرمندہ ہوں گے کہ انہوں نے دین کو اپنے طریقے سے بدل دیا۔

قرآن کہتا ہے:

"بیشک اللہ اس بات کو نہیں بخشتا کہ اس کے ساتھ شرک کیا جائے، اور اس کے علاوہ جسے چاہے بخش دیتا ہے۔"(سورۃ النسآء، آیت 48)

یہ آیت بالکل واضح کرتی ہے کہ شرک سب سے بڑا ظلم ہے — اور اس کی بخشش صرف توبہ کے ساتھ ہی ممکن ہے۔

📜 حدیثِ نبوی ﷺ:

رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:

"جس نے ہمارے دین میں کوئی نئی چیز ایجاد کی جو اس میں سے نہیں ہے، وہ مردود ہے۔"(صحیح بخاری، صحیح مسلم)

یعنی دین میں اپنی طرف سے اضافہ کرنا — خواہ نیت کتنی ہی اچھی کیوں نہ ہو — اللہ کے ہاں قبول نہیں۔


🧍‍♂️ جو لوگ دوسروں کا حق کھاتے ہیں

آج لوگ قرض لیتے ہیں مگر واپس نہیں کرتے،
امانتیں لیتے ہیں مگر خیانت کرتے ہیں۔
جھوٹ بول کر کاروبار چمکاتے ہیں،
اور سمجھتے ہیں کہ “سب چلتا ہے!”

نبی ﷺ نے فرمایا:

“جو شخص کسی کا قرض واپس کرنے کی نیت نہ رکھے،
وہ قیامت کے دن چوروں میں اٹھایا جائے گا۔”(ابن ماجہ)

سوچئے! کل جب اللہ سوال کرے گا کہ
“میرے بندے! تم نے میرا دیا ہوا مال کس طرح استعمال کیا؟
تم نے دوسروں کا حق کیوں دبایا؟”
تو ہم کیا جواب دیں گے؟
ہم اللہ کو کیا منہ دکھائیں گے؟


💸 سود اور دوسروں کا مال کھانا – اللہ سے جنگ

قرآن میں اللہ تعالیٰ نے سود (بیاج) کو اللہ اور اس کے رسول ﷺ کے ساتھ کھلی جنگ قرار دیا ہے۔ آج ہمارے معاشرے اور معیشت کی بنیاد ہی سود پر رکھی گئی ہے، لوگ اسے “بزنس” کہہ کر حلال سمجھنے لگے ہیں۔ دوسروں کا مال ناجائز طریقے سے کھانا — رشوت، دھوکا دہی، جعل سازی — یہ سب اسی گناہ کی قسمیں ہیں۔ ایسے اعمال انسان کو برکت سے دور اور اللہ کے غضب کے قریب لے جاتے ہیں۔

قرآن کہتا ہے:
"پس اگر تم سود چھوڑنے پر آمادہ نہ ہوئے تو اللہ اور اس کے رسول کی طرف سے جنگ کا اعلان سن لو۔"(سورۃ البقرۃ، آیت 279)
یہ آیت بتاتی ہے کہ سود صرف گناہ نہیں بلکہ اللہ کے خلاف بغاوت ہے۔

📜 حدیثِ نبوی ﷺ:
رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
"اللہ نے سود کھانے والے، کھلانے والے، اسے لکھنے والے اور اس کے گواہوں — سب پر لعنت فرمائی ہے۔"(صحیح مسلم)
یعنی سود سے وابستہ ہر شخص اللہ کی لعنت کا مستحق ہے، چاہے اس کا تعلق کسی بھی درجے میں کیوں نہ ہو۔

💔 جو لباسِ حیا اتار چکے ہیں

آج فیشن، نمائش اور سوشل میڈیا کے اس دور میں عورتیں "لباس پہن کر بھی ننگی" ہو چکی ہیں،
اور مرد غیرت و شرم سے خالی ہو گئے ہیں۔

نبی ﷺ نے فرمایا:

دوزخیوں کی دو قسمیں میں نے نہیں دیکھی —
ایک وہ جن کے ہاتھوں میں کوڑے ہوں گے (ظالم)،
اور دوسری وہ عورتیں جو لباس پہن کر بھی ننگی ہوں گی...”
(صحیح مسلم)

یہ حدیث سن کر جسم کانپ جاتا ہے —
کہ جب نبی ﷺ نے ایسے لوگوں کو جنت کی خوشبو سے محروم قرار دیا،
تو ہم کس امید پر زندہ ہیں؟

کیا یہ وہی معاشرہ نہیں بن چکا جہاں شرم مذاق اور حیا کمزوری سمجھی جاتی ہے؟
کیا ایسے حال میں ہم اللہ کو منہ دکھا سکیں گے؟

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🕋 نماز، روزہ اور عبادت — مگر دل مردہ

آج بہت سے لوگ نمازیں پڑھتے ہیں، مگر دلوں میں تکبر، حسد اور نفرت ہے۔ روزے رکھتے ہیں مگر زبان جھوٹ بولتی ہے۔صدقہ دیتے ہیں مگر ریاکاری کے ساتھ۔

رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:

قیامت کے دن سب سے زیادہ خسارے میں وہ شخص ہوگا
جو نیکیاں لے کر آئے گا مگر
کسی کو گالی دی، کسی پر ظلم کیا، کسی کا مال کھایا —
تو اُس کی نیکیاں لے لی جائیں گی
اور دوسروں کو دے دی جائیں گی۔” (مسلم)

کیا ہم نے کبھی سوچا کہ
ہماری نیکیاں بھی دوسروں کے نام نہ لکھی جائیں؟
کیا ہم اللہ کو یہ منہ دکھائیں گے کہ
ہم نے عبادت کی مگر اخلاق نہیں بدلے؟


🔥 گناہوں کی لت — مگر توبہ سے غفلت

ہم سب گناہ کرتے ہیں، مگر افسوس یہ ہے کہ ہم توبہ نہیں کرتے۔
نبی ﷺ نے فرمایا:

“ہر بنی آدم گناہگار ہے،
مگر سب سے بہتر وہ ہے جو گناہ کے بعد توبہ کرے۔”(ترمذی)

اللہ تعالیٰ بےحد رحیم ہے۔
اگر آج ہم روتے ہوئے، دل سے توبہ کر لیں —
تو وہ تمام گناہ معاف فرما دیتا ہے۔

لیکن اگر ہم نے یہ سوچ کر ٹال دیا کہ
“ابھی وقت ہے، بعد میں کر لیں گے”
تو موت کے بعد نہ موقع ملے گا، نہ معافی۔


🌧️ توبہ کا دروازہ آج بھی کھلا ہے

اللہ فرماتا ہے:

اے میرے بندو جنہوں نے اپنی جانوں پر ظلم کیا ہے!تم اللہ کی رحمت سے ناامید نہ ہو،بے شک اللہ تمام گناہ معاف کر دیتا ہے۔”(سورۃ الزمر 53)

کتنا مہربان رب ہے!
ہم لاکھ خطائیں کریں، پھر بھی کہتا ہے —
“ناامید مت ہو، میں تمہیں معاف کر دوں گا۔”

اگر آج ہم آنسوؤں سے توبہ کر لیں،تو کل قیامت کے دن ہمیں سر جھکانا نہیں پڑے گا۔
بلکہ اللہ فرمائے گا:

“میں نے تیرے گناہ معاف کر دیے،جا، تُو آزاد ہے۔”


🌿 آخرت کی تیاری — ایمان کا تقاضا

دنیا چند لمحوں کی ہے۔قبر کے بعد اصل زندگی شروع ہوتی ہے۔نہ پاسپورٹ، نہ عہدہ، نہ تعلقات —
بس ایمان اور عمل باقی رہیں گے۔

قرآن کہتا ہے:

“ہر جان کو موت کا ذائقہ چکھنا ہے،
اور تمہیں تمہارے اعمال کا پورا بدلہ قیامت کے دن دیا جائے گا۔”
(آلِ عمران 185)

جو شخص اس دن کی تیاری میں مصروف ہے،
وہی کامیاب ہے۔
اور جو غفلت میں ہے،
وہ خسارے میں ہے۔


🌸 اختتامیہ — اللہ کو کیا منہ دکھائیں گے؟

اے انسان!
تجھے پیدا کرنے والا، پالنے والا،
روز رزق دینے والا رب
تجھ سے صرف اتنا چاہتا ہے کہ تُو اس کی مان لے،
اس سے محبت کر، اس سے ڈر،
اور اس کے بندوں پر ظلم نہ کر۔

اگر آج بھی ہم غفلت میں ہیں،
تو یاد رکھو —
قیامت کے دن سوال ہوگا:

“میں نے تجھے نعمتیں دیں، وقت دیا، صحت دی،
مگر تُو نے کیا کیا؟”

کیا ہم اس دن کہہ سکیں گے کہ
ہم نے تیاری کی تھی؟
یا ہم سر جھکا کر کہیں گے —
“یا اللہ! ہم شرمندہ ہیں، ہم تیاری نہیں کر سکے...”

آج توبہ کر لو،
آج واپس پلٹ آؤ —
کیونکہ کل شاید موقع نہ ملے۔


🤲 دعا

اے اللہ! ہمیں سچی توبہ نصیب فرما،
ہمارے دلوں کو گناہوں سے پاک کر،
ہمیں حیا، ایمان اور اخلاص کی زندگی عطا فرما،
اور قیامت کے دن ہمیں
اپنے نور والے چہروں کے ساتھ اٹھا۔
آمین یا رب العالمین۔


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🌙 Conclusion – توبہ کی پکار

زندگی بہت مختصر ہے — اور موت نہایت قریب۔
اگر ہم آج اپنے گناہوں سے توبہ نہ کریں، تو کل کا افسوس بھی ہمیں بچا نہیں سکے گا۔
اللہ تعالیٰ ہر روز اپنے بندوں کے لیے توبہ کا دروازہ کھلا رکھتا ہے،
کیوں کہ وہ اپنے بندوں سے سچا پیار کرتا ہے۔

آؤ، دل سے عہد کریں کہ:
ہم گناہوں کو چھوڑ دیں گے،
نماز، زکوٰۃ اور حلال کمائی کی راہ اختیار کریں گے،
اور اپنی زندگی کا مقصد وہی بنائیں گے —
اللہ کو راضی کرنا”
کیوں کہ جب سب لوگ رخصت ہوجائیں گے،تب صرف اللہ باقی ہوگا،اور ہمیں جواب دینا ہوگا
ہم اللہ کو کیا مُنہ دکھائیں گے؟”

FAQs – اکثر پوچھے جانے والے سوالات

🕋 1. “ہم اللہ کو کیا مُنہ دکھائیں گے” کا کیا مطلب ہے؟

اس کا مطلب ہے: “جب ہم اللہ کے سامنے کھڑے ہوں گے تو اپنے گناہوں کا کیا جواب دیں گے؟”
یہ سوال انسان کو اپنے اعمال کی ذمہ داری کا احساس دلاتا ہے۔

💭 2. کیا صرف توبہ کرنے سے سارے گناہ معاف ہوسکتے ہیں؟

اگر توبہ سچے دل سے کی جائے — یعنی
گناہ پر ندامت،
آئندہ نہ کرنے کا پکا ارادہ،
اور اللہ سے خالص معافی کی درخواست —
تو ہاں! اللہ تمام گناہ معاف فرما دیتا ہے۔

بیشک اللہ سارے گناہ معاف کر دیتا ہے۔”(سورۂ زمر: 53)

💰 3. اگر کسی کا مال واپس نہ کیا جائے تو کیا ہوگا؟

قیامت کے دن وہ شخص اپنا حق آپ کے نیک اعمال سے لے گا۔
اگر نیکیاں ختم ہوگئیں، تو اس کے گناہ آپ پر ڈال دیے جائیں گے۔
اسی لیے لوگوں کا حق لوٹانا فرض ہے۔

🔥 4. اگر ہم نے بہت زیادہ گناہ کیے ہوں، تو کیا اب بھی معافی مل سکتی ہے؟

بالکل! اللہ کی رحمت ہر گناہ سے بڑی ہے۔
رسول اللہ ﷺ نے فرمایا:
اللہ اس بندے سے زیادہ خوش ہوتا ہے جو توبہ کرے، اور ایسے خوش ہوتا ہے جیسے کوئی شخص اپنی کھوئی ہوئی اونٹنی دوبارہ پالے۔”(مسلم)

🌙 5. آخرت کی تیاری کیسے شروع کریں؟

  • نماز کی پابندی کریں۔

  • حرام کمائی اور گناہوں سے دور رہیں۔

  • قرآن کو سمجھ کر پڑھیں۔

  • لوگوں کا حق لوٹائیں، اَخلاق بہتر بنائیں۔

  • ہر رات توبہ کے ساتھ سوئیں۔


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تحریر: محب طاہری 
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